इंदौर। कोरोना की दूसरी लहर अभी थमी भी नहीं और इंदौर सहित प्रदेशभर में ब्लैक फंगस ने पैर पसार लिए। दवाई और इंजेक्शन नहीं मिलने से यह फंगस लोगों के अंगों को तो डैमेज कर ही रहा है। उनकी जान भी ले रही है। इंजेक्शन और दवा के लिए लोग दर-दर भटकने को मजबूर हैं। इंदौर में भी लोग महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज के चक्कर लगा रहे हैं। यहां आए कई लोगों ने जो दर्द बयां किया वह बहुत ही डरावना है।
किसी ने कहा कि सबकुछ बेच दिया, लेकिन मरीज की हालत में सुधार नहीं हुआ। किसी ने कहा कि इंजेक्शन नहीं मिलने से उनके मरीज को अपनी आंख खोनी पड़ी। किसी ने तो यहां तक कह दिया कि अब तो हम हिम्मत हार चुके हैं। कुछ ऐसे भी थे जो कुछ बोल तो नहीं पाए... लेकिन उनकी आंखों से बहते आंसुओं ने सबकुछ बयां कर दिया था।
दैनिक भास्कर ने कुछ लोगों से बात की और इस भयावह बीमारी के बारे में जाना...
केस -1 : 105 इंजेक्शन लगवाए, घर भी बेच दिया
विशाल ने बताया कि मेरे भाई के दिमाग में फंगस पहुंच गया है। उन्हें एक आंख से दिखना भी बंद हो गया है। दूसरी आंख को भी फंग डैमेज कर रहा है। प्रतिदिन हमें 80 हजार रुपए लग रहे हैं। शुरुआत में तो यहां-वहां से व्यवस्था की। मरीज को बचाने घर बेच दिया। ज्वेलरी बेच दी। अब कुछ नहीं है हमारे पास। बहुत कमजोर हो चुके हैं। ना तो रुपए हैं और ना कहीं से व्यवस्था हो पा रही है। अब तक हम 25 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं।
मेरा भाई पिछले महीने की 23 मई को संक्रमित हुए थे। इसके तीन दिन बाद ही हमने बॉम्बे अस्पताल में भर्ती करवा दिया था। यहां पर वे रिकवर हो गए थे। उनकी रिपोर्ट कोविड निगेटिव आई। इसके दाे दिन बाद ही अचानक से उन्हें पोस्ट कोविड हुआ। दर्द होने पर उन्हें बॉम्बे अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां पता चला की शुगर लेवल कम हो गया है। संभवत: काेविड की दवाइयों से यह हुआ होगा। अब तक 105 इंजेक्शन लगवा चुका हूं, लेकिन हालत में ज्यादा सुधार नहीं आया है। एक इंजेक्शन मुझे 7 हजार 814 रुपए का पड़ रहा है। एक दिन में 6 इंजेक्शन लग रहे हैं।
किरण शर्मा ने बताया कि पहले देवास में इलाज चला जहां 3 लाख रुपए खर्च आया।
केस -2 : अब तो इलाज के लिए रुपए तक नहीं, पूरी तरह से टूट चुकी हूं
किरण शर्मा ने बताया कि पति एक अप्रैल को पॉजिटिव हुए थे। इसके बाद देवास के निजी अस्पताल में भर्ती करवाया। उन्होंने कहा कि पहले एक लाख रुपए लगेंगे। इसके बाद प्रतिदिन बेड के लिए 10 हजार रुपए देने होंगे। इलाज चला, लेकिन कोविड दवा के कारण शुगर लेवल हाई हो गया। इसके बाद पति ने होश खो दिया। अस्पताल वालों ने आईसीयू में भर्ती कर लिया।
15 दिन रखने के बाद कहा कि अब आपकी जहां सामर्थ्य हो वहां लेकर जाओ। उन्होंने रखने से स्पष्ट मना कर दिया। इसके बाद हम यहां आए। वहां पर पहले एक लाख कोविड के इलाज और फिर दो लाख 15 दिन आईसीयू के इलाज का बिल बना दिया। उनका आरोप है कि अस्पताल में तो उनके पति के हाथ की सोने की अंगूठी तक निकाल ली गई। उसका कुछ पता नहीं चला।
किरण बोलीं कि दवाई इंजेक्शन नहीं मिल रहे हैं। ऊपर से हमारी आर्थिक स्थिति अब पूरी तरह से कमजोर पड़ चुकी है। जो कमाने वाला है वही बीमार पड़ा है। एक बेटी है मेरी, वह और मैं यहां वहां से व्यवस्था कर रहे हैं। अब तो वह भी नहीं हो रहा है। यहां ना तो रहने को कोई साथ है ना तो खाने-पीने का। जैसे-तैसे इस आस में दिन गुजार रहे हैं कि सब सही होगा। अब तो पूरी तरह से टूट चुके हैं। वार्ड में मौजूद लोग थोड़ी मदद कर देते हैं। इन्हीं का अब हमें सहारा है। इंजेक्शन के लिए रोज भटकना पड़ रहा है।
नित्यानंद बोले - सही समय पर इंजेक्शन नहीं मिला तो मां का संक्रमण बढ़ जाएगा।
केस -3 : इंजेक्शन के लिए चार दिन से भूखे प्यासे भटक रहा हूं
उज्जैन से आए नित्यानंद ने कहा कि मेरी मां अस्पताल में भर्ती हैं। उन्हें अभी नाक में इंफेक्शन है। ये कह रहे हैं कि गंभीर इंफेक्शन वालों को इंजेक्शन दे रहे हैं। फंगस काफी तेजी से फैल रहा है, ऐसे में जल्द ही यह मेरी मां को पूरी तरह से चपेट में ले लेगा। ऐसे में यदि उन्हें अभी इंजेक्शन लग जाएं तो उनका संक्रमण वहीं रुक जाएगा। चार दिन से भूखे प्यासे यहां वहां भटक रहा हूं। सुबह से शाम तक डीन के दफ्तर के चक्कर लगा रहा हूं।
सोमवार को आश्वासन दिया है कि अस्पताल में ही इंजेक्शन मिलेंगे। मैं यहां पर अपनी मां को अस्पताल में रखने के लिए थोड़ी लेकर आया हूं। डॉक्टरों का कहना है कि मां को 10 दिन तक लगातार 6 इंजेक्शन लगना जरूरी है। मेरे घर में सबको बुखार आया। माता-पिता की रिपोर्ट कोविड पॉजिटिव आई थी। अप्रैल लास्ट मां की हालत ज्यादा गंभीर हो गई थी। अब वे ब्लैक फंगस की गिरफ्त में हैं। मैं इंजेक्शन के लिए भटक रहा हूं। मां अस्पताल में अकेले पड़ी हुई हैं।
कीर बोले - 7 दिन से इंजेक्शन के लिए भटक रहा हूं।
केस - 4 : जीजा की एक आंख निकालनी पड़ी
देवास से आए धर्मवीर कीर ने बताया कि उनके जीजाजी के लिए वे इंजेक्शन की तलाश में भटक रहे हैं। वे बाॅम्बे अस्पताल में भर्ती हैं। इंजेक्शन नहीं मिलने के कारण जीजाजी की एक आंख निकाली जा चुकी है। दूसरी आंख भी डैमेज हो चुकी है। 12 दिन से अस्पताल में भर्ती हैं, लेकिन इंजेक्शन नहीं मिलने के कारण सही से इलाज नहीं हो पा रहा है। शुरुआत में हमने मार्केट से दो से तीन इंजेक्शन खरीदे थे। उसके बाद से इंजेक्शन के लिए भटक रहे हैं। इंजेक्शन के लिए पिछले 7 दिन से डीन के दफ्तर के सुबह 9 बजे से लेकर शाम 7 बजे तक यहीं पर बैठे रहते हैं। यही आस रहती है कि आज हो सकता है इंजेक्शन मिल जाए।
कीर ने बताया कि मेरे जीजा को कोविड हुआ था। उज्जैन में भर्ती रहे और फिर उनकी रिपोर्ट निगेटिव आ गई। एक दो दिन बाद अचानक से उनके सिर में काफी दर्द हुआ। एमआरआई करवाई तो ब्लैक फंगस की जानकारी मिली। इसके बाद हम तत्काल उन्हें लेकर इंदौर आए और बाॅम्बे अस्पताल में भर्ती करवाया। अस्पताल वालों का कहना है कि हमारे पास इंजेक्शन नहीं है। मंत्री से बात की तो सिर्फ आश्वासन ही मिला।
महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में सोमवार को प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट मीटिंग ले रहे थे, इसी दौरान परिजन इंजेक्शन की मांगने पहुंच गए।