महाराष्ट्र पुलिस डिपार्टमेंट में ट्रांसफर-पोस्टिंग रैकेट चलाने का आरोप लगाने वालीं राज्य की पूर्व इंटेलीजेंस कमिश्नर रश्मि शुक्ला की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। मुंबई साइबर सेल ने बुधवार को शुक्ला को पूछताछ के लिए समन किया है। रश्मि शुक्ला को साइबर सेल के ACP एन के जाधव के दफ्तर में आकर बयान दर्ज करवाने को कहा गया है। शुक्ला पर आरोप है कि उन्होंने बिना राज्य सरकार, होम डिपार्टमेंट की मंजूरी लिए कई मंत्रियों, IPS अधिकारियों और ब्यूरोक्रेट्स के फोन टैप किये और उसे विरोधी पार्टियों के नेताओं को लीक कर अपने पद का दुरुपयोग किया।
रश्मि शुक्ला की ओर से यह टैपिंग साल 2019 के दौरान करवाई गई थी। महाराष्ट्र DGP संजय पांडे के आदेश के बाद मार्च के आखिरी सप्ताह में इस मामले में मुंबई की साइबर सेल में एक FIR रजिस्टर हुई थी। हालांकि, यह FIR अज्ञात शख्स के खिलाफ खुफिया जानकारी लीक करने के लिए दर्ज कराई गई है।
25 अगस्त 2020 को जब रश्मि शुक्ला इंटेलिजेंस विंग की कमिश्नर थी तब उन्होंने एक खुफिया रिपोर्ट बनाकर तत्कालीन DGP सुबोध कुमार जैसवाल को दिया था। सुबोध कुमार जैसवाल ने ये रिपोर्ट अपनी नोटिंग के साथ तत्कालीन ACS होम सीताराम कुण्ठे को दिया था और जांच की मांग की थी। इसी रिपोर्ट के आधार पर महाराष्ट्र के पूर्व CM देवेंद्र फडणवीस ने राज्य में बड़े ट्रांसफर रैकेट का आरोप लगाया था। उन्होंने कई घंटों की रिकॉर्डिंग केंद्रीय गृह सचिव को सौंपी थी।
चीफ सेक्रेटरी ने भी शुक्ल के खिलाफ की है जांच
रश्मि शुक्ला के खिलाफ इससे पहले राज्य के चीफ सेक्रेटरी सीताराम जे. कुंटे ने भी जांच की है और इसकी रिपोर्ट मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सौंपी गई है। रिपोर्ट में रश्मि शुक्ला पर फोन टैपिंग करने और गलत आधार पर जानकारी देने का आरोप लगाया गया है। इतना ही नहीं उन पर सरकार को गुमराह करने का आरोप लगा था।
रिपोर्ट में कहा गया कि IPS अधिकारी शुक्ला ने इंडियन टेलीग्राफ अधिनियम के तहत फोन टैपिंग के लिए आधिकारिक अनुमति का दुरुपयोग किया है। शुक्ला ने देश की सुरक्षा मामले को आधार बताकर फोन टैपिंग की इजाजत ली थी, लेकिन उन्होंने सरकार को गुमराह कर पर्सनल कॉल रिकॉर्ड किए।
शुक्ला ने देशमुख से माफी मांगी थी
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि गलत आधार पर फोन टैपिंग की इजाजत मांगे जाने को लेकर जब रश्मि शुक्ला से जवाब मांगा गया तो उन्होंने गलती स्वीकार की और माफी मांगते हुए रिपोर्ट वापस लेने की बात कही थी। उन्होंने उस दौरान अपने पति के कैंसर से निधन और बच्चों की पढ़ाई का भी हवाला दिया था। उन्होंने CM और तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख से मिलकर माफी की गुजारिश की थी। पारिवारिक स्थिति को देखते हुए उन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेज दिया गया था।
शुक्ल की रिपोर्ट को झूठा बताया गया है
रिपोर्ट में बताया गया है कि शुक्ला की 25 अगस्त, 2020 की रिपोर्ट में गृह मंत्री देशमुख समेत कई प्रमुख हस्तियों के खिलाफ झूठा आरोप लगाया गया है। उन्होंने बताया कि तबादलों और उसके बाद के सरकारी फैसलों पर शुक्ला की रिपोर्ट से कोई नाता नहीं था। उस समय जो भी नियुक्तियां हुईं, वे आधिकारिक समिति की सिफारिशों के मुताबिक था। इसमें तत्कालीन DGP सुबोध जायसवाल, मुंबई के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर परम बीर सिंह और अन्य अधिकारी शामिल थे।