100 साल में दूसरी बार रामदेवरा वीरान; कोटा ऐसा इकलौता जिला, जहां कोई भी गांव संक्रमण से नहीं बचा

Posted By: Himmat Jaithwar
5/22/2021

कोरोना की वजह से गांवों में अलग-अलग तरह की तस्वीरें देखने को मिल रही हैं। 100 साल में ऐसा दूसरी बार है, जब जैसलमेर में आराध्य रामसा पीर का धाम बंद है। वहीं, कोटा में हालात इस तरह बिगड़ चुके हैं कि एक भी गांव कोरोना के संक्रमण से नहीं बचा है।

मारवाड़, मेवाड़, मालवा और गुजरात के लाेगाें की आस्था का प्रमुख धाम-रामदेवरा। गांव की आबादी महज 10-12 हजार। देशभर से 10 हजार श्रद्धालुओं की वजह से 24 घंटे तक आबाद रहने वाला प्रदेश का यह पहला कस्बा। 500 से 600 ज्यादा दुकानों पर राेजाना 18 घंटे तक प्रसाद-पचरंगी पताकाओं समेत अन्य धार्मिक सामग्री खरीदने के लिए श्रद्धालुओं की कतार लगी रहती थी।

100 साल में काेराेना संक्रमण से ऐसा दूसरी बार है कि आराध्य रामसा पीर का धाम बंद है। यहां 250 से ज्यादा धर्मशालाएं और 100 से ज्यादा होटल हैं, जो अब खाली पड़े हैं। लॉकडाउन में पूरे कस्बे में वीरानी छाई है। कोरोना ने इस कस्बे के लाेगाें काे भी संक्रमित किया है।

जब रामदेवरा में पहुंचकर हालात देखे ताे सरपंच समंदर सिंह तंवर व्यथित नजर आए। उनका कहना था कि लॉकडाउन में सुबह 11 बजे तक की छूट से कोरोना की चेन रामदेवरा में ताे टूटती नहीं दिख रही। ऐसे में कस्बे के प्रमुख प्रतिनिधियों के सहयोग से वे शनिवार से एक सप्ताह के लिए टाेटल लॉकडाउन लगा रहे हैं। इसमें मात्र दूध की दुकानें ही 2 घंटे के लिए खुलेंगी। किराना-सब्जी समेत सभी प्रतिष्ठान बंद ही रहेंंगे।

कस्बे के हालात जाने ताे सड़काें पर सन्नाटा पसरा था। सभी दुकानें बंद हाेने के साथ ही व्यापारियों ने इन्हें खाकी रंग की तिरपाल से ढंक रखा था। यह वे दुकानें हैं, जाे पूरे साल में रात 1 से 4 बजे तक ही बंद हाेती हैं। 18 घंटे तक हर दुकान ग्राहकाें से भरी रहती है।

जब यहां के मंदिर समिति के अध्यक्ष राव भाेमसिंह और ग्राम पंचायत के सरपंच समंदरसिंह से बात की ताे बाेले कि काेराेना वायरस ने पूरे कस्बे के आर्थिक तंत्र काे हिला दिया है। रामसा पीर के धाम में आने वाले श्रद्धालुओं के बूते ही रामदेवरा समेत आसपास के 10 से ज्यादा गांवाें का जीवन टिका है, मगर काेराेना ने सभी काे बेरोजगार कर दिया है।

इतिहास-सहयाेग भी जान लीजिए
बाबा रामदेव समाधि समिति के अध्यक्ष राव भाेमसिंह बताते हैं कि मंदिर 650 साल से ज्यादा पुराना है। यहां अब 5 साल से विकास और मरम्मत का काम चल रहा है। समिति की ओर से काेराेना से बचाव के लिए 11 लाख रुपए की राशि भी दी गई है। साथ ही जरूरतमंदों के लिए भाेजन, राशन सामग्री दी जा रही है।

कोटा में 5 उपखंड हैं। इनमें 900 से ज्यादा गांव आते हैं, लेकिन हैरत की बात यह है कि कोटा पूरे राज्य में इकलौता ऐसा जिला है जहां कोई भी गांव कोरोना से नहीं बच पाया। यहां तक कि छोटी-बड़ी ढाणी भी नहीं।

सबसे बड़ा उपखंड क्षेत्र रामगंजमंडी है। इसी उपखंड में अब तक सबसे ज्यादा 38 मौतें सरकारी आंकड़ों में हो चुकी हैं, लेकिन मुक्तिधाम के आंकड़े बताते हैं कि PPE किट पहनाकर 85 शवों का अंतिम संस्कार किया गया है। यह भाजपा के विधायक मदन दिलावर का विधानसभा क्षेत्र भी है।

यहीं पर मोड़क स्टेशन, मोड़क गांव, चेचट जैसी बड़ी ग्राम पंचायत भी हैं। चेचट में करीब सौ से ज्यादा गांवों के 30 हजार से ज्यादा लोग इलाज करवाने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन यहां डॉक्टरों के सभी 5 पद खाली हैं। ग्रामीण क्षेत्र में इलाज के नाम पर खानापूर्ति हो रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि राज्य की कांग्रेस सरकार स्थानीय भाजपा नेतृत्व के विरोध में यहां पर डॉक्टर उपलब्ध नहीं करवा रही।

जिन डॉक्टरों के पास डिग्री है, वे तबादले के विरोध में कोर्ट की शरण लिए हुए हैं और अब घर से ही मरीज का उपचार कर रहे हैं। वहीं, झोलाछाप डॉक्टर बड़े आराम से मरीजों की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं। मरीजों की भीड़ का आलम यह है कि घर में जगह नहीं होने पर बाहर लगी बेंच पर उन्हें ग्लूकोज चढ़ती है। डॉक्टर तो दूर की बात, नर्सिंग कर्मियों के भी आधे से ज्यादा पद यहां पर रिक्त चल रहे हैं।

राजनीति किस हद तक, यह जानिए
चेचट का पुराना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गांव की गली के अंदर स्थित है। कांग्रेस के ब्लॉक उपाध्यक्ष मोहम्मद रऊफ बताते हैं कि यहां एक गाड़ी निकले तो दूसरी गाड़ी आने की जगह तक नहीं है। व्यवस्थाएं इतनी बदतर हैं कि केवल ऑक्सीजन के दो बड़े और दो छोटे सिलेंडर ही मौजूद हैं। इमरजेंसी मरीज की मदद के कोई साधन नहीं हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता प्रहलाद कुमार राठौड़ का कहना है कि जनवरी से ही मुख्य रोड पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का नया भवन अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ बनकर तैयार है, लेकिन नेताओं के फीता काटने की राजनीति में उलझ कर रह गया है। स्थानीय विधायक भाजपा से होने के कारण कांग्रेस की राज्य सरकार ध्यान नहीं दे रही है।

झोलाछाप डॉक्टर के पते तल

चेचट ऐसी जगह है, जहां कोटा ही नहीं, चित्तौड़गढ़ और यहां तक कि मध्य प्रदेश की सीमा से लगे होने के कारण आसपास के करीब 100 से ज्यादा गांव के मरीज चिकित्सा सेवाओं के लिए राह तलाशते हैं, लेकिन CHC में कोई डॉक्टर नहीं होने के कारण मजबूरी में यहां झोलाछाप डॉक्टरों के पते पूछते हुए उनके घर तक पहुंच जाते हैं।

चेचट ऐसी जगह है, जहां कोटा ही नहीं, चित्तौड़गढ़ और यहां तक कि मध्य प्रदेश की सीमा से लगे करीब 100 गांवों के लोग झोलाछाप डॉक्टरों के भरोसे हैं।
चेचट ऐसी जगह है, जहां कोटा ही नहीं, चित्तौड़गढ़ और यहां तक कि मध्य प्रदेश की सीमा से लगे करीब 100 गांवों के लोग झोलाछाप डॉक्टरों के भरोसे हैं।

यहां पर बिना डिग्री वाले नीम-हकीम कोरोना पीड़ितों को ग्लूकोज चढ़ा देते हैं। घर में ज्यादा भीड़ हो जाती है तो बाहर लॉकडाउन के कारण खाली पड़ी बेंच और पट्टी पर ही मरीज को लिटाकर ग्लूकोज चढ़ा देते हैं। लोगों की मौत हो रही है, लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।

3. दोस्त की ऑक्सीजन की कमी से मौत हुई तो CHC का कायापलट कर दिया
- सवाई माधोपुर से ग्राउंड दिलीप चौधरी और मनीष शर्मा की रिपोर्ट

गंगापुर तहसील क्षेत्र के गांव खंडीप के युवा देशभर के युवाओं के लिए नजीर पेश कर रहे है। यहां गांव का ह्यूरिस्टिक क्लब सक्रिय है, जिसके अध्यक्ष और सदस्य या तो सरकारी नौकरियों में हैं या आर्थिक रूप से संपन्न हैं।

क्लब ने एक महीने में ही कम्युनिटी हेल्थ सेंटर यानी CHC की तस्वीर पूरी तरह बदल दी। युवाओं ने CHC को गोद लेकर स्वास्थ्य केंद्र में निजी अस्पताल जैसी सुविधाएं उपलब्ध करवा दीं। यह जिले का इकलौता CHC है जहां 15 बेड के कोविड वार्ड में हर बेड पर मरीज काे क्लब के सहयोग से ऑक्सीजन और अन्य मेडिकल किट उपलब्ध है।

साथी की मौत होने पर लिया सबक
ह्यूरिस्टिक क्लब के अध्यक्ष राजवीर मीणा ने बताया कि उनके क्लब का साथी भरतराज मीणा रेलवे में स्टेशन मास्टर था। कोरोना संक्रमित होने पर उसे CHC में भर्ती करवाया। ऑक्सीजन लेवल कम होने पर हायर सेंटर रेफर किया गया, लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया। इस पर युवाओं ने सबक लेते हुए अस्पताल के कायापलट की ठान ली।

क्लब के इमरजेंसी फंड से खरीदे उपकरण, मरीजों की सेवा में भी आगे
राजवीर मीणा ने भंवर सिंह मीणा और अन्य युवाओं के साथ मिलकर अस्पताल में सहयोग करने का फैसला लिया था। भंवर सिंह मीणा कहते हैं कि क्लब कई माह से इमरजेंसी फंड में राशि जमा कर रहा था। इस फंड से क्लब ने CHC में उपकरण उपलब्ध करवाने के साथ गार्डन भी तैयार करवाया। अस्पताल की डॉ. प्रियंका मीणा ने बताया कि युवाओं के सहयोग से CHC की दशा बदल चुकी है। क्लब अब CHC को एंबुलेंस भी देगा।

दूसरे गांवों के युवा भी ले रहे प्रेरणा
खंडीप गांव के युवाओं की इस पहल से अन्य गांवों के लोग भी ऐसी पहल करने लगे हैं। पीलौदा गांव की विकास समिति ने भी अस्पताल में मदद की है। विकास समिति के अध्यक्ष और जयपुर रेलवे में DRM पद पर तैनात रघुवीर मीणा ने बताया कि CHC में 8 ऑक्सीजन सिलेंडर, 10 बेड, 5 रेगुलेटर, बेडशीट, मेडिसिन, मास्क और सैनिटाइजर दिए हैं।

4. काेराेना ने 14 दिन की मासूम सहित 6 बच्चियाें से मां का आंचल छीना
- सीकर से यादवेंद्र सिंह राठौड़ की रिपोर्ट

कोरोना ने कई मासूम बच्चाें काे बेसहारा कर दिया है। शेखावाटी में ऐसे बहुत से मामले सामने आए हैं। फतेहपुर में 14 दिन की मासूम सहित 6 बेटियाें से मां का आंचल छिन गया। यहां 30 साल की विमला देवी की 6 मई काे धानुका अस्पताल में डिलेवरी हुई थी। सैंपल लिया गया, ताे वे काेविड पाॅजिटिव आईं। उनकी 5 बेटियां पहले से हैं। 8 मई काे कोरोना पाॅजिटिव आने के बाद उन्हें सांवली काेविड केयर सेंटर सीकर में भर्ती करवाया गया। 16 मई काे जान चली गई। अब 14 दिन की बेटी समेत 6 बेटियां नहीं जानतीं कि उनकी मां नहीं लौटेगी। पति नेमीचंद मजदूरी करता है।

ऐसी ही कहानी रतनगढ़ के भरपालसर गांव की भी है। यहां रामकरण नाथ दो मंजिला काेठी में रहते हैं, लेकिन अब इस काेठी के हर काेने में मायूसी छाई हुई है। दरअसल रामकरण के इकलाेते बेटे इंजीनियर बीरबलनाथ की काेराेना से मौत हो गई। उनकी दाे माह की मासूम सी बच्ची है।

पिता रामकरण ने बताया कि इकलाैता बेटा बीरबलनाथ 2 साल पहले ही 2019 में जयपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करके आया था। लाॅकडाउन लग जाने के बाद से वह प्रतियाेगी परीक्षाओं की ऑनलाइन तैयारी कर रहा था। अब दो महीने की मासूम पाेती ही उनका सहारा रह गई है।

इसी तरह उदयपुरवाटी तहसील के छापाैली गांव में लाेहे के खिड़की-गेट बनाने वाले अनिल सैनी की एक मई काे कोरोना से मौत हो गई। चार दिन बाद 4 मई काे उनके छाेटे भाई दलीप सैनी की भी तबीयत खराब हाे गई, जाे पिछले 16 दिन से जयुपर में भर्ती है। अनिल के पिता की 2013 में ही मौत हाे गई थी। परिवार का सारा जिम्मा अनिल पर ही था। उसकी दाे साल की बच्ची है। पत्नी संजू देवी गर्भवती है।

कोरोना संक्रमित पति के निधन के बाद पत्नी और बच्चे।
कोरोना संक्रमित पति के निधन के बाद पत्नी और बच्चे।

कोरोना ने छीना पिता का साया
चिड़ावा नगर पालिका के वार्ड एक से पार्षद सुमित्रा सांखला-रामजीलाल सैनी के 37 साल के बेटे कृष्ण की 13 मई को कोरोना से मौत हो गई। सुलताना में मिठाई की दुकान चलाने वाले कृष्ण अपने पीछे पत्नी कंचन, साढ़े आठ साल की बेटी काव्या, छह और चार साल के दो बेटे विहान और चर्चित को छोड़ गए हैं।



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