नई दिल्ली: छत्रसाल स्टेडियम (Chhatrasal stadium) में हुई मारपीट और हत्या के मामले में ओलंपिक मेडल विनर सुशील कुमार (Sushil Kumar) को शनिवार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. इतना ही नहीं सुशील को कल 6 दिन की पुलिस रिमांड पर भी भेज दिया गया. ये कहना गलत नहीं होगा कि सुशील जैसा दूसरा पहलवान अभी तक दूसरा पैदा नहीं हुआ है. लेकिन सुशील कई बार बड़े विवादों में रहे हैं.
2015 में नरसिंह से विवाद
सागर धनखड़ (Sagar Dhankar) की हत्या के विवाद से पहले एक बाद सुशील कुमार (Sushil Kumar) का पहलवान नरसिंह यादव (Narsingh Yadav) से भी विवाद हो गया था. महाराष्ट्र के पहलवान नरसिंह ने सुशील पर आरोप लगाए थे कि उन्होंने उनके खाने में मिलावट करवाई थी, जिसके बाद वो डोप टेस्ट में फेल हो गए थे. दरअसल 2015 में नरसिंह ने कुश्ती की वर्ल्ड चैंपियनशिप के 74 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीत कर ओलंपिक कोटा हासिल किया था.
लेकिन सुशील (Sushil Kumar) भी इसी वर्ग से ओलंपिक में जाना चाहते थे. लेकिन फिर बाद में सुशील ने ओलंपिक क्वालिफायर्स में हिस्सा नहीं लिया, जिससे नरसिंह ओलंपिक जाने का रास्ता एकदम साफ हो गया. लेकिन रियो ओलंपिक से कुछ ही दिन पहले NADA के डोप टेस्ट में नरसिंह पॉजिटिव पाए गए. हालांकि बाद में उन्हें क्लीन चीट मिली लेकिन फिर WADA ने उन्हे रोक दिया और नरसिंह का ओलंपिक खेलने का सपना टूट गया.
प्रवीण राणा से लड़ाई
इसके बाद 2017 में एक बार फिर युवा पहलवान प्रवीण राणा (Pravin Rana) से सुशील (Sushil Kumar) की लड़ाई का किस्सा सामने आया. दरअसल 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए ट्रायल हो रहे थे और सुशील ने सेमीफाइनल में प्रवीण राणा को मात दी थी. इसके बाद सुशील और प्रवीण के समर्थकों में हाथापाई हो गई थी. प्रवीण ने बाद में सुशील के ऊपर आरोप लगाया कि उनके समर्थकों ने रिंग में सुशील के खिलाफ लड़ने पर उन्हें और उसके बड़े भाई को मारा. राणा ने यह भी कहा था कि सुशील के समर्थकों ने उन्हें जान से मारने तक की धमकी दी थी.
सुशील के नाम बड़ी कामयाबी
सुशील कुमार (Sushil Kumar) अब तक भारत के सबसे सफल पहलवान रहे हैं. सुशील ने पहले 2008 बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक जीता. यही नहीं 2012 में लंदन में हुए अगले ओलंपिक में सुशील ने सिल्वर मेडल पर कब्जा किया. दो ओलंपिक पदक जीतने वाले वे भारत के पहले खिलाड़ी और पहलवान थे. इतना ही नहीं सुशील ने एशियन और कॉमनवेल्थ गेम्स में भी अपना दबदबा बनाए रखा. सुशील ने राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन अवार्ड और पद्मश्री अवार्ड भी हासिल किए हैं. 1983 में पैदा हुए सुशील को देश का सबसे कामयाब पहलवान बनने में तीन दशक से भी ज्यादा का समय लगा.