मुम्बई। रुचि सोया इंडस्ट्रीज ने कहा है कि वह पतंजलि के बिस्कुट बिजनेस को खरीदेगी। पतंजलि नेचुरल बिस्कुट प्राइवेट लिमिटेड को वह 60.02 करोड़ रुपए में खरीदेगी। इस संबंध में इसके बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने 10 मई को मंजूरी दी थी।
बिजनेस ट्रांसफर एग्रीमेंट के तहत डील होगी
कंपनी ने शेयर बाजार में दी सूचना में कहा है कि इस संबंध में पतंजलि नेचुरल बिस्कुट के साथ में बिजनेस ट्रांसफर एग्रीमेंट हुआ है। यह डील अगले दो महीनों में पूरी हो जाएगी। कंपनी ने कहा कि इसके तहत 60.02 करोड़ रुपए पर सहमति बनी है। कंपनी ने कहा कि यह लेन देन एक संयुक्त आधार पर तय हुआ है। डील की जो रकम है वह दो बार में दी जाएगी।
15 करोड़ रुपए डील बंद होने की तारीख तक दिए जाएंगे
रुचि सोया के मुताबिक, करीबन 15 करोड़ रुपए डील के बंद होने की तारीख पर या उससे पहले दिया जाएगा। जबकि 45 करोड़ रुपए डील बंद होने की तारीख से 90 दिनों के अंदर दिया जाएगा। इस ट्रांजेक्शन में कांट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग एग्रीमेंट के साथ कर्मचारियों का ट्रांसफर, असेट्स, वर्तमान की असेट्स और देनदारी, लाइसेंस और परमिट आदि होंगे। कंपनी ने कहा है कि इस डील के पीछे उद्देश्य यह है कि प्रोडक्ट पोर्टफोलियो को बढ़ाया जाए।
आगे की रणनीति को सपोर्ट करेगी
रुचि सोया इंडस्ट्रीज ने कहा कि यह डील कंपनी की आगे की रणनीति को सपोर्ट करेगी। कंपनी की आगे की रणनीति यह है कि वह एफएमसीजी सेक्टर में एक बड़ा प्लेयर बनना चाहती है। रुचि सोया और पतंजलि नेचुरल बिस्कुट संबंधित पार्टी हैं और नॉन कंपीट अरेंजमेंट भी की हैं। इसके तहत दोनों भारत में डायरेक्ट या इनडायरेक्ट एक दूसरे के क्षेत्र में बिस्कुट के बिजनेस में नहीं जा सकती हैं। यहां तक कि पतंजलि आयुर्वेद के साथ भी ऐसा ही होगा।
448 करोड़ का था कारोबार
पतंजलि नेचुरल बिस्कुट का कारोबार 2019-20 में 448 करोड़ रुपए का रहा है। गौरतलब है कि रुचि सोया एक दिवालिया कंपनी थी और इसे 2019 में बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद ने खरीदा था। पिछले एक साल में इसका शेयर 13 रुपए से बढ़ कर 1600 रुपए तक जा पहुंचा था। हालांकि यह अभी 759 रुपए के आस पास कारोबार कर रहा है। आज इसका शेयर बीएसई पर 3 पर्सेंट बढ़ कर बंद हुआ। एक महीने में यह 100 रुपए के करीब बढ़ा है।
2019-20 में 13,117 करोड़ रेवेन्यू
वित्त वर्ष 2019-20 में इसका रेवेन्यू 13,117 करोड़ रुपए रहा है। जबकि 7,672 करोड़ रुपए का लाभ रहा है। यह लाभ इसलिए ज्यादा रहा क्योंकि कंपनी को एक असेट्स बेचने से ज्यादा फायदा हुआ था। दिसंबर की तिमाही में 4,465 करोड़ के रेवेन्यू पर इसे 227 करोड़ रुपए का फायदा हुआ था। मार्च 2018 में इसे 5,500 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था।