केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी यानी डिजिटल करेंसी पर पूरी तरह से बैन लगाने के मूड में नहीं है। देश में क्रिप्टोकरेंसी के चलन के लिए सरकार नए सिरे से नियम बनाएगी। इसके लिए सरकार एक्सपर्ट के नए पैनल का गठन कर सकती है। इससे पहले भी सरकार ने एक्सपर्ट पैनल का गठन किया था। यह पैनल सरकार को अपनी सिफारिशें दे चुका है। आइए आपको बताते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी क्या होती है और अभी देश में इसको लेकर क्या नियम-कानून हैं...
क्या हैं एक्सपर्ट कमेटी की सिफारिशें?
केंद्र सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर पूर्व वित्त सचिव सुभाष गर्ग की अध्यक्षता में एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी ने 2019 में अपनी सिफारिशों में क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की बात कही थी। सरकार का मानना है कि सुभाष गर्ग की अध्यक्षता वाली कमेटी की सिफारिशें पुरानी हो गई हैं। अब क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध के बजाए नए सिरे से नियम बनाने की जरूरत है।
क्या करेगी नई कमेटी?
नई कमेटी क्रिप्टोकरेंसी में इस्तेमाल होने वाले ब्लॉकचेन की तकनीक में बढ़ोतरी की संभावना तलाश करेगी। साथ ही कमेटी क्रिप्टो को करेंसी के बजाए डिजिटल असेट्स के रूप में रेगुलेट करने के लिए सुझाव देगी। इस कमेटी को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के प्रस्तावित डिजिटल रुपए के संचालन के तौर-तरीकों पर स्टडी करने के लिए भी कहा जा सकता है। हालांकि, अभी नए कमेटी के गठन का प्रस्ताव प्रारंभिक चरण में है और इस पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है।
क्या हैं वित्त मंत्रालय की तैयारियां?
वित्त मंत्रालय देश में क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग की बढ़ती संख्या पर नजर रखे हुए है। क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े संभावित जोखिमों को लेकर मंत्रालय सभी हितधारकों के संपर्क में है। हाल ही में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने क्रिप्टो और बैंकिंग इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के साथ बैठक की थी। अनुराग ठाकुर ने कहा था कि कमेटी में शामिल किए जाने वाले लोगों के नामों पर विचार चल रहा है। कमेटी में विपक्षी दलों के प्रतिनिधि भी शामिल हो सकते हैं। क्रिप्टोकरेंसी को लेकर हुए डेवलपमेंट को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को उनकी टीम इस महीने के अंत तक जानकारी दे सकती है।
डिजिटल करेंसी को लेकर सरकार की तैयारी?
देश में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े नियम बनाने के लिए सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल 2021 तैयार किया था। इस बिल को संसद के बजट सत्र में पेश किया जाना था, लेकिन किन्हीं कारणों से अभी तक इसे पेश नहीं किया जा सका है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस बिल को संसद के आगामी मानसून सत्र में पेश किया जा सकता है। यह ड्राफ्ट बिल गर्ग कमेटी की सिफारिशों के आधार पर तैयार किया गया है। मौजूदा बिल में देश में क्रिप्टोकरेंसी असेट्स रखना आपराधिक बनाया गया है।
RBI की डिजिटल करेंसी को लेकर तैयारी?
इसी साल 25 जनवरी को RBI ने पेमेंट सिस्टम को लेकर एक बुकलेट जारी की थी। इसमें कहा गया था कि RBI नई डिजिटल करेंसी या रुपए के डिजिटल वर्जन को क्रिप्टोकरेंसी का दर्जा देने की संभावनाएं तलाशेगा। इसी साल लोकसभा बुलेटिन में कहा गया था कि क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल 2021 के जरिए भारत की ऑफिशियल डिजिटल करेंसी का रास्ता तैयार किया जाएगा। इसके लिए RBI फ्रेमवर्क तैयार करेगा।
क्या होती है क्रिप्टोकरेंसी?
क्रिप्टोकरेंसी एक प्रकार की वर्चुअल करेंसी होती है। इसे डिजिटल करेंसी भी कहा जाता है। डॉलर या रुपए जैसी करेंसी की तरह क्रिप्टोकरेंसी से भी लेन-देन किया जा सकता है। दुनिया में इस वक्त 4 हजार से ज्यादा क्रिप्टोकरेंसी चलन में हैं। बिटकॉइन इनमें सबसे पॉपुलर क्रिप्टोकरेंसी है। हर बिटकॉइन ट्रांजेक्शन ब्लॉकचेन के जरिए पब्लिक लिस्ट में रिकॉर्ड होता है। जो डिसेंट्रलाइज तरीके से अलग-अलग यूजर्स द्वारा किया जाने वाला रिकॉर्ड मेंटेनेंस सिस्टम है।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े नियम
देश में क्रिप्टोकरेंसी का प्रचलन तेजी से बढ़ा है, लेकिन इसको लेकर देश में कोई कानून या गाइडलाइंस नहीं है। 2018 में RBI ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक सर्कुलर जारी किया था। इसमें RBI ने सभी वित्तीय संस्थानों से क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी सेवा प्रदान करने पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल फरवरी में RBI की ओर से लगाए गए प्रतिबंध को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भारत में क्रिप्टोकरेंसी में कारोबार हो रहा है। सरकार ने 2019 में भी क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने और इसको आपराधिक बनाने के लिए बिल तैयार किया था। हालांकि, यह बिल संसद में पेश नहीं हो पाया था।
भारत के प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज
- वजीरएक्स
- बाययूकॉइन
- कॉइनडीसीएक्स
- बिटबीएनएस
- जैबपे
- कॉइनस्विच
- जियोटस
क्रिप्टोकरेंसी का इतिहास
- 1983 में सबसे पहले अमेरिकन क्रिप्टोग्राफर डेविड चाम ने ई-कैश (ecash) नाम से क्रिप्टोग्राफिक इलेक्ट्रॉनिक मनी बनाई थी।
- 1995 में डिजिकैश के जरिए इसे लागू किया गया।
- इस पहली क्रिप्टोग्राफिक इलेक्ट्रॉनिक मनी को किसी बैंक से नोटों के रूप में विड्रॉल करने के लिए एक सॉफ्टवेयर की आवश्यकता थी।
- यह सॉफ्टवेयर पूरी तरह से एनक्रिप्टेड था। सॉफ्टवेयर के जरिए क्रिप्टोग्राफिक इलेक्ट्रॉनिक मनी प्राप्त करने वाले को एनक्रिप्टेड-की यानी खास प्रकार की चाभी दी जाती थी।
- इस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से पैसा जारी करने वाला बैंक, सरकार या अन्य थर्ड पार्टी ट्रांजेक्शन को ट्रैक नहीं कर पाते थे।
- 1996 में अमेरिका की नेशनल सिक्युरिटी एजेंसी ने क्रिप्टोकरेंसी सिस्टम के बारे में बताने वाला एक पेपर पब्लिश किया।
- 2009 में सातोशी नाकामोतो नाम के वर्चुअल निर्माता ने बिटकॉइन नाम की क्रिप्टोकरेंसी बनाई। इसके बाद ही क्रिप्टोकरेंसी को दुनियाभर में लोकप्रियता मिली।
क्रिप्टोकरेंसी कैसे खरीद सकते हैं?
क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज वेबसाइट के जरिए इनकी खरीद की जा सकती है। इसके लिए पहले एक्सचेंज पर रजिस्ट्रेशन करना होता है। फिर बैंक खाते या क्रेडिट कार्ड के जरिए भुगतान कर क्रिप्टोकरेंसी की यूनिट खरीद सकते हैं। ग्राहक को अपने देश के नियम-कानून ध्यान में रखने होते हैं। अलग-अलग एक्सचेंज कमीशन के रूप में कुछ चार्ज लेते हैं। ग्राहक क्रिप्टोकरेंसी को ऑनलाइन वॉलेट में रख सकते हैं।
कैसे तैयार होती है क्रिप्टोकरेंसी?
क्रिप्टोकरेंसी को माइनिंग के जरिए तैयार किया जाता है। यह वर्चुअल माइनिंग होती है जिसमें क्रिप्टोकरेंसी पाने के लिए एक बेहद जटिल डिजिटल पहेली को हल करना पड़ता है। इस पहेली को हल करने के लिए अपने खुद के एल्गोरिद्म (प्रोग्रामिंग कोड) और साथ ही बहुत ज्यादा कंप्यूटिंग पावर की जरूरत पड़ती है। इसलिए सैद्धांतिक तौर पर कह सकते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी को कोई भी बना सकता है, लेकिन व्यावहारिक रूप से देखें तो इसे बनाना बहुत ही मुश्किल काम है।
बिटकॉइन के अलावा अन्य लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी
- ईथर: यह दुनिया की दूसरी सबसे ज्यादा लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी है। 2015 में वितालिक बुटेरिन ने इसका निर्माण किया था। उन्होंने ईथरियम नामक ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म का विकास किया। यह प्लेटफॉर्म सिर्फ ईथर नामक वर्चुअल मुद्रा तक सीमित नहीं है बल्कि इसका इस्तेमाल करके दूसरे लोग भी अपने एप्लीकेशन बना सकते हैं जिनमें ईथरियम के ब्लॉकचेन सिस्टम का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- रिप्पल: रिप्पल का विकास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धन के लेन-देन की प्रक्रिया को आसान बनाने के मकसद से 2021 में किया गया था। रिप्पल के जरिए धन का लेन-देन काफी तेजी से होता है और इसकी लागत भी बेहद कम है। रिप्पल का नियंत्रण रिप्पल लैब्स नामक कंपनी करती है जिसके पास कुल रिप्पल की आधी मुद्राएं हैं।
- लाइटकॉइन: गूगल के पूर्व कर्मचारी चार्ली ली ने सन 2011 में लाइटकॉइन का निर्माण किया था। इस काम में बिटकॉइन के ही ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया गया था। मकसद यह था कि बिटकॉइन के निर्माण और रखरखाव में खर्च होने वाली अथाह बिजली तथा जटिलता को दूर करते हुए एक हल्की-फुल्की मुद्रा का निर्माण किया जाए।
- नियो: यह चीन में बनाई गई क्रिप्टोकरेंसी है, जिसका निर्माण 2014 में दा होंगफेई ने किया था। शुरू में इसका नाम एन्टशेयर्स था जिसे जून 2017 में बदलकर नियो कर दिया गया। ईथरियम के साथ काफी समानता होने के कारण इसे 'चीनी ईथरियम' के नाम से भी संबोधित किया जाता है।