देश अभी कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है और अभी से तीसरी लहर की आशंका पर चर्चा शुरू हो गई है। सिर्फ सरकार ही नहीं कोर्ट भी इस पर चिंतित है। महामारी से जुड़े विशेषज्ञ कहते हैं कि तीसरी लहर कब आएगी...आएगी भी या नहीं, ये भविष्यवाणी अभी नहीं की जा सकती है। लेकिन इतना जरूर है कि यदि अभी जनता और सरकार अपनी-अपनी भूमिका सही तरीके से निभा ले तो शायद तीसरी लहर आने से पहले ही रुक जाएगी।
नेशनल कोविड टास्क फोर्स-कोविड 19 के सदस्य प्रो. के श्रीनाथ रेड्डी का कहना है कि तीसरी लहर जैसी स्थिति ही न हो, इसके लिए जरूरी है कि आम लोग कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर का पालन करें और सरकार को चाहिए कि अगले एक साल तक देश में सभी बड़े आयोजनों पर पूरी तरह से रोक लगा दे। रैली और धार्मिक आयोजन ही नहीं, बड़ी-बड़ी पार्टी और शादी समारोह पर भी पूरी तरह से रोक लगा दे।
ऐसा करने से न सिर्फ संक्रमण की रफ्तार धीमी होगी बल्कि इस दौरान बड़ी संख्या में वैक्सीन लगा कर लोगों को सुरक्षित किया जा सकता है। पिछले हफ्ते देश में तीसरी लहर को अपरिहार्य बताने वाले प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के. विजयराघवन का भी कहना है कि यदि हम कड़े कदम उठाएं तो संभव है कि तीसरी लहर हर जगह न आए। यह भी संभव है कि कहीं भी न आए।
यह सिर्फ इस पर निर्भर करता है कि हम गाइडलाइंस का कितनी अच्छी तरह पालन करते हैं। इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रल बायोलॉजी के निदेशक डॉ. अनुराग अग्रवाल का कहना है कि इस वर्ष की शुरुआत में लोगों ने ढिलाई बरतनी शुरू कर दी, जिसका नतीजा सामने है। अगर अब भी हम कोविड नियमों का पालन सख्ती से करें और एक बड़ी आबादी को वैक्सीनेट कर सकें तो संभव है की तीसरी लहर कम घातक हो। (एजेंसी के इनपुट साथ)
कुछ विशेषज्ञों का मानना कि नया वैरिएंट आए तो ही तीसरी लहर संभव
वद्धर्मान महावीर मेडिकल कॉलेज में कम्युनिटी मेडिसिन के प्रमुख प्रो. जुगल किशोर का कहना है कि राष्ट्रीय स्तर पर तीसरी लहर की स्थिति मुश्किल है। एक से डेढ़ माह में संक्रमण की रफ्तार पूर्वोत्तर भारत की ओर बढ़ेगी। दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में दोबारा ऐसी स्थिति नहीं होगी। अब वायरस कोई नया वैरिएंट बना ले तो ही तीसरी लहर आ सकती है।
जोधपुर स्थित NIIRNCD के डायरेक्टर डॉ. अरुण शर्मा कहते हैं, वैज्ञानिकों को सभी म्यूटेशन्स की पहचान करने का भी वक्त नहीं मिल रहा। कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर ही बचाव है।
अमेरिका-ब्रिटेन मानते हैं इंडियन वैरिएंट पर वैक्सीन नाकाम हो सकती है
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन मानती हैं कि कोरोना के वैरिएंट बी.1.617 का भारत में महामारी की मौजूदा स्थिति में बड़ा हाथ है। इसे इंडियन वैरिएंट के नाम से भी जाना जा रहा है। पिछले साल अक्टूबर में पहली बार भारत में दिखे इस वैरिएंट को इसके लगातार म्यूटेशन्स की वजह से अभी तक WHO ने ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ की श्रेणी में रखा है।
हालांकि, अमेरिका और ब्रिटेन इसे ‘वैरिएंट ऑफ कन्सर्न’ मान रहे हैं। यह श्रेणी उन वैरिएंट्स के लिए होती है जो मूल वायरस से ज्यादा खतरनाक, ज्यादा संक्रामक हों और वैक्सीन के प्रभाव से भी बच निकलें। स्वामीनाथन ने कहा कि जल्द ही WHO भी इससे सहमत हो सकता है। यदि यह वैरिएंट वैक्सीन के प्रभाव से बच रहा हो तो यह पूरे विश्व के लिए चिंता की बात होगी। इस वैरिएंट के कुछ म्यूटेशन ज्यादा संक्रामक हैं और वैक्सीन या प्राकृतिक रूप से बने एंटीबॉडी का प्रतिरोध भी कर रहे हैं।