गाजा में काम करने वाले पत्रकार बाहा गुल के तीन बच्चे हैं। इन दिनों वे घर में तेज आवाज में टीवी चलाते हैं ताकि बाहर की आवाजें अंदर न आएं। वे कहते हैं, 'मैं पूरी रात अपने बच्चों को गले लगाकर सोता हूं। सुबह तक मेरी कमर में दर्द हो जाता है। हर 15-15 मिनट में रात भर बम धमाके होते रहते हैं तो मुझे नींद भी नहीं आ पाती। मेरे दोनों हाथ कानों पर धरे होते हैं। जब बच्चे धमाकों की आवाज सुन मेरे पास आते हैं तो मैं उन्हें समझाता हूं कि बम दूर गिर रहे हैं, हमें कुछ नहीं होगा, लेकिन मैं यह भी जानता हूं कि गाजा में अभी कोई सुरक्षित नहीं है।'
गुल कहते हैं कि गाजा के बच्चे सो नहीं पा रहे हैं। वो 24 घंटे दहशत में रहते हैं। मैं बच्चों का ध्यान हिंसा से हटाने के लिए उन्हें स्कैच और रंग देता हूं ताकि वो कलर करके समय बिता सकें। मैं बच्चों को छत पर भी जाने नहीं देता, क्योंकि यहां छत पर खेल रहे बच्चों पर भी बम गिरे हैं।
गाजा के बारे में बात करते हुए बाहा गुल की आवाज भर्रा जाती है। वे यहां 16 सालों से पत्रकारिता कर रहे हैं और उन्होंने इजराइल और गाजा के बीच होने वाली झड़पों को बहुत करीब से देखा है। उन्हें लगता है कि इस बार लड़ाई बेहद गंभीर है और नुकसान बहुत ज्यादा हो सकता है।
गाजा के बच्चे कहां रहेंगे?
शनिवार को गाजा पट्टी में एक घर के ऊपर हुए इजराइली हमले के बाद एक बच्चे को सुरक्षित निकाला गया। जबकि 6 बच्चों की मौत हो गई।
गाजा पट्टी के एक तरफ भूमध्य सागर है, एक तरफ मिस्र और बाकी तरफ इजराइल। भूमध्य सागर में भी इजराइली नौसेना का सख्त पहरा रहता है। करीब 41 किलोमीटर लंबे और 6 से 15 किलोमीटर तक चौड़े इस 360 वर्ग किलोमीटर इलाके में करीब बीस लाख लोग रहते हैं। बाहा गुल कहते हैं, कुछ दशक बाद जब ये आबादी बढ़कर तीस लाख हो जाएगी तो गाजा में पैर रखने की जगह नहीं होगी। गाजा के बच्चे कहां रहेंगे?
इन दिनों इजराइली सेना गाजा पर दिन रात बम बरसा रही है। इजराइली हमलों में अब तक डेढ़ सौ से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और दस हजार से अधिक बेघर हो चुके हैं। इजराइल ने गाजा पर नियंत्रण करने वाले संगठन हमास के 500 से अधिक ठिकाने तबाह करने का दावा किया है। गाजा से फोन पर दैनिक भास्कर से बात करते हुए बाहा गुल ने बताया, 'यहां इमारतें एक दूसरे के इतने करीब हैं कि ऐसा लगता है कि वो एक साथ ही बनी हों। इजराइल के हवाई हमले में तीन बड़ी इमारतों को जमींदोज कर दिया गया है। किसी इमारत पर बम गिरता है तो सटी हुई इमारतें अपने आप ही बर्बाद हो जाती हैं।'
गुल कहते हैं, 'उत्तरी गाजा में इजराइल ने एक समूची फिलिस्तीनी कॉलोनी को पूरी तरह तबाह कर दिया है। जबकि एक दूसरे इलाके में दस घरों को जमीदोंज कर दिया गया। मारे गए लोगों में से तीस फीसदी बच्चे और महिलाएं हैं।'
वो कहते हैं, 'आप ये देख सकते हैं कि इजराइल बाजारों पर भी बम बरसा रहा है। यहां की यूनिवर्सिटी स्ट्रीट पर भी बम गिराए गए हैं। इसकी मरम्मत करने में दो-तीन महीने लगेंगे। अल-अल हवा इलाके में भी कई सड़कों पर बम गिराए गए हैं। यहां बिजली और पानी का नेटवर्क भी ध्वस्त हो गया है। सड़कों पर गिरे बमों से तीन मीटर तक गहरे गड्ढे हो गए हैं जिसकी वजह से पानी की लाइनें टूट गई हैं। यहां सबकुछ बर्बाद हो गया है।'
इस समय गाजा में टेली कम्युनिकेशन नेटवर्क भी टूट गए हैं। जिस बहुमंजिला इमारत को शनिवार को ध्वस्त किया गया है वहां कई टेली कम्युनिकेशन कंपनियों को दफ्तर थे। फ्यूजन टेलीकॉम और दूसरी कंपनियां जो यहां से चल रही थीं उनका इंटरनेट नेटवर्क टूट गया है।
इस झड़प में सबसे अधिक नुकसान बच्चों को हुआ है। बताया जा रहा है कि मारे गए लोगों में से 30% बच्चे और महिलाएं हैं।'
इजराइल ने जब भी हमास पर हमला किया है, हमेशा बच्चे मारे गए हैं
इजराइल ये आरोप लगाता रहा है कि गाजा में आतंकवादी संगठन हमास बच्चों को ह्यूमनशील्ड की तरह इस्तेमाल करता है। अब तक लड़ाई में तीस से अधिक बच्चे मारे जा चुके हैं। गुल कहते हैं, 'हमारे आस-पास हर समय बम गिरते रहते हैं। हमारे बच्चे जिस दहशत से गुजर रहे हैं उसका दुनिया को अंदाजा भी नहीं है। इजराइल ने जब भी हमास या कस्साम ब्रिगेड पर हमला किया है, हमेशा बच्चे मारे गए हैं। ऐसा कभी नहीं हुआ कि हमास के किसी नेता को निशाना बनाया गया हो और बच्चों की जान न गई हो।'
गाजा दुनिया के सबसे अधिक घनत्व आबादी वाले इलाकों में शामिल है। इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में भी इजराइल और गाजा की कोई तुलना नहीं है। इजराइल में जहां दुनिया की सबसे एडवांस्ड टेक्नोलॉजी है, गाजा में लोग बुनियादी जरूरतों के लिए तरसते हैं।
बाहा गुल बताते हैं, 'गाजा के मकान इतने मजबूत नहीं हैं कि बमों का सामना कर सकें। कई घरों पर एस्बेस्टस की छतें होती हैं। जब एक टन का बम गरीब लोगों के घरों पर गिरता है तो क्या बर्बादी होती है आप अंदाजा लगा सकते हैं। जिस घर पर बम गिरता है उसके अगल-बगल के घर अपने आप गिर जाते हैं।'
ओमर जमार इंग्लिश लिटरेचर के छात्र हैं और गाजा से चल रहे संगठन वी ऑर नॉट नंबर्स के साथ काम करते हैं। इन दिनों वो गाजा की तस्वीरें और यहां से जड़ी जानकारियां संगठन के सोशल मीडिया और वेबसाइट पर पोस्ट करते हैं। इन दिनों गाजा और इजराइल के बीच चल रही लड़ाई की वजह से उनकी क्लास बंद है। वे बताते हैं, 'मैं गाजा के केंद्र में रहता हूं जो दूसरे इलाके के मुकाबले कुछ सुरक्षित है। मैं अपनी खिड़की के बाहर देखूं तो मुझे धूल उड़ती नजर आ रही है, बमों के धमाके की आवाज आ रही है। हर पंद्रह मिनट में कोई ना कोई बड़ा धमाका होता है, दूर कहीं बम फटता है तो उसकी आवाज भी हमें आती है।'
बाहा गुल गाजा के पत्रकार हैं। जबकि ओमर जमार इंग्लिश लिटरेचर के छात्र हैं और गाजा से चल रहे संगठन वी ऑर नॉट नंबर्स के साथ काम करते हैं।
वो बताते हैं, 'मुझे अभी खबर मिली है कि गाजा के एक चर्चित टॉवर को गिरा दिया गया है। मुस्तहा टावर नाम की इस इमारत में कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों और निजी कंपनियों के दफ्तर थे। ये सब पूरी तरह तबाह हो गए हैं।'
इजराइल का दावा है कि वह चेतावनी देने के लिए पहले हल्के बम गिराता है, लेकिन गाजा के लोगों का कहना है कि ये बम भी नुकसान पहुंचाते हैं और अगर इंसानों पर गिरे तो जान ले लेते हैं। वो चेतावनी को इजराइल का प्रोपेगैंडा बताते हैं। ओमर कहते हैं, 'गाजा में बाहर निकलना बेहद खतरनाक है। आप अगर बाहर निकले हैं तो इस बात की गारंटी नहीं है कि आप जिंदा बचेंगे या नहीं। इस समय गाजा की सड़कें खाली हैं। सिर्फ एंबुलेंस ही आती जाती दिख रही है। बाजार बंद हैं। ये ईद का समय है, लेकिन कोई जश्न नहीं मना रहा है। इस लड़ाई ने हमारी ईद खराब कर दी है।'
ओमर बताते हैं, 'बम गिराए जाने की वजह से गाजा की सभी प्रमुख सड़कें बर्बाद हो गई हैं। एंबुलेंसों के लिए निकलना भी बहुत आसान नहीं है। पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्र में पूरे के पूरे मोहल्ले बर्बाद हो गए हैं। इमारतें जमींदोज हो रही हैं। वहां से भाग रहे लोगों की तस्वीरें देखना दिल तोड़ने वाली हैं। जब मैंने लोगों को अपने घरों को छोड़ कर भागते हुए देखा तो मेरी आंखों में आंसू आ गए। ये लोग स्कूलों में पनाह ले रहे हैं, लेकिन वहां भी लोगों की भीड़ हो गई है, वहां कोई सुविधाएं भी नहीं हैं।'
न हथियार हैं, न इंफ्रास्ट्रक्चर है, हम बस हौसले से लड़ रहे हैं
वे कहते हैं, 'अगर आप इजराइल और हमास की तुलना करें तो ये ऐसा है कि आप हाथी की तुलना चूहे से करें। आप ये देखें कि इजराइल में कितने लोग मारे गए, कितनी इमारतें गिरी और गाजा में कितने लोग मरे तो आपको पता चल जाएगा कि आतंकवादी कौन है।' ओमर कहते हैं, गाजा में किसी के पास शेल्टर हाउस नहीं है। जब बम गिरता है तो उनके पास भागकर जान बचाने के लिए कोई जगह नहीं होती है। गाजा के लोग सिर्फ ये दुआ करते हैं कि बम उन पर न गिरे। दुआ करने के अलावा वो कुछ नहीं कर सकते हैं। वे कहते हैं, 'हमारे पास दुआ करने के अलावा कुछ नहीं है। न हथियार हैं, न इंफ्रास्ट्रक्चर है। हम बस जो भी लड़ रहे हैं हौसले से लड़ रहे हैं।'
इजराइल ने गाजा पर नियंत्रण करने वाले संगठन हमास के 500 से अधिक ठिकाने तबाह करने का दावा किया है।
इजराइली हवाई हमलों की वजह से गाजा में बिजली और पानी सप्लाई का नेटवर्क भी टूट गया है। ओमर कहते हैं, 'गाजा में अब बहुत से लोगों के पास बिजली और पानी नहीं है। गर्मियां आ रही हैं और लोग पंखे भी नहीं चला पा रहे हैं। कई बार फास्फोरस गैस के बम भी गिराए जाते हैं। ये गैस शरीर के संपर्क में आकर जलन पैदा करती है। जब इस गैस का बम गिरता है तो लोगों को खिड़कियां भी बंद करनी पड़ती हैं। लोग खिड़की बंद करते हैं तो वो बम की आवाज से वो टूट जाती हैं, खिड़की बंद न करें तो गैस के घर में घुसने का खतरा होता है।'
फिलिस्तीनियों के पास लड़ने के अलावा अभी कोई विकल्प नहीं है
फिलिस्तीनी संगठनों और इजराइली सेना का ताकत में कोई मुकाबला नहीं है। बावजूद इसके लड़ाई जारी है। हमास ने कहा है कि वह इजराइल पर रॉकेट दागता रहेगा। वहीं इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि इजराइल गाजा पर हमले जारी रखेगा। अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद इजराइल के हवाई हमलों में कोई कमी नहीं आई है। ऐसे ये लड़ाई कब खत्म होगी, कहना मुश्किल है। ओमर कहते हैं, 'जब तक मस्जिद अल अक्सा पर खतरा रहेगा, जब तक फिलिस्तीनी बच्चे इजराइली हमलों में मारे जाते रहेंगे, तब तक फिलिस्तीनी शांत नहीं बैठेंगे। उनके पास लड़ने के अलावा अभी कोई विकल्प नहीं है।'
14 मई 1948 को स्थापित इजराइल ने जून 1967 में हुए युद्ध में बड़े फिलिस्तीनी इलाकों पर कब्जा कर लिया था। तब से इजराइल लगातार फिलिस्तीनी जमीन पर यहूदी बस्तियां बसाता जा रहा है। हाल ही में इजराइल के सुप्रीम कोर्ट ने एक और फिलिस्तीनी इलाके पर इजराइली कब्जे को मंजूरी दी है। ओमर सवाल करते हैं, 'आप बताइए, जब कोई आपका घर, आपकी जमीन जबरदस्ती छीन ले तो आप क्या करेंगे। इजराइल ताकत के बल पर फिलिस्तीनियों की जमीन छीन रहा है। ऐसे में फिलिस्तीनी लड़ें न तो क्या करें। क्या उन्हें अपने बच्चों की जान बचाने का हक नहीं है?'