पिछले साल कोरोना आया तो कई इंश्योरेंस कंपनियों ने इसे कमाई का अवसर मान लिया और स्पेशल कोविड मेडिक्लेम पॉलिसियां लॉन्च कर दीं। लेकिन कंपनियों का अनुमान गलत निकला और उन्हें प्राप्त प्रीमियम की कुल रकम से 150% से ज्यादा का भुगतान करना पड़ गया। मात्र 25% पॉलिसी होल्डर ने ही मेडिकल क्लेम किया था और कंपनियां उससे ही घबरा गईं। इसी के चलते अब इंश्योरेंस कंपनियों ने कोविड पॉलिसी से हाथ खींच लिए हैं। ऐसे में अब जो लोग नई पॉलिसी लेने का प्लान बना रहे थे या पुरानी पॉलिसी रिन्यू करानी थी, उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
ज्यादातर कंपनियां स्पेशल कोविड मेडिक्लेम पॉलिसी कर रहीं बंद
अधिकांश कंपनियों ने स्पेशल कोविड मेडिक्लेम पॉलिसी बंद कर दी है। इतना ही नहीं कंपनियों ने जनरल मेडिक्लेम पॉलिसी का प्रीमियम भी बढ़ा दिया है। पिछले साल मार्च में जब कोरोना संक्रमण बढ़ने लगा था, तब इंश्योरेंस कंपनियों ने कोरोना के मरीज के इलाज पर होने वाले खर्च के खिलाफ सुरक्षा देने वाली कोरोना कवच मेडिक्लेम पॉलिसी शुरू की थी।
इस पॉलिसी के तहत हर महीने 500 से लेकर 5500 रुपए तक के मामूली प्रीमियम पर कोरोना के इलाज की सुरक्षा दी गई। ये पॉलिसियां साढ़े 3 से साढ़े 9 महीने की अवधि की थीं। इसमें बीमा राशि 50 हजार से लेकर 5 लाख रुपए तक है।
कंपनियों ने पुरानी पॉलिसी को रिन्यू करना बंद किया
कंपनियों को बिल्कुल भी एहसास नहीं था कि उन्हें नुकसान उठाना पड़ जाएगा। इसके बाद कंपनियों ने पुरानी पॉलिसी को रिन्यू करना बंद कर दिया। साथ ही विशेष कोविड मेडिक्लेम पॉलिसी बंद कर दी। अब कोविड की अलग से कोई मेडिक्लेम पॉलिसी नहीं है। एक कंपनी ऐसी है, जो कोरोना स्पेशल पॉलिसी शुरू करने का साहस जुटा रही है।
25% क्लेम में ही कंपनियों की ये हालत
कोविड मेडिक्लेम पॉलिसी होल्डर में से केवल 25% ने ही क्लेम किया। जबकि 75% ने कोई क्लेम नहीं किया। इसके बावजूद कंपनियां घाटे में आ गईं। पॉलिसी होल्डर के बड़े भुगतान से बचने के लिए बीमा कंपनियों ने पॉलिसी ही बंद कर दी है।
ऐसे में अब लोगों को क्या करना चाहिए?
मुंबई के बीमा लोकपाल यानी इंश्योरेंस ओम्बड्समैन मिलिंद खरात कहते हैं कि अगर कोई कंपनी आपको बीमा पॉलिसी नहीं दे रही है या आपकी पुरानी पॉलिसी को रिन्यू करने में आनाकानी कर रही है तो आप बीमा रेगुलेटरी इरडा (IRDAI) में इसकी शिकायत कर सकते हैं। इरडा की वेबसाइट पर आपको फोन नंबर और ई-मेल आईडी मिल जाएगी। आप इन पर अपनी समस्या बता सकते हैं। इसके बाद इरडा आपकी समस्या का समाधान करेगा।
इसके अलावा आप बीमा कंपनी के ज़ोनल ऑफिसर को भी इसकी शिकायत कर सकते हैं। अगर वो नहीं सुनता है तो आप अपने प्रदेश के बीमा लोकपाल को भी शिकायत कर सकते हैं। हालांकि इसमें थोड़ा लम्बा समय लग सकता है।
सस्ती होने के कारण बढ़ी डिमांड
कोरोना के महंगे इलाज के कारण लोग मेडिक्लेम की तरफ आकर्षित हुए। पिछले साल कोरोना के शुरुआती चरण में इरडा के कहने पर बीमा कंपनियों ने कोरोना मरीजों के लिए विशेष पॉलिसी लॉन्च की। अब जब कोरोना की स्थिति फिर से नियंत्रण से बाहर हो गई, तो कंपनियों ने विशेष कोविड पॉलिसी रिन्यू करना और नई पॉलिसी देना बंद कर दिया। हालांकि जनरल मेडिक्लेम में कोरोना रिस्क को शामिल कर लिया। लेकिन ये विशेष कोविड पॉलिसी से काफी महंगी हैं।
इनकी 1 लाख की पॉलिसी का सालाना प्रीमियम 1250 से 6000 रुपए तक देना होता है। इसके मुकाबले कोरोना कवच कम प्रीमियम पर मिलती है। इसमें 5 लाख तक के कवर के लिए आपको करीब 5500 रुपए तक ही अधिकतम प्रीमियम चुकाना होता है। यही कारण है कि लोग इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं।
ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं पॉलिसी
ऑनलाइन इंश्योरेंस सॉल्यूशन फर्म ‘बेशक’ के फाउंडर और एक्सपर्ट महावीर चोपड़ा कहते हैं कि कई कंपनियां कोरोना कवच पॉलिसी को ऑनलाइन ही खरीदने की सुविधा दे रही हैं। कई वेबसाइट पर सभी बीमा कंपनियों की पॉलिसियों की जानकारी हासिल करने के साथ ही यहां से पॉलिसी खरीद भी सकते हैं। आप इनके जरिए भी पॉलिसी खरीद सकते हैं।
कोरोना स्पेशल पॉलिसी और आम इंश्योरेंस पॉलिसी में क्या अंतर है?
महावीर चोपड़ा कहते हैं कि कोरोना स्पेशल पॉलिसी जैसे कोरोना कवच में सिर्फ कोरोना होने पर ही इलाज का खर्च कवर होता है। वहीं जनरल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में कोरोना के साथ अन्य बीमारी होने पर भी आपको कवर मिलता है। इसीलिए जनरल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम कोरोना कवच पॉलिसी की तुलना में ज्यादा है।
2 से 5 लाख तक का कवर है पर्याप्त
महावीर चोपड़ा कहते हैं कि कोरोना के इलाज का औसत खर्च 2.50 लाख के करीब आ रहा है। ऐसे में कोरोना के इलाज के लिए 2 से 5 लाख रुपए का इंश्योरेंस कवर काफी है। ऐसे में कोरोना कवच कोरोना होने पर आपको सही इलाज दिला सकने में मदद कर सकता है।
30% तक बढ़ गए सामान्य मेडिक्लेम के प्रीमियम
बजाज अलायंज के पीयूष रावल कहते हैं कि कोरोना काल में जिसकी अधिक डिमांड रही, वह है- मेडिक्लेम पॉलिसी। यह पॉलिसी अब महंगी हो गई। कोरोना की पॉलिसी में कम्पनी को काफी रुपए चुकाने पड़े। इस कारण सामान्य पॉलिसी के प्रीमियम में भी 30% तक की बढ़ोतरी कर दी गई।
वहीं, स्टार हेल्थ के एडवाइजर भावेश छजेरा कहते हैं कि कोरोना स्पेशल पॉलिसी शुरुआत में अच्छी बिकीं, लेकिन कोरोना के दौरान क्लेम बढ़ गए। लिहाजा क्लेम का भुगतान करने के लिए कंपनियों के पास फंडिंग नहीं बची।