जोधपुर। नाबालिग छात्रा के यौन उत्पीड़न मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहा आसाराम कोरोना संक्रमित पाया गया है। कल देर रात तबीयत बिगड़ने पर उसे महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया। आईसीयू में भर्ती आसाराम की तबीयत फिलहाल स्थिर बनी हुई है। डॉक्टर लगातार उसकी स्थिति पर नजर रखे हुए है। वहीं, उसके समर्थक एम्स में इलाज कराने की मांग कर रहे है। जबकि अस्पताल अधीक्षक का कहना है कि फिलहाल एम्स भेजने का कोई विचार नहीं है। यहां पर भी बेहतर इलाज की सुविधाएं उपलब्ध है।
जोधपुर जेल में कुछ बंदियों के कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद एहतियात के तौर पर आसाराम का भी सैंपल लिया गया था। बुधवार शाम मिली रिपोर्ट में आसाराम भी कोरोना संक्रमित पाया गया। इसके बाद जेल में ही चिकित्साकर्मियों ने उसके स्वास्थ्य की जांच की। कोरोना के इलाज से जुड़ी दवा दी। रात को आसाराम को तेज बुखार आ गया और उसका ऑक्सीजन लेवल भी गिरने लगा। इसके बाद उसे महात्मा गांधी अस्पताल लाने का फैसला किया गया। उसे अस्पताल लाए जाने से पहले वहां बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया। अस्पताल में प्रारंभिक जांच के बाद उसे आईसीयू में भर्ती किया गया। उसका इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि फिलहाल उसकी तबीयत ठीक है। कुछ और जांच की गई है।
आसाराम के अस्पताल लाए जाने की सूचना मिलते ही उसके कुछ समर्थक वहां पहुंच गए। पुलिस ने किसी को अंदर प्रवेश नहीं करने दिया। आज सुबह भी कुछ समर्थक वहां पहुंच गए। कुछ समर्थक आसाराम को यहां से एम्स रेफर करने की मांग कर रहे हैं। जबकि अस्पताल अधीक्षक राजश्री बेहरा का कहना है कि उनकी तबीयत स्थिर है और यहां इलाज में कोई दिक्कत नहीं है। ऐसे में फिलहाल एम्स भेजने की कोई योजना नहीं है।
इस कारण जेल में है आसाराम
आसाराम के गुरुकुल में पढ़ने वाली एक नाबालिग छात्रा ने आरोप लगाया कि पंद्रह अगस्त 2013 को आसाराम ने जोधपुर के निकट मणाई गांव में स्थित एक फार्म हाउस में उसका यौन उत्पीड़न किया। बीस अगस्त 2013 को उसने दिल्ली के कमला नगर पुलिस थाने में आसाराम के खिलाफ मामला दर्ज कराया। जोधपुर का मामला होने के कारण दिल्ली पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच करने के लिए उसे जोधपुर भेजा। जोधपुर पुलिस ने आसाराम के खिलाफ नाबालिग का यौन उत्पीड़न करने का मामला दर्ज किया। जोधपुर पुलिस 31 अगस्त 2013 को इंदौर से आसाराम को गिरफ्तार कर जोधपुर ले आई। उसके बाद से आसाराम लगातार जोधपुर जेल में ही बंद है। इस दौरान उनकी तरफ से उच्चतम व उच्च न्यायालय सहित जिला न्यायालय में एक दर्जन बार जमानत हासिल करने के प्रयास किए गए। बाद में न्यायालय ने उसे मरते दम तक जेल में रहने की आजीवन कारावास की सजा सुनाई।