देश में कोरोना की दूसरी लहर के खिलाफ जंग जारी है। इस बार कोरोना वायरस लोगों के फेफड़ों पर ज्यादा घातक हमला कर रहा है। लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिनमें कोरोना के लक्षण दिखने से पहले ही लोगों के 25% फेफड़े डैमेज हो गए।
रिपोर्ट्स के अनुसार, COVID-19 के तकरीबन 60% से 65% मरीजों को सामान्य रूप से सांस लेने में मुश्किल हो रही है। उनका ऑक्सीजन स्तर तेजी से घट रहा है, लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे मामले भी हैं जिनमें संक्रमितों का ऑक्सीजन स्तर दो-तीन दिनों के भीतर ही 80% से नीचे गिर रहा है।
फौरन ऑक्सीजन न मिलने पर ऐसे मरीजों की स्थिति बहुत गंभीर हो जाती है। फेफड़ों पर बेहद गंभीर असर डालने वाले इन मामलों में कुछ शुरुआती लक्षण देखे गए हैं। इन लक्षण के दिखने पर मरीजों को फौरन एक्स-रे और सीटी स्कैन कराकर फेफड़ों की जांच करानी चाहिए।
तो आइए जानते हैं उन लक्षणों को जो यह बताते हैं कि फेफड़ों का हाल अच्छा नहीं...
कोरोना की रिपोर्ट निगेटिव, फिर भी फेफड़े हो रहे डैमेज
कोरोना के नए वैरिएंट (डबल म्यूटेंट, या ट्रिपल म्यूटेंट स्ट्रेन) के कारण संक्रमण का खतरा गहराता नजर आ रहा है, क्योंकि इस बार कई ऐसे मरीज भी सामने आए हैं जिनमें लक्षण नजर आने के बावजूद उनकी रिपोर्ट तो निगेटिव आई है, लेकिन उनकी सीटी स्कैन की रिपोर्ट बताती है कि उनके फेफड़े डैमेज हो गए हैं।
कोई लक्षण नहीं फिर भी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव
दूसरी ओर, ऐसे भी रोगी सामने आ रहे हैं जिनके शरीर में कोई भी लक्षण नहीं दिख रहे हैं, लेकिन जब उनका सीटी स्कैन किया जा रहा है, तो तापमान 35 या उससे कम होने का संकेत मिल रहा है। इसका मतलब है कि मरीज कोरोना पॉजिटिव है। इसके अलावा, अगर सीटी स्कैन का मूल्य 22 से कम है, तो मरीज को जल्द से जल्द अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत है।
2 से 3 दिन में ही माइल्ड लक्षण वालों की हालत हो रही खऱाब
डॉक्टर के अनुसार इस बार माइल्ड लक्षणों के बावजूद मरीज की हालत 2 से 3 दिन में ही इतनी ज्यादा खराब हो जाती है कि उसे हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ता है और उसके फेफड़े भी डैमेज हो जाते हैं। डॉक्टरों के मुताबिक 45 साल से कम उम्र के लोगों में कोरोना की वजह से फेफड़ों की समस्या ज्यादा हो रही है। इसलिए लक्षण आने या शरीर में किसी भी तरह के बदलाव होने पर टेस्ट जरूर करवाएं।