स्कंद पुराण के मुताबिक वैशाख को बहुत ही खास महीना माना गया है। इस महीने की शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है। ये पर्व हिंदू धर्म में बहुत ही खास माना जाता है। इस साल ये शुक्रवार, 14 मई को मनाया जाएगा। इस तिथि को जो शुभ काम किए जाते हैं उनके अक्षय फल मिलते हैं इसलिए इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है। इस पर्व को आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। अक्षय तृतीया पर नई चीजों की खरीदारी और सोने से बनी चीजें या आभूषण खरीदना बेहद शुभ माना जाता है।
अक्षय तृतीया पर्व कब से कब तक
इस साल वैशाख माह के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि शुक्रवार, 14 मई को सूर्योदय के साथ शुरू होगी और अगले दिन शनिवार को सुबह तकरीबन 8 बजे तक रहेगी। रोहिणी नक्षत्र का संयोग भी शुक्रवार को ही बनने से धर्म ग्रंथों के मुताबिक 14 मई को ही अक्षय तृतीया पर्व मनाया जाना चाहिए।
दान से दूर होता है बुरा समय
इस शुभ तिथि पर दान करने का अत्यधिक महत्व है, ऐसे में अक्षय तृतीया पर अपनी कमाई से कुछ अंश जरूर दान करें। इस दिन 14 तरह के दान का महत्व बताया है। ये दान गौ, भूमि, तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, धान्य, गुड़, चांदी, नमक, शहद, मटकी, खरबूजा और कन्या है। अगर ये न कर पाएं तो सभी तरह के रस और गर्मी के मौसम में उपयोगी चीजों का दान करना चाहिए। इन चीजों का दान करने से बुरा समय दूर होता है।
व्रत और भगवान विष्णु-लक्ष्मी की पूजा
अक्षय तृतीया पर नई चीजों की खरीदारी बहुत ही शुभ मानी जाती है विशेषकर इस दिन सोने से बनी चीजें या आभूषण खरीदना बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन व्रत रखकर विधि विधान से पूजा-पाठ करने से न सिर्फ भगवान विष्णु जी एवं मां लक्ष्मी, बल्कि बुद्धि और विद्या का भी वरदान मिलता है। मान्यता है कि इस दिन कुबेर देवता ने देवी लक्ष्मी से धन की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की थी, जिससे प्रसन्न होकर देवी लक्ष्मी ने उन्हें धन और सुख-समृद्धि से संपन्न किया था।