नई दिल्ली। एक घंटे के भीतर ऑक्सीजन नहीं पहुंची तो मेरी मां मर जाएगी। प्लीज... उसे बचा लीजिए। जब पुलकित का फोन आया तो उसकी आवाज में गुस्सा, घबराहट, दुख सबकुछ था और सबसे ज्यादा जो भाव था, वो था लाचारी का। देश में संक्रमण और ऑक्सीजन की किल्लत से जूझ रहे लाखों लोगों में से एक कहानी पुलकित की भी है, जिसे अपनी मां के लिए सांसों का इंतजार है।
दिल्ली के प्रीत विहार मेट्रो अस्पताल में भर्ती पुलकित की मां की तबीयत में सुधार हो रहा था, लेकिन अचानक सबकुछ बिगड़ गया। ऑक्सीजन खत्म हो रही थी। पुलकित के पास एक घंटा ही बचा था, जब वो हर जगह से निराश हो चुका था। उसने हमें फोन लगाया और बोला- अगर एक घंटे के भीतर ऑक्सीजन नहीं पहुंची तो मेरी मां मर जाएगी। प्लीज उसे बचा लीजिए। डॉक्टर कह रहे हैं कि अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं है। आप अपने मरीज के लिए कहीं और इंतजाम कर लीजिए। ऑक्सीजन खत्म होते ही ये लोग मां को अस्पताल से बाहर निकाल देंगे।
'डॉक्टरों ने शाम करीब 4 बजे मुझे बताया कि अस्पताल में ऑक्सीजन का कोटा खत्म हो रहा है। बस 4 घंटे ही हम आपकी मां को ऑक्सीजन दे पाएंगे। आप किसी दूसरे अस्पताल में अपनी मां को ले जाने की व्यवस्था करें। मैंने घबराकर, मां को फोन किया, उनसे पूछा आप ठीक हैं। मां ने कहा, हां बिल्कुल ठीक। बस थोड़ी घबराहट है, लेकिन सब ठीक हो जाएगा। तू घबरा मत। मैंने ये सोचते हुए फोन काट दिया कि कैसे कहूं कि मां... यहां कुछ ठीक नहीं है। मैंने दोस्तों को फोन लगाया, रिश्तेदारों को फोन लगाया, सबसे कहा कि जैसे भी हो ऑक्सीजन का इंतजाम करो। आसपास के अस्पतालों को फोन लगाया पर कहीं बेड नहीं मिला। हर जगह से एक ही जवाब मिल रहा था, हमारे यहां ऑक्सीजन खत्म होने वाली है। हम नए मरीज नहीं भर्ती कर रहे। मैं गिड़गिड़ाता रहा और हर अस्पताल मुझे मना करता रहा।'
28 साल का पुलकित बात करते-करते हांफने लगता और कहता कि मेरी मां मर जाएगी। ऑक्सीजन चाहिए। आप कुछ भी करके ऑक्सीजन भेज दो। अचानक फोन कट गया। भास्कर ने जब दूसरे नंबर पर कॉल बैक किया तो फोन 57 वर्षीय मंजू का था यानी पुलकित की मां का। मंजू ने कहा कि पुलकित यहां नहीं है। वह किसी कागजी काम के लिए डॉक्टर के साथ है। मैं बोल नहीं पा रही हूं। मंजू की आवाज कांप रही थी। उसकी आवाज साफ सुनाई नहीं दे रही थी। मंजू का फोन कटते ही फिर पुलकित का फोन आ गया। अब उसकी आवाज में हड़बड़ाहट ज्यादा थी। वह बोल नहीं पा रहा था।
पुलकित ने कहा- मैम एक नंबर पर मैंने फोन किया था, जो ऑक्सीजन दे रहे हैं पर अभी उनके पास भी नहीं है। अब क्या करूं, कहां जाऊं? मेरे पापा 2016 में खत्म हो चुके हैं। मां को नहीं खो सकता। मैं भाजपा सांसद गौतम गंभीर के ऑफिस भी गया, वहां सब हंसी-ठिठोली में लगे थे, किसी ने मेरी नहीं सुनी। मैं गिड़गिड़ाता रहा। वे सब कहते रहे कि भईया यहां ऑक्सीजन नहीं मिलेगी। यहां तो क्या देशभर में ऑक्सीजन नहीं है। मैं वापस आ गया। अस्पताल ने 15-16 बाउंसर बुला लिए हैं। ये लोग हमें दूर खड़े होने के लिए कह रहे हैं। लग रहा है कि ये लोग अब सारे मरीजों को बाहर निकालने वाले हैं।
हालांकि पूर्वी दिल्ली के सांसद गौतम गंभीर के कार्यालय से पुलकित द्वारा बताई गई घटना से इनकार किया गया है। सांसद कार्यालय ने कहा कि उनके यहां आने वाले हर जरूरतमंद की यथासंभव मदद की जा रही है।
हमें फोन पर चीख-पुकार सुनाई दे रही थी। कोई कह रहा था कि दूर हटो, भीड़ मत लगाओ। पुलकित चिल्ला रहा था कि मेरी मां अंदर है। जब तक दूसरे अस्पताल में बेड नहीं मिलता, उसे कहीं नहीं ले जाऊंगा। सुबह से शाम तक की जद्दोजहद के बाद आखिरकार प्रीत विहार मेट्रो हॉस्पिटल में ऑक्सीजन खत्म हो गई। मंजू को किसी तरह फरीदाबाद मेट्रो हॉस्पिटल में भर्ती करवा दिया गया। पर बाकी मरीजों का और उन लाखों का क्या, जो देश भर में सांसों का इंतजार कर रहे हैं...?
अस्पताल भी लाचार, कहा- बेबस हैं.. लोग हमला भी कर सकते हैं
भास्कर को प्रीत विहार अस्पताल की नोडल ऑफिसर ने बताया- हम अपने तीन दूसरे अस्पतालों में मरीजों को भर्ती कराने की कोशिश कर रहे हैं। पहले ICU के मरीज भर्ती किए जाएंगे। उसके बाद अगर जगह बची तो फिर ऑक्सीजन वाले मरीज भर्ती करेंगे। अभी बेड का पता नहीं। कुछ बेड का इंतजाम तो किया है हमने, पर सबके लिए तो बेड नहीं मिल पाएंगे। यहां भीड़ उग्र हो रही है। शायद यह लोग हम पर हमला भी करने वाले हैं। हमने सुबह ही दिल्ली सरकार को स्थिति बता दी थी, लेकिन जो प्लांट ऑक्सीजन सप्लाई करता है, उसने ऑक्सीजन देने से मना कर दिया था। अस्पताल में 170 मरीज हैं। 22 ICU में और करीब 150 मरीज ऑक्सीजन पर।