मुम्बई। कोरोना महामारी के बीच मुंबई में लोगों की जान बचाने के लिए अब आम लोग भी जी-जान से जुट रहे हैं। नवी मुंबई में 14 दोस्तों की टीम ने ऑक्सीजन बैंक बनाया और ये लोग अब तक 50 से ज्यादा लोगों की जान बचाई। वहीं 20 लोगों की टीम कोरोना पॉजिटिव होने पर होम क्वारैंटाइन हुए मरीजों को घर जाकर दोनों वक्त का खाना दे रही है।
ऑटोमोटिव सेक्टर में काम करने वाले उड़िया समाज के 52 साल के रंजन पॉल का ऑक्सीजन लेवल 14 अप्रैल को 94 से अचानक कम होना शुरू हो गया। एक घंटे के भीतर यह पहले 84 हुआ फिर 77 हो गया। परिवार के लोगों को लगा कि रंजन को नहीं बचा पाएंगे। उनके परिवार ने खारघर स्थित जगन्नाथ मंदिर के महाराष्ट्र-उड़िया वेलफेयर एसोसिएशन के ट्रस्टियों में से एक मनोज कुमार नाईक को कॉल किया।
उन्होंने कोरोना हेल्थ ग्रुप एसोसिएशन और वर्ल्ड एग्रोकेयर फाउंडेशन से संपर्क किया, जिसके बारे में उन्हें वॉट्सऐप से जानकारी मिली थी। मनोज के परिचित रश्मिकांत महापात्रा इससे जुड़े हुए थे। उनके माध्यम से रंजन पॉल को ऑक्सीजन मुहैया करवाई गई।
ऑक्सीजन लेवल से जूझ रहे रंजन एंबुलेंस में 3 घंटे तक इसी ऑक्सीजन पर रखा गया और इस दौरान अस्पताल की खोज भी जारी रही। हालांंकि, इस दौरान रंजन का ऑक्सीजन लेवल 92-93 हो गया और उनकी जिंदगी बच गई।
ऑक्सीजन बैंक के लिए किसी ने 10 लाख और किसी ने 20 लाख की आर्थिक मदद की है
दोस्त को खो देने के बाद लिया ऑक्सीजन बैंक बनाने का फैसला
चार्टर्ड अकाउंटेंट, प्रॉपर्टी डीलर व अन्य पेशों से जुड़े 14 दोस्तों की इस फाउंडेशन ने ऑक्सीजन बैंक शुरू किया है। किसी ने 20 तो किसी ने 25 लाख रुपए दिए। रश्मिकांत महापात्रा ने बताया कि कोरोना के सेकंड वेव के वक्त हमारे ग्रुप के एक सदस्य को समय से ऑक्सीजन नहीं मिलने की वजह मौत हो गई। इस घटना के बाद हम दोस्तों ने ऑक्सीजन बैंक बनाने का फैसला लिया।
महापात्रा बताते हैं कि करीब 200 मरीजों को मुफ्त और कुछ को मामूली कीमत पर ऑक्सीजन दी गई है। 100 पोर्टेबल ऑक्सीजन बॉटल्स का स्टॉक है, जो इमरजेंसी वाले कोविड पेशेंट के लिए रिजर्व है। एडवांस में 200 यूनिट ऑक्सीजन का ऑर्डर दिया जा चुका है। ऑक्सीजन बैंक से जुड़े सुरेंद्र सिंह और अमित तेनानी बताते हैं कि यह भगवान का काम है। ऐसा काम करने का मौका बहुत कम मिलता है।
क्वारैंटाइन हुए लोगों को घर-घर पहुंचाते हैं खाना
इसी तरह महाजन संस्था के ट्रस्टी गिरीशभाई जे. शाह ने मुंबई के पश्चिम उपनगर में 20 लोगों की टीम बनाई है। ये टीम होम क्वारैंटाइन लोगों को घर जाकर मुफ्त में खाना पहुंचा रहे हैं।
खाना तैयार करने के बाद ऑटो रिक्शा और दूसरे वाहनों की मदद से जरूरतमंदों तक टिफिन पहुंचाया जाता है।
परेश ने बताया कि ऑटो रिक्शा और दूसरी गाड़ियों से टिफिन पहुंचाया जाता है। रोजाना करीब 500 लोगों को ये सर्विस दी जाती है। शनिवार और रविवार को मांग बढ़ भी जाती है, परंतु हम सेवा देने का काम करते हैं। इस संस्था से जुड़े परेश शाह बताते हैं कि 6 अप्रैल से मुंबई में जब से लॉकडाउन जैसी पाबंंदियां लगनी शुरू हुई। हमने कोरोना पॉजिटिव लोगों को खाना खिलाना शुरू किया। पिछले 14 दिनों में हमने 7,279 लोगों के घरों तक टिफिन पहुंचाया है।