कोरोना संकट में दिल खोलकर मदद कर रहे हैं विदेशों में बसे भारतीय, फंड जुटाकर अमेरिका से इंडिया भेजे 200 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर

Posted By: Himmat Jaithwar
5/6/2021

भारत कोरोना के कहर से जूझ रहा है। दिन-ब-दिन मौत की रफ्तार बढ़ती जा रही है। कोई ऑक्सीजन के लिए तड़प रहा है तो कोई बेड न मिलने के चलते अस्पतालों के बाहर और सड़कों पर दम तोड़ रहा है। ऐसे मुश्किल हालात में मदद के लिए प्रवासी भारतीय आगे आए हैं। वे दिल खोलकर भारत के लोगों की जान बचाने में जुटे हैं। कोई अमेरिका के लॉस एंजिल्स से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भेज रहा है तो कोई कैलिफोर्निया से। कई लोग ऐसे भी हैं जो दिन रात सोशल मीडिया पर लोगों की जिंदगी बचाने में जुटे हैं।

मूल रूप से कानपुर के रहने वाले कपिल शुक्ला लॉस एंजिल्स में रहते हैं। IIT कानपुर से पासआउट कपिल पिछले 12 साल से यहां टेक्नोलॉजी की फील्ड में काम कर रहे हैं। उन्होंने प्रवासी भारतीयों का एक ग्रुप बनाया है। जिसके जरिये वे कोरोना से निपटने वाले रिसोर्सेज भारत भेज रहे हैं।

कपिल कहते हैं कि हमने यहां से 115 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर रवाना कर दिए हैं। इसके अलावा ऑक्सीजन सिलेंडर और बाकी रिसोर्सेज की व्यवस्था भी कर रहे हैं। अगले हफ्ते हम दूसरी खेप भेजेंगे। हम हर तरह से अपने वतन की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं। इस मुहिम में हमें लोगों का सपोर्ट भी मिल रहा है और लोग खुलकर फंड भी डोनेट कर रहे हैं। अभी तक 10 हजार डॉलर से ज्यादा फंड हमने कलेक्ट कर लिया है।

बिहार के पटना के रहने वाले सुदीप सुमन भी IIT पासआउट हैं। वे पिछले 20 साल से अमेरिका में हैं। अभी वे जॉर्जिया में रहते हैं और कपिल के साथ मिलकर इस महामारी से निपटने में भारत की मदद कर रहे हैं।

सबसे पीछे हाथ में मोबाइल लिए कपिल शुक्ला। कपिल यूपी के कानपुर के रहने वाले हैं। पिछले 12 साल से अमेरिका में हैं।
सबसे पीछे हाथ में मोबाइल लिए कपिल शुक्ला। कपिल यूपी के कानपुर के रहने वाले हैं। पिछले 12 साल से अमेरिका में हैं।

कैसे कर रहे हैं काम?

कपिल शुक्ला के मुताबिक इस मुहिम में 800 से ज्यादा प्रवासी भारतीय जुड़े हैं। इनमें कुछ IIT और IIM के एलुमनाई हैं, कुछ बिजनेसमैन हैं तो कई लोग मेडिकल या दूसरे फील्ड से हैं। सभी अपने-अपने स्तर पर सपोर्ट कर रहे हैं। कपिल कहते हैं कि हमने अलग-अलग कामों के लिए अलग टीम बनाई है। और लोगों को उनका टास्क दे दिया गया है।

  • फंड कलेक्शन : इस टीम से जुड़े लोगों का काम है पैसे जुटाना। इसमें हम लोग अपनी तरफ से भी कंट्रीब्यूट कर रहे हैं और दूसरे लोगों से फंड भी ले रहे हैं। अभी तक हमने 10 हजार डॉलर से ज्यादा फंड कलेक्ट कर लिए हैं।
  • प्रोक्योरमेंट टीम : इस टीम का काम है कोविड से निपटने वाले रिसोर्सेज की व्यवस्था करना। इस टीम को लीड खुद कपिल कर रहे हैं। इस टीम से जुड़े लोग उन कंपनियों और लोगों से डील करते हैं जो ये प्रोडक्ट तैयार करते हैं।
  • सप्लाई टीम : इस टीम से जुड़े लोग इन प्रोडक्ट को इंडिया भेजने की व्यवस्था करते हैं। प्रोडक्ट की लोडिंग कब होनी है, कैसे होनी है और किन माध्यमों से भेजा जाना है, इसकी जिम्मेदारी इस टीम की है। इसे सुदीप लीड कर रहे हैं।
  • डिलीवरी टीम : जब हमारे प्रोडक्ट इंडिया पहुंचेंगे तो उनकी डिलीवरी कैसे होगी, किन लोगों के जरिये होगी। डिस्ट्रीब्यूशन का काम कौन करेगा। कोई सरकारी अड़चन तो नहीं आ रही। इन सबको लेकर ये टीम बनाई गई है। इसमें IIT और NIT के एलुमनाई इंडिया से सपोर्ट कर रहे हैं।
भारत के लिए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भेज रहे कपिल शुक्ला और उनकी टीम के लोग।
भारत के लिए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भेज रहे कपिल शुक्ला और उनकी टीम के लोग।

कपिल बताते हैं कि हमने अलग-अलग लेवल पर वॉट्सऐप ग्रुप बना रखे हैं। एक ग्रुप में 8 से 10 लोग जुड़े हैं जो कोर टीम मेम्बर्स हैं। दूसरे ग्रुप में फंड और प्रोक्योरमेंट से जुड़े लोग हैं। इसी तरह दूसरे कामों के लिए भी उनका अपना ग्रुप है। अगर कोई इस मुहिम से जुड़ना चाहता है या किसी तरह की मदद करना चाहता है तो वो भी इन ग्रुप्स के जरिये या सोशल मीडिया के माध्यम से जुड़ सकता है।

कम सोते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा मदद कर सकें

कपिल शुक्ला कहते हैं कि इस मुहिम से जुड़े ज्यादातर लोग बड़ी कंपनियों में जॉब करते हैं। उनके अपने भी काम हैं, लेकिन इन सब के बीच हम लोग ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद करना चाहते हैं, क्योंकि अभी अपना देश मुश्किल दौर से गुजर रहा है। हम लोग पूरे समय अलर्ट मोड पर रहते हैं। बहुत कम सोते हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा इस मुहिम को वक्त दे सकें। फोन पर एक दूसरे से बात कर लोगों की जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं। कई लोग सोशल मीडिया पर लोगों की जिंदगी बचाने में जुटे हैं। वे लगातार मदद के लिए पोस्ट कर रहे हैं और अपने लोगों से कोऑर्डिनेट कर जरूरत की चीजें जैसे ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, प्लाज्मा मुहैया करा रहे हैं।

अमेरिकी भी दिल खोलकर कर रहे हैं मदद

कपिल शुक्ला बताते हैं कि उनके इस अभियान में प्रवासी भारतीयों के साथ ही अमेरिकी भी मदद कर रहे हैं।
कपिल शुक्ला बताते हैं कि उनके इस अभियान में प्रवासी भारतीयों के साथ ही अमेरिकी भी मदद कर रहे हैं।

कपिल शुक्ला बताते हैं कि हमारी इस मुहिम में अमेरिकी भी दिल खोलकर मदद कर रहे हैं। उन्हें जैसे ही पता चलता है कि ये सामान इंडिया जाने वाला है, वे अपने लोगों को फोन करके मदद दिलाते हैं। कंपनियों से बात करके चीजें प्रोवाइड कराते हैं। यहां के ऑफिसर्स भी सपोर्ट कर रहे हैं। इसके साथ ही ऐसे कई भारतीय जो यहां रह रहे हैं, व्यवसाय कर रहे हैं, वे भी दोनों हाथ खोलकर सपोर्ट कर रहे हैं। कोई सामान खरीदने में छूट दे रहा है तो कोई मुफ्त में भी हमें प्रोडक्ट दे रहा है, ताकि हम इंडिया तक मदद पहुंचा सकें।

सुदीप बताते हैं कि हमने यहां के कुछ अस्पतालों से बात कर रखी हैं। वे लोग हमें कोविड से निपटने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर, पीपीई किट, मास्क, मेडिसिन जैसी जरूरत की चीजें उपलब्ध कराएंगे। उम्मीद है कि सबकुछ ठीक रहा तो अगले हफ्ते तक और भी सामान हम इंडिया भेजेंगे।

वे कहते हैं कि भारत के कुछ राज्यों से भी उन्हें फोन आए हैं। कई NGO ने भी उनसे कॉन्टैक्ट किया है। उनके सामान अभी फंसे हुए हैं। उन्हें भेजने के लिए मैं सप्लाई चेन बेहतर बनाने की कोशिश में जुटा हूं। अधिकारियों से बात कर रहा हूं। एयरलाइंस से डील कर रहा हूं।

हम अमेरिका में हैं, लेकिन दिन-रात इंडिया की सोचते रहते हैं

मनीषा पाठक ने बताया कि कैलिफोर्निया से 100 से ज्यादा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भारत के लिए रवाना कर दिए गए हैं।
मनीषा पाठक ने बताया कि कैलिफोर्निया से 100 से ज्यादा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भारत के लिए रवाना कर दिए गए हैं।

मूलरूप से बिहार के आरा जिले की रहने वालीं मनीषा पाठक कैलिफोर्निया में रहती हैं। वे एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और पिछले 23 सालों से यहां रह रही हैं। उन्होंने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर और कुछ संस्थाओं के जरिए 100 से ज्यादा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भारत के लिए रवाना किए हैं। इसमें 5 कंसंट्रेटर उन्होंने निजी तौर पर कंट्रीब्यूट किए हैं। वे कहती हैं कि हम भले ही अमेरिका में हैं, लेकिन दिन-रात अपने देश के बारे में ही सोचते रहते हैं। हम चाहते हैं कि जल्द से जल्द सब कुछ ठीक हो।

मनीषा बताती हैं कि जब ये प्रोडक्ट इंडिया पहुंचेंगे तो उन्हें देश के अलग-अलग हिस्सों में भेजा जाएगा। इसके लिए वहां कोऑर्डिनेशन की जिम्मेदारी तय कर दी गई है। मैं अपने होम टाउन और बिहार का काम देख रही हूं। इसी तरह दूसरे लोग भी अलग-अलग राज्यों और शहरों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।

मनीषा फोक सिंगर भी हैं। वे भोजपुरी और मैथिली में यहां परफॉर्म भी करती हैं। वे प्राउड बिहारी ग्रुप से जुड़ी हैं जिसके जरिये लोग एक-दूसरे को भरपूर सपोर्ट कर रहे हैं। वे बताती हैं कि फंड के लिए भी हम लोग अपने नेटवर्क और सोशल मीडिया पर मुहिम चला रहे हैं।



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