गहलोत कैबिनेट ने ग्लोबल टेंडर को दी मंजूरी, CM बोले-बेहतर होता केंद्र सरकार खरीदकर राज्यों को देती

Posted By: Himmat Jaithwar
5/13/2021

18+ के लोगों के वैक्सीनेशन के लिए देश में पर्याप्त वैक्सीनेशन नहीं मिलने पर अब राजस्थान सरकार ने इसे विदेशों से खरीदने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में बुधवार शाम को हुई कैबिनेट की वर्चुअल बैठक में कोरोना वैक्सीन आयात करने के लिए ग्लोबल टेंडर की मंजूरी दी गई। अब वैक्सीन खरीदने के लिए जल्द सरकार ग्लोबल टेंडर जारी करेगी।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दो दिन पहले ही स्वास्थ्य विभाग और कोर ग्रुप के अफसरों को कोरोना वैक्सीन के विदेशों से आयात की तैयारी शुरू करने के आदेश दिए थे। मुख्यमंत्री के आदेशों के बाद से ही स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने कवायद शुरू कर दी थी।

फाइजर और स्पुतनिक लाने की तैयारी
फिलहाल अमेरिका की फाइजर और रूस की स्पुतनिक वैक्सीन की खरीदारी के लिए राजस्थान सरकार के अफसर दोनों देशों की कंपनियों से संपर्क कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश सहित कई राज्य वैक्सीन आयात के लिए ग्लोबल टेंडर निकाल चुके हैं।

राजस्थान सरकार ने सीरम इंस्टीट्यूट को 3.75 करोड़ वैक्सीन का ऑर्डर दिया था, लेकिन अब तक उसका एक फीसदी ही सप्लाई हुआ है। आगे भी सीरम इंस्टीट्यूट बल्क में सप्लाई करने की हालत में नहीं है, क्योंकि वैक्सीन का प्रोडक्शन मांग के मुकाबले कम है। इसलिए राजस्थान सरकार ने विदेश से वैक्सीन आयात का फैसला किया है।

देश में बनी वैक्सीन पर 5% GST लग रहा है। विदेश से आयात करने पर राजस्थान सरकार को GST नहीं देनी होगी। हाल ही विदेश से आयात होने वाली कोरोना वैक्सीन को GST और आयात पर लगने वाले हर तरह के टैक्स से मुक्त किया गया है।

गहलोत का निशाना- बेहतर होता केंंद्र सरकार ग्लोबल टेंडर निकालकर वैक्सीन खरीदती
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार को सुझाव देने के साथ निशाना भी साधा। गहलोत ने ट्वीट किया- देश में कोविड वैक्सीन की कमी के कारण कई प्रदेश दूसरे देशों से वैक्सीन लेने के लिए ग्लोबल टेंडर निकाल रहे हैं। बेहतर यह होता कि केन्द्र सरकार ग्लोबल टेंडर निकालकर वैक्सीन खरीदती और राज्यों में वितरण करती। बाद में इसका भुगतान राज्य सरकारों से ले लेती।

हालांकि देशवासियों की मांग है कि अन्य टीकों की तरह इस घातक महामारी का टीका केन्द्र सरकार द्वारा पूरी तरह मुफ्त उपलब्ध करवाया जाए। इससे वन स्टॉप प्रक्योरमेंट की व्यवस्था बनती जो सभी राज्यों के लिए बेहतर होती।



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