पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान तीन दिन के सऊदी अरब दौरे पर हैं। बतौर प्रधानमंत्री उनकी तीन साल में यह पांचवी सऊदी यात्रा है। इस मामले में एक रोचक पहलू भी है। दरअसल, इमरान और आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा को 7 मई को एक साथ सऊदी जाना था। यह ऑफिशियल शेड्यूल था, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि सऊदी शासक प्रिंस सलमान ने जनरल बाजवा को चार दिन पहले ही (3 मई) को बुला लिया। इमरान शुक्रवार को वहां पहुंचे हैं।
इससे साफ हो जाता है कि पाकिस्तान में सरकार से ज्यादा सेना का दबदबा है। इतिहास में इसकी कई मिसालें हैं।
कर्ज की किश्तें चुकाने के लिए कर्ज
globalvillagespace.com ने अपनी रिपोर्ट में साफ लिखा है कि इमरान और बाजवा की जोड़ी कर्ज लेने के लिए सऊदी अरब के दौरे पर है। दूसरी तरफ, दुनिया टीवी चैनल पर एक बहस के दौरान पाकिस्तान के एक फॉरेन रिलेशन एक्सपर्ट ने इस दौरे पर ही सवालिया निशान लगा दिए। उनके मुताबिक- पाकिस्तान अपनी बदहाल इकोनॉमी की वजह से उस मुकाम पर पहुंच गया है, जहां से उसे कोई नहीं उबार सकता। इमरान सरकार के दौर में कर्ज की किश्तें चुकाने के लिए भी कर्ज लिया जा रहा है।
‘गिव एंड टेक फॉर्मूला’
रिजवान आगे कहते हैं- सिर्फ एक बात समझने की है। इमरान और बाजवा को प्रिंस सलमान ने दावत के लिए नहीं बुलाया है। इसके पीछे अमेरिकी हाथ है। सऊदी के कहे पर UAE, बहरीन, कतर और ओमान ने यहूदी दुश्मन मुल्क इजराइल को मान्यता दी, उसके साथ डिप्लोमैटिक रिलेशन कायम किए। अब पाकिस्तान की बारी है।
प्रिंस सलमान भी जानते हैं कि पाकिस्तान की कमजोर नस इकोनॉमी है। और वो सिर्फ चीन के भरोसे कुछ नहीं कर सकता। वैसे भी जबसे पाकिस्तान बना है, उसकी सबसे ज्यादा मदद सऊदी अरब ने ही की है। सऊदी प्रिंस ने इमरान और बाजवा को साथ बुलाया ही इसलिए है कि वो इजराइल पर सीधा फैसला ले सकें। बहुत आसान शब्दों में समझें तो पाकिस्तान को कर्ज तब मिलेगा, जब वो इजराइल को मान्यता देगा। हालांकि, उसे इसके लिए कुछ मोहलत दी जाएगी।
पाकिस्तान में बिगड़ सकते हैं हालात
पाकिस्तानी अवाम इजराइल को इस्लाम का दुश्मन मानती है। उसके सियासतदान भी कश्मीर और मुस्लिम वर्ल्ड के नाम पर ही वोट बटोरते हैं। फरवरी में इमरान ने एक इंटरव्यू में कहा था- पाकिस्तान पर इजराइल को कबूल करने का भारी विदेशी दबाव है। लेकिन, मैं उन देशों के नाम नहीं बता सकता। हमारी कौम कभी इजराइल से रिश्ते कबूल नहीं करेगी। पाकिस्तान की फौज में भी कई कट्टरपंथी जनरल हैं। अमेरिका ओसामा बिन लादेन के मामले में इस तरफ इशारा कर चुका है। ऐसे में फौज का साथ जरूरी है और इसीलिए इमरान से पहले आर्मी चीफ को रियाद बुलाया गया। प्रिंस सलमान से उनकी सोमवार को मुलाकात हुई।