सामना में लिखा- पूरा देश श्मशान और कब्रिस्तान बनता नजर आ रहा है, क्या यही नरक है?

Posted By: Himmat Jaithwar
4/24/2021

मुंबई। मुंबई से सटे विरार वेस्ट में शुक्रवार तड़के एक प्राइवेट अस्पताल में लगी आग से 15 मरीजों की मौत हो गई। इस घटना पर शिवसेना ने शनिवार को सामना में संपादकीय लिखते हुए केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधा है। संपादकीय का टाइटल है 'नरक यही है क्या?'

इसमें शिवसेना ने कोरोना की मौजूदा स्थिति के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट से सवाल भी पूछा गया है। सामना में लिखा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने अब देश में कोविड की स्थिति का नोटिस लिया है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट अगर नेताओं, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री के रोड शो और हरिद्वार कुंभ को लेकर सही समय पर ध्यान देता तो ऐसी स्थिति नहीं बनती।

भाजपा और केंद्र पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने लिखा है, 'मोदी और उनके सहयोगियों को देश को स्वर्ग ही बनाना था। उसके लिए ही उन्होंने वोट मांगे, लेकिन अब देश श्मशान और कब्रिस्तान बनता नजर आ रहा है। कहीं सामुदायिक चिताएं जल रही हैं, कहीं अस्पताल खुद ही मरीजों के साथ जल रहे हैं। अच्छे दिन, स्वर्ग दूर ही रह गया, परंतु वह नरक यही है क्या? ऐसा ही सवाल देश की मौजूदा स्थिति को देखने के बाद उठता है।'

ICU में मरीजों का जलकर मरना, उन्हें जीते जी जलती चिता पर धकेलना जैसा
शिवसेना ने संपादकीय में लिखा है, 'कोरोना के मरीजों को बेड और प्राणवायु नहीं मिल रही है। इस पर शोर मचने के दौरान जगह-जगह कोविड अस्पतालों के ICU में आग लगने से मरीजों का जलकर मरना, मतलब उन्हें जीते जी दहकती चिता पर ढकेलने जैसा ही है। देश में कोरोना की स्थिति बेकाबू होने की बाद दुनिया में इसे कबूल किए जाने से देश का सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट क्या कह सकते हैं, इस ओर ध्यान देने की जरूरत नहीं है।'

सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाते हुए शिवसेना ने लिखा है, 'कोरोना एक राष्ट्रीय आपदा है और इससे लड़ने के लिए केंद्र सरकार ने क्या योजना बनाई है, इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट ने अब मांगी है। देश की गंभीर स्थिति का नोटिस सुप्रीम कोर्ट ने खुद लिया है। यह खुशी की बात है, लेकिन पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री के रोड शो और हरिद्वार में धार्मिक मेलों को सही समय पर नोटिस में लिया होता तो लोगों के इस तरह सड़क पर तड़पकर मरने की नौबत नहीं आई होती।'

ऑक्सीजन की कमी से मर रहे लोग, केंद्र नहीं तो कौन जिम्मेदार?
शिवसेना ने आगे लिखा है, 'दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी होने से 24 घंटों में 25 कोरोना मरीज मर गए। यह देश की राजधानी की स्थिति है। इस स्थिति के लिए देश की केंद्र सरकार जिम्मेदार नहीं होगी तो कौन जिम्मेदार है?

हिन्दुस्तान को कोरोना का नरक कह रहे विदेशी अखबार
सामना में आगे लिखा गया है,'हिन्दुस्तान कोरोना का नरक बन गया है, ऐसा अब विदेशी अखबारों में छपने लगा है। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी की विदेशों में क्या प्रतिष्ठा बची है? कोरोना संक्रमण से हिंदुस्तान का तंत्र इतना डगमगा गया है कि कोरोना ने हिंदुस्तान को पूरी तरह नरक बना दिया है। ऐसी घोर आलोचना ब्रिटेन के प्रतिष्ठित अखबार द गॉर्जियन ने की है। रोज लाख से ज्यादा मरीज मिलने के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी समेत केंद्र सरकार ने इस संकट को नजरअंदाज किया। सत्ताधारियों का यही अति आत्मविश्वास कोरोना के फैलने की वजह साबित हुआ। ऐसी फटकार गॉर्जियन ने लगाई है।'

राज्यों पर ठीकरा फोड़ने की जगह आत्मपरीक्षण की जरूरत
सामना में लिखा गया है, 'देश में फिलहाल जो हाहाकार मचा है, इसका ठीकरा राज्यों पर फोड़ने की बजाय केंद्र सरकार के प्रमुखों को आत्मपरीक्षण करने की जरूरत है। कोविड-19 के संकट को हराने का झूठा भ्रम फैलाया। लेकिन दूसरी लहर आएगी और वह भयंकर होगी, यह जानकारी होने के बावजूद केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में आत्मनिर्भर बनने के लिए क्या किया? यह सवाल ही है।'

चुनाव की जगह कोरोना की ओर ध्यान दिया होता तो ऐसी स्थिति न होती
शिवसेना ने लिखा है, 'पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडू जैसे राज्यों के चुनाव की ओर ध्यान झोंकने की बजाय कोरोना की दूसरी लहर की ओर ध्यान दिया होता तो हिंदुस्तान पर कोरोना के नरक में गिरने की नौबत नहीं आई होती। गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में कोरोना मरीजों की मौतों के आंकड़े छिपाए गए। मुर्दाघरों में लाशें छिपाकर रखी गईं, फिर भी श्मशानों में सामुदायिक चिताएं जलीं। अच्छे दिन लाएंगे, ऐसा वचन देने वालों के राज में मरीजों के लिए बेड नहीं है, ऑक्सीजन नहीं है, टीका और दवाइयां नहीं हैं। सिर्फ छटपटाहट और पश्चाताप है।'

हॉस्पिटल में मरीजों की मौत वास्तविक नरक है
शिवसेना ने आगे लिखा है, 'नासिक, वसई, विरार, भांडुप, भंडारा के अस्पतालों में आग लगने से जानें गईं, यह सच्चाई है। लेकिन ऐसे अस्पताल जल्दबाजी में तैयार कर उनमें मरीजों को भर्ती करना पड़ा, यही वास्तविक नरक है। देश का कामकाज रामभरोसे चल रहा है, ऐसी आलोचना दिल्ली के हाईकोर्ट ने की। सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र को निशाने पर लिया। केंद्र के पास कुछ राष्ट्रीय योजना होगी तो उसे पेश करने का फरमान सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया। इससे क्या होगा?'



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