अजमेर। इजराइल और फिलिस्तीनी संगठन हमास के बीच चल रहे संघर्ष को देखते हुए पुष्कर में बने इजराइली पर्यटकों के धर्मस्थल 'खबाद हाउस' पर सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं। RAC (राजस्थान आर्म कांस्टेबुलरी) के सशस्त्र जवान 24 घंटे सूने पड़े इस विदेशी धर्मस्थल के बाहर पहरा दे रहे हैं। साथ ही CCTV के जरिए इस पर निगरानी रखी जा रही है। मैनेजर हनुमान बाकोलिया ने बताया कि यहां पर किसी के आने व जाने पर पाबंदी है। अभी यहां पर कोई रह नहीं रहा है।
बीते एक साल से यहां ताले लटके हुए हैं। निकट भविष्य में भी इसके फिलहाल खुलने की संभावना नहीं है। इसका कारण कोरोना के चलते इजराइली पर्यटकों के धर्म गुरु का नहीं लौटना है। प्रतिवर्ष इजराइली पर्यटकों के धर्मगुरु तेज गर्मी के चलते अप्रैल के आखिरी दिनों में खबाद हाउस को बंद कर स्वदेश चले जाते हैं। ये पांच माह बंद रहता है और बाद में सितंबर में वापस खुल जाता है। गत साल कोरोना आपदा के कारण इजराइली पर्यटकों के धर्मगुरु स्वदेश से नहीं लौटे और इस साल में एक भी पर्यटक खबाद हाउस के आसपास नजर नहीं आया। पूरी तरह से सन्नाटा पसरा हुआ है।
इजराइल और हमास के बीच चल रहा संघर्ष
इजराइल और फिलिस्तीनी संगठन हमास के बीच संघर्ष चल रहा है और इसके बाद पिछले सात दिन से वहां बाजार बंद हैं। जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है। लोग सहमे हुए और दिन-रात मकानों में बने बंकरों में बिता रहे हैं। बमबारी हो रही है। लगातार वॉर्निंग सायरन गूंज रहे हैं। इलाकों की छोटी-छोटी दुकानें कुछ वक्त के लिए खोली जा रही हैं, ताकि लोग जरूरी चीजों को खरीद कर गुजारा कर सकें। इजरायल में करीब 10 हजार भारतीय रहते हैं। इनमें ढाई-तीन हजार गुजराती हैं, जो राजकोट के अलावा पोरबंदर-जूनागढ़ और वडोदरा सहित इलाकों से हैं।इजरायल की 9 यूनिवर्सिटी में करीब 1200 भारतीय स्टूडेंट हैं। स्टूडेंट्स हॉस्टल से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।
समय समय पर की जाती है सुरक्षा जांच
खबाद हाऊस आतंकियों की हिट लिस्ट में भी शामिल है। मुंबई हमले के मास्टर माइंड डेविड कोलमैन हैडली ने इसकी रैकी की थी। हैडली हमला करने में तो कामयाब नहीं हुआ, लेकिन सरकार ने खबाद हाउस को सुरक्षा के घेरे में ले लिया। समय-समय पर पुलिस एवं सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी खबाद हाऊस की सुरक्षा की जांच करने आते हैं।