कोरोना में मुंबई महानगर पालिका(BMC) ने जिस तरह जरूरतमंद मरीजों के लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था की, उसकी तारीफ सुप्रीम कोर्ट ने भी की है। दैनिक भास्कर ने मुंबई मनपा आयुक्त इकबाल सिंह चहल और हेल्थ मामलों के एक्सपर्ट से समझने की कोशिश की कि आखिर वह क्या वजह थी जिसके कारण दिल्ली के विपरीत मुंबई में कोरोना महामारी और ऑक्सीजन मैनेजमेंट को लेकर अफरातफरी नहीं मची।
पता चला कि माइक्रो प्लानिंग, कोऑर्डिनेशन और बेहतर प्रबंधन से मुंबई ने संक्रमण की रफ्तार रोकी। मुंबई मनपा आयुक्त इकबाल सिंह चहल ने बताया कि कोरोना की पहली लहर के वक्त हमने पिछले साल ही भविष्य की गंभीरता और जरूरत को भांप लिया था। चहल ने बताया कि हमें पता था कि संक्रमितों को ऑक्सीजन की बेहद जरूरत पड़ती है, इसलिए सभी बड़े कोविड सेंटर में ऑक्सीजन की सप्लाई का पहले ही प्रबंध कर लिया था।
BMC को पहले ही दूसरी लहर का अंदाजा हो गया था, इसलिए वे कई महीने से इसकी तैयारी कर रहे थे।
चहल की ओर से उठाए गए कदम
- अस्पतालों में ही बड़ी क्षमता की ऑक्सीजन टांकियां बनवाई गईं।
- जिन अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड हैं, वहां नियमित ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए सरकार के 24 विभागों के बीच 6 कोऑर्डिनेशन अफसर नियुक्ति किए।
- माइक्रो प्लानिंग, कोऑर्डिनेशन व तुरंत एक्शन पर फोकस रखा।
- केंद्र सरकार, राज्य सरकार और ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनियों से लगातार संपर्क रखा। हर जरूरतमंद तक हमने ऑक्सीजन सप्लाई की।
- मुंबई मनपा के सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित न हो, इसके लिए पहली लहर के तुरंत बाद ही कस्तुरबा अस्पताल और एचबीटी ट्रॉमा केयर अस्पताल में पीएसए तकनीक पर आधारित ऑक्सीजन प्लांट लगा दिया।
- 12 अन्य स्थानों पर भी 45 मीट्रिक टन पीएसए तकनीक वाले ऑक्सीजन प्लांट लगाने का काम आखिरी दौर में है।
- रोजाना कितना ऑक्सीजन मुंबई को मिला इसकी जानकारी गुगल ड्राइव पर अपडेट की जाती है। इससे रोजाना ऑक्सीजन की डिमांड की तुलना में कितना ऑक्सीजन मुंबई को मिला? इस पर नजर रखने में मदद हुई।
मुंबई में हर दिन मिल रही है 235 मीट्रिक टन ऑक्सीजन
चहल ने आगे बताया कि मुंबई को रोजाना विभिन्न कंपनियां से 235 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिल रही है। हमने यह सुनिश्चित किया कि ऑक्सीजन के प्रोडक्शन स्थल से निकलने से लेकर अस्पतालों तक पहुंचने के लिए विशेष टीम इसकी निगरानी करे।
24 वॉर रूम, 10 एंबुलेंस और 50 मोबाइल हॉस्पिटल से नजर
आईएमए के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रवि वानखेड़कर ने बताया कि 24 वॉर रूम बनाए गए। यहां 10 एंबुलेंस और 50 मोबाइल वैन अस्पताल बनाए। स्लम के सार्वजनिक शौचालय काे दिनभर में कई बार सेनेटाइज किया जाता है। मास्क नहीं लगाने वालों पर कड़ी कार्रवाई होती है। घर तक राशन पहुंचाने की जिम्मेदारी प्रशासन ने उठाई, इससे संक्रमण रोका।
मुंबई मनपा के अस्पतालों में लगाया ऑक्सीजन प्लांट और कोविड सेंटरों तक ऑक्सीजन पहुंचने तक रखी गई बारीक निगरानी।
प्रति 10 लाख में से रोज 3.98 लाख लोगों की टेस्टिंग हो रही
अतिरिक्त मनपा आयुक्त सुरेश काकाणी ने कहा कि ‘मेरा परिवार, मेरी जिम्मेदारी’ मुहिम के तहत घर-घर जाकर ऑक्सीजन स्तर, तापमान मापा जा रहा है। ‘चेज द वायरस’ मुहिम में 4टी फार्मूले पर भी अमल किया गया। 31,695 बेड, 12,754 ऑक्सीजन बेड और 2,929 आईसीयू बेड तैयार किए। प्रति 10 लाख में रोज 3,98,445 टेस्टिंग कर रहे हैं।
मुंबई में तीन सीरो सर्वे कराने का निर्णय सही साबित हुआ : डॉ. पुरोहित
मुंबई में कोरोना मरीजों का इलाज करने वाले डॉ. महेश कुमार पुरोहित बताते हैं कि मुंबई मनपा ने अलग अलग अंतराल पर सीरो सर्वे कराने का मुंबई मनपा का फैसला सही साबित हुआ। उन्होंने बताया कि जुलाई 2020 को पहला सीरो सर्वे मुंबई के तीन विभाग में हुआ। अगस्त 2020 को दूसरा सीरो सर्वे फिर से मुंबई के तीन अन्य विभागों में हुआ। फिर मार्च 2021 को तीसरा सीरो सर्वे किया गया। इन सीरो सर्वे के माध्यम से मुंबई मनपा ने यह पता लगाया कि शहर के कितने फीसदी लोगों के शरीर में एन्टी बॉडी निर्माण हुई है। इसके अलावा कंटेनमेंट जोन में लोगों को पुलिस की मदद लेकर जीवनावश्यक चीजें पहुंचाई जाती हैं। ताकि लोगों को अपने घरों से बाहर निकलने की जरूरत महसूस न हो। इससे कोरोना का संक्रमण फैल नहीं पाया।