देश की अदालतों ने सरकार को हत्यारा से लेकर शुतुरमुर्ग तक कह डाला, पिछले 15 दिनों में दसियों बार सरकार को झेलनी पड़ी शर्मिंदगी

Posted By: Himmat Jaithwar
5/6/2021

भारत कोरोना के कहर से जूझ रहा है। ऑक्सीजन की कमी से सांसें टूट रही हैं, अस्पतालों में बेड की मारामारी है। लोग अस्पतालों के बाहर और सड़कों पर दम तोड़ रहे हैं। सरकार लाचार है, बेबस है, उसकी तमाम कोशिशों और दावों के बाद भी न तो मौत की रफ्तार कम हो रही है, न ही लोगों को बुनियादी सुविधाएं मिल पा रही हैं। आलम यह है कि अब कोरोना की जंग में सुप्रीम कोर्ट और अलग-अलग राज्यों के हाईकोर्ट को उतरना पड़ा है। पिछले एक महीने में ऐसे दसियों मौके आए, जब कोरोना से हो रही मौतों को लेकर कोर्ट ने केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने वह सब कह दिया, जो शायद इससे पहले किसी भी सरकार को न सुनना पड़ा हो। आइए एक-एक करके जानते हैं कि कब किस कोर्ट ने क्या कहा...

पहले बात सुप्रीम कोर्ट की करते हैं...

तारीख 5 मई 2021 : ऑक्सीजन की कमी से जानें जा रही हैं

दिल्ली में ऑक्सीजन की सप्लाई की देखरेख कर रहे केंद्रीय अफसरों को दिल्ली हाईकोर्ट ने अवमानना का नोटिस दिया था। इसको लेकर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मामले की तत्काल सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के नोटिस पर स्टे लगा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि केंद्र के अफसरों को जेल भेजने या फिर उन्हें अवमानना के मामले में घसीटने से ऑक्सीजन नहीं मिलेगी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अवमानना कार्यवाही पर रोक का मतलब ये नहीं है कि हाईकोर्ट में ऑक्सीजन के हालात पर सुनवाई से रोका गया है। वो सुनवाई जारी रखेगी। अदालत ने कहा कि ऑक्सीजन की कमी से जानें गई हैं, इसमें किसी तरह का शक नहीं होना चाहिए।

तारीख 3 मई 2021 : जजों की टिप्पणियों को कड़वी दवा की तरह लें

दरअसल हाल ही में मद्रास हाईकोर्ट ने मौखिक टिप्पणी की थी कि कोविड-19 की दूसरी लहर के लिए चुनाव आयोग अकेले जिम्मेदार है और उसके अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा चलना चाहिए। इसको लेकर चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और हाईकोर्ट की टिप्पणी हटाने की मांग की थी। इसको लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम सुनवाई के दौरान जजों द्वारा की जाने वाली मौखिक टिप्पणियों को रिपोर्ट करने से मीडिया को नहीं रोक सकते। इस तरह की रिपोर्टिंग व्यापक जनहित में है।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा, आप अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने वाली मद्रास हाईकोर्ट की टिप्पणी को खुले मन से ले। उसे आप कड़वी दवा की तरह लें। पीठ ने स्वीकार किया कि टिप्पणी काफी कठोर थी। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि हम अपने जजों का मनोबल कम नहीं कर सकते हैं। सुनवाई के दौरान कई बार इस तरह की मौखिक टिप्पणियां हो जाती हैं। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा कि चुनाव आयोग की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए उचित आदेश जल्द पारित किया जाएगा।

लॉकडाउन पर विचार करे केंद्र और राज्य सरकार

इसी दिन सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकारों से लॉकडाउन पर विचार करने को कहा है। साथ ही सामूहिक कार्यक्रमों और सुपर-स्प्रेडर कार्यक्रमों पर रोक लगाने की भी बात कही। कोर्ट ने गरीबों पर लॉकडाउन के दुष्प्रभाव पर चिंता जताते हुए यह भी कहा कि सरकार अगला लॉकडाउन लगाए तो वंचितों के लिए पहले से विशेष प्रावधान किए जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने ऑक्सीजन मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र को निर्देश दिया है कि वो दिल्ली के लिए हो रही ऑक्सीजन की कमी को दो दिन के अंदर पूरा करे।

30 अप्रैल 2021 : अनपढ़ और जिनके पास इंटरनेट नहीं, वे वैक्सीन कैसे लगवाएंगे?

कोरोना संकट और वैक्सीनेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि केंद्र सरकार 100 फीसदी टीकों की खरीद क्यों नहीं करती? इसे राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के मॉडल पर राज्यों को वितरित क्यों नहीं करती, ताकि वैक्सीन के दामों में अंतर न रहे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आखिरकार यह देश के नागरिकों के लिए है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी पूछा कि अनपढ़ या ऐसे लोग जिनके पास इंटरनेट एक्सेस नहीं है, वे कैसे वैक्सीन लगवाएंगे?

28 अप्रैल 2021 : लोग मर रहे हैं, हम मूकदर्शक नहीं रह सकते

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि देश संकट में हैं, ऐसे में वह मूकदर्शक नहीं रह सकता। शीर्ष अदालत ने केंद्र से पूछा कि देश भर में कोविड -19 महामारी की दूसरी लहर से निपटने के लिए रिसोर्सेज, दवाइयों और वैक्सीन की स्थिति क्या है? साथ ही वैक्सीन के अलग-अलग कीमतों पर भी सवाल उठाया। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा कि एक मई से जब 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को वैक्सीन लगनी शुरू होगी तो इसकी कमी को पूरा करने के लिए क्या रूपरेखा तैयार की गई है।

22 अप्रैल 2021 : सरकार से पूछा आपका नेशनल प्लान क्या है?

सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया और पूछा कि महामारी से निपटने के लिए आपके पास क्या तैयारी है? आपका नेशनल प्लान क्या है? कोर्ट ने ऑक्सीजन सप्लाई, जरूरी जवाओं की सप्लाई, वैक्सीनेशन की प्रक्रिया और लॉकडाउन लगाने का अधिकार सिर्फ राज्य सरकार को हो, कोर्ट को नहीं, इसको लेकर केंद्र से जवाब मांगा।

अब बात हाईकोर्ट की करते हैं।

सबसे पहले दिल्ली हाईकोर्ट की टिप्पणियों पर नजर डालते हैं...

5 मई 2021 : आप शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर छुपा सकते हैं, हम नहीं

ऑक्सीजन संकट को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के खिलाफ तल्ख टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि शुतुरमुर्ग की तरह रेत में आप सिर छुपा सकते हैं, हम नहीं। पूरे देश में ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मचा है। अदालत ने कहा कि ऑक्सीजन देने के आदेश का पालन नहीं करने पर आपके खिलाफ क्यों न अवमानना की कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताते हुए केंद्र सरकार को कहा, सुप्रीम कोर्ट पहले ही निर्देश दे चुका है और हम भी कह रहे हैं कि चाहे जैसे भी हो, केंद्र की ओर से दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन रोजाना आपूर्ति करानी होगी।

4 मई 2021 : पूरा देश आज ऑक्सीजन के लिए तड़प रहा है

दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि लोगों की जान खतरे में है और ऐसे में सरकार आंख मूंद सकती हैं पर अदालत नहीं। दरअसल, केंद्र सरकार की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी को लेकर अदालत भावुक न हो। इस पर कोर्ट ने जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि ‘पूरा देश आज ऑक्सीजन के लिए तड़प रहा है, सिर्फ दिल्ली ही नहीं, अन्य राज्य भी।’

3 मई 2021 : दिल्ली को उसके कोटे का ऑक्सीजन क्यों नहीं मिल रहा

दिल्ली में कोरोना के हालातों को लेकर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि राज्य सरकार ने रक्षा मंत्रालय से जो मदद मांगी है, उस पर केंद्र सरकार का क्या रुख है? साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली को उसके कोटे की ऑक्सीजन देने का आदेश दिया है, उस पर केंद्र ने क्या किया?

28 अप्रैल 2021 : लगता है कि आप लोगों को मरते हुए देखना चाहते हैं

इस बार सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की कोशिशों पर सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार लोगों को मरते हुए देखना चाहती है। कोर्ट ने कहा कि रेमडेसिविर के इस्तेमाल के लिए जारी नई गाइडलाइंस के मुताबिक, इसे सिर्फ उन्हीं लोगों को दिया जाएगा, जो ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। ऐसा लगता है कि प्रोटोकॉल तैयार करते वक्त दिमाग का इस्तेमाल नहीं हुआ है। लग रहा है कि केंद्र ने रेमडेसिविर की कमी का मसला खत्म करने के लिए प्रोटोकॉल में बदलाव कर दिया है। अगर किसी के पास ऑक्सीजन का इंतजाम नहीं है तो उसे रेमडेसिविर भी नहीं मिलेगा। इससे तो लगता है कि आप लोगों को मरते हुए देखना चाहते हैं।

22 अप्रैल 2021 : भीख मांगिए, उधार लीजिए या नया प्लांट लगाइए, लेकिन ऑक्सीजन लाइए

ऑक्सीजन की कमी को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि यह देश भगवान भरोसे चल रहा है। कई अस्पताल कह रहे हैं कि उनके पास कुछ ही घंटे का ऑक्सीजन बचा है। हमें इससे कोई मतलब नहीं है कि आप कहां से ऑक्सीजन कहां से लाएंगे। कोर्ट ने कहा कि भीख मांगिए, उधार लीजिए या चोरी कीजिए या नया प्लांट लगाइए, लेकिन अस्पतालों में हर कीमत पर मरीजों के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित कीजिए।

मध्यप्रदेश : जब लोगों को ऑक्सीजन ही नहीं मिले तो राइट टू लाइफ का क्या मतलब

1 मई 2021

मध्य प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों को लेकर हाईकोर्ट कहा कि संविधान के आर्टिकल 21 के तहत सबको जीने का अधिकार है। लेकिन जब लोगों को ऑक्सीजन ही नहीं मिले तो इसका कोई मतलब नहीं रह जाता। कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 2 अप्रैल से लेकर 28 अप्रैल तक 90 मरीजों ने ऑक्सीजन की कमी के चलते अपनी जान गवां दी है। यह जानकारी कितनी स्पष्ट है यह जांच का विषय है, लेकिन फिर भी ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की मौत होना दिल दहला देने वाली घटना है।

29 अप्रैल 2021

हाईकोर्ट ने कहा कि हमारे सख्त निर्देश के बावजूद मध्य प्रदेश में रेमडेसीविर इंजेक्शन की कालाबाजारी हो रही है। इसको लेकर कोर्ट ने नाराजगी जताई। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि आखिर ऐसे हालातों में रेमडेसिविर इंजेक्शन का आयात क्यों नहीं किया जा रहा है?

अब बात उत्तर प्रदेश की करते हैं...

5 मई 2021

यूपी में ऑक्सीजन की कमी से हो रही मौतों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि ऑक्सीजन की कमी से लोगों का मरना आपराधिक कृत्य है और ये किसी नरसंहार से कम नहीं है।

4 मई 2021 : गुजरात, राजस्थान और कर्नाटक हाईकोर्ट ने क्या कहा

गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि वह इस बात से बहुत दुखी है कि कोरोना के मामले में सरकार उसके आदेशों की पूरी तरह अनदेखी कर रही है। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वो अस्पतालों में बेड की उपलब्धता की जानकारी रियल टाइम में करें। वे ऐसे प्लांट से ऑक्सीजन जेनेरेट करने के बारे में सोचें जो प्लांट फिलहाल बंद पड़े हैं, लेकिन उन्हें चालू किया जा सकता है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी सख्त रवैया अपनाते हुए केंद्र सरकार से ऑक्सीजन का कोटा बढ़ाने के लिए कहा।

अब ये भी जान लें कि बिहार सरकार को लेकर हाईकोर्ट ने क्या कहा...

3 मई 2021

कोरोना को लेकर पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि पूरा सिस्टम ध्वस्त हो चुका है। बेड व वेंटिलेटर की कमी और पांच सौ बेड का बिहटा ईएसआईसी अस्पताल शुरू करने के आदेश पर भी पूरी तरह काम नहीं हुआ। हमारे आदेश के बाद भी कोरोना मरीजों के उपचार की सुविधाएं नहीं बढ़ी हैं। केंद्र के कोटा से मिले रोजाना 194 टन की जगह महज 160 टन ऑक्सीजन का ही खपत हो रहा है। राज्य में न तो कोई एडवाइजरी कमेटी बनी और न ही कोई वार रूम बना है। कोर्ट ने लॉकडाउन को लेकर भी सरकार से सवाल पूछे।

मद्रास हाईकोर्ट : चुनाव आयोग के अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा क्यों न दर्ज हो?

26 अप्रैल 2021

चुनावी रैलियों में भीड़ और कोरोना की दूसरी लहर को लेकर मद्रास हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के लिए 'चुनाव आयोग के अधिकारी जिम्मेदार हैं। उनके खिलाफ हत्या के आरोपों पर मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। इस पर चुनाव आयोग ने जवाब दिया कि उनकी ओर से कोविड गाइडलाइंस का पालन किया गया। इस पर अदालत नाराज हुई और पूछा कि जब प्रचार हो रहा था, तब क्या चुनाव आयोग दूसरे प्लेनेट पर था।

26 अप्रैल 2021

छत्तीसगढ़ में बढ़ते कोरोना संक्रमण और मरीजों की मौत को लेकर हाईकोर्ट ने कहा कि ऑक्सीजन उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है। सरकार यह सुनिश्चित करे कि ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत न हो।



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