इस्लाबाद। पाकिस्तान पिछले एक हफ्ते से भी ज्यादा वक्त से हिंसा की आग में जल रहा है। लाहौर समेत पंजाब के कई शहरों में तोड़फोड़, पुलिस थानों पर गोलीबारी की घटनाएं जारी हैं। पाकिस्तान की धार्मिक पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक (TLP) फ्रांस के राजदूत को देश से निकालने की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन कर रही है। अब इस मुहिम को उग्रवादी संगठन तहरीक-ए -तालिबान पाकिस्तान (TTP) का भी समर्थन मिल गया है।
सोशल मीडिया पर पाकिस्तान सेना से जुड़े कई अधिकारियों, कर्मचारियों ने भी TLP के प्रति सहानुभूति दिखाई है।
हिंसक प्रदर्शनों से दबाव में आई इमरान सरकार ने फ्रांस के राजदूत को देश से निकालने का प्रस्ताव सदन में रखने का फैसला किया है, जिस पर शुक्रवार को बहस होगी। साथ ही लाहौर में हिंसा के जिम्मेदार TLP के सुप्रीम लीडर साद रिजवी को भी दबाव में रिहा कर दिया गया है।
हालांकि उदारवादी तबका इस फैसले की आलोचना कर रहा है। उनका मानना है कि सदन में इस तरह का प्रस्ताव लाने पर देश में कट्टरपंथी संगठन और हावी हो जाएंगे।
एक उग्र प्रदर्शन के दौरान तहरीक-ए-लब्बैक (TLP) का मुखिया साद रिजवी। ये लोग फ्रांस के राजदूत को पाकिस्तान से बाहर करने की मांग कर रहे हैं।
हिंसा के पीछे की वजह
इस हिंसा के पीछे कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन TLP का हाथ है। TLP पिछले कई महीनों से फ्रांस के राजदूत को देश से निकालने की मांग कर रही है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने पिछले साल नवंबर में क्लास में पैगंबर मोहम्मद का कार्टून दिखाए जाने को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बताया था। बाद में कार्टून दिखाने वाले टीचर की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद मैक्रों ने टीचर का समर्थन किया था। तबसे पाकिस्तान में फ्रांस को लेकर नाराजगी है। तब से ही TLP पार्टी फ्रांस के राजदूत को देश से निकालने की मांग कर रही है।
इसी मुद्दे को लेकर पार्टी की 20 अप्रैल को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की योजना थी, लेकिन उससे पहले ही 12 अप्रैल को TLP चीफ साद रिजवी की गिरफ्तारी हो गई। जिसके बाद लाहौर और पंजाब के कई शहरों में हिंसा भड़क उठी। इसके बाद पाकिस्तान सरकार ने TLP पर प्रतिबंध लगा दिया।
इसके बाद हिंसक प्रदर्शन और भड़क उठे। बीते रविवार को उपद्रवियों ने लाहौर थाने में बमबारी भी की और 11 पुलिसकर्मियों को बंदी बना लिया। हालांकि बाद में उन्हें छोड़ दिया गया। इसकी जानकारी पाकिस्तान के गृहमंत्री शेख राशिद ने दी।
TLP मांग कर रही थी कि उसके प्रमुख साद रिजवी को रिहा किया जाए और पाकिस्तान सरकार उस समझौते पर अमल करें जिस पर पिछले साल नवंबर में तत्कालीन गृहमंत्री एजाज शाह ने दस्तखत किए थे। जिसमें फ्रांस के राजदूत को देश से निकालने और यूरोपियन कंट्रीज के साथ व्यापार खत्म करने की बात थी।
TLP समर्थकों ने लाहौर समेत पंजाब के कई शहरों में थानों पर हमला किया और पुलिसकर्मियों को बंधक बना लिया।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि उनका और TLP का मकसद एक ही है। सभी मुसलमान पैगंबर मोहम्मद साहब से प्यार करते हैं। हम उनका अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं, लेकिन सरकार के विरोध करने का तरीका TLP से थोड़ा अलग है। मंगलवार को TLP से बातचीत के बाद सरकार ने सदन में फ्रांस के राजदूत को बाहर निकालने के लिए प्रस्ताव भी पेश किया। इसके बाद कट्टरपंथी ग्रुप ने प्रदर्शन खत्म करने पर सहमति व्यक्त की। हालांकि सदन में इस तरह का प्रस्ताव लाने की कई गुट आलोचना भी कर रहे हैं।
TLP पर लगा बैन अभी नहीं हटाया जाएगा
पाकिस्तान सरकार के मंत्री शेख राशिद ने बताया कि TLP के साथ लंबी बातचीत के बाद हम फ्रांस के राजदूत को एक्सपेल करने के लिए सदन में प्रस्ताव लेकर आए। इसके बदले TLP देशभर में जारी प्रदर्शन वापस लेगी। खासकर के मस्जिद रहमत-उल-इल-अलमीन से। साथ ही जो लोग हिरासत में लिए गए हैं, उन्हें छोड़ा जाएगा और उन पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएंगे। उधर इमरान खान ने मंगलवार को कहा कि TLP पर लगा बैन अभी नहीं हटाया जाएगा।
इमरान सरकार के मंत्री फवाद हुसैन ने कहा कि जिन लोगों के खिलाफ मर्डर और टेररिज्म के मुकदमे दर्ज हैं, उन्हें सरकार रिलीज नहीं करेगी। उन्हें कोर्ट ही रिहा करने का आदेश दे सकती है। इसके लिए उन्हें लीगल प्रोसेस से गुजरना होगा।
पाकिस्तान पुलिस ने तहरीक-ए-लब्बैक के कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था, लेकिन बाद में सरकारी इशारे पर सभी को छोड़ दिया गया।
हम अपने शहीदों के एक-एक बूंद खून का बदला लेंगे
फ्रांस के राजदूत के खिलाफ सदन में प्रस्ताव पर शुक्रवार तक बहस होगी। इस बीच अब तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने TLP के समर्थन में रैली की और कहा कि स्टेट के खिलाफ हमें मिलकर सामूहिक लड़ाई लड़नी है। TTP के प्रवक्ता मुहम्मद खुरसआणि ने TLP को लिखे खत में कहा है कि पैगंबर साहब के सम्मान में जिन लोगों ने शहादत दी है, हम उनके साथ खड़े हैं। मिलिट्री फोर्सेज को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। हम अपने शहीदों के एक-एक बूंद खून का बदला लेंगे।
2017 में बनी थी TLP
TLP की स्थापना खादिम हुसैन रिजवी ने 2017 में की थी। वे पंजाब के धार्मिक विभाग के कर्मचारी थे और लाहौर की एक मस्जिद के मौलवी थे, लेकिन साल 2011 में जब पंजाब पुलिस के गार्ड मुमताज कादरी ने पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या की तो उन्होंने कादरी का खुलकर समर्थन किया। जिसके बाद उन्हें नौकरी से निष्कासित कर दिया गया।
जब 2016 में कादरी को दोषी करार दिया गया तो TLP ने ईश निंदा और पैगंबर के 'सम्मान' के मुद्दों पर देशभर में विरोध शुरू किया। खादिम ने फ्रांस को एटम बम से उड़ाने की वकालत की थी। पिछले साल अक्टूबर में खादिम रिजवी की मौत हो गई थी। खादिम रिजवी की फालोइंग पाकिस्तान में इतनी ज्यादा थी कि कहते हैं कि लाहौर में उनके जनाजे में लाखों की भीड़ उमड़ी थी। खादिम रिजवी की मौत के बाद उनके बेटे साद रिजवी ने TLP पर कब्जा जमा लिया।
पहले भी TLP ने सरकार को झुकने पर मजबूर किया है
साल 2017 में TLP ने कई हफ्तों तक इस्लामाबाद में चुनावी सुधार बिल के विरोध में प्रदर्शन किया था। उसने बिल को अहमदिया मुसलमानों का समर्थन करने वाला बताया था। इसके बाद से TLP अहमदिया मुसलमानों के खिलाफ लगातार आग उगलती रही है।
2018 में TLP के विरोध के चलते ही फेमस अहमदिया अर्थशास्त्री आतिफ रहमान मियां इकोनॉमिक एडवाइजरी बोर्ड में शामिल नहीं हो सके। इस कट्टरपंथी ग्रुप ने 2018 में ईसाई महिला आसिया बीबी की रिहाई के खिलाफ भी प्रदर्शन किया था, जिसे 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने एक हाई-प्रोफाइल ईश निंदा के मामले में निर्दोष घोषित किया था। पिछले साल TLP ने अवॉर्ड विनिंग पाकिस्तानी फिल्म 'जिंदगी तमाशा' को रिलीज होने से रोक दिया था।
पंजाब पाकिस्तान का सबसे बड़ा राज्य है और यहां TLP का खासा प्रभाव है। पंजाब के शहरों में भड़की हिंसा के बाद कई विशेषज्ञ इसे गृह युद्ध जैसे हालात मान रहे हैं।
इस मामले को लेकर पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N)) का कहना है कि मौजूदा सरकार ने TLP को सही तरीके से हैंडल नहीं किया है। PML-N के वरिष्ठ नेता मुसद्दीक मलिक कहते हैं कि पहले इन्होंने TLP के साथ समझौते पर दस्तखत किए। फिर हिंसा भड़की, कई पुलिसकर्मी शहीद हो गए। हम नहीं चाहते कि इन पर प्रतिबंध लगे। जो लोग कानून को अपने हाथ में लेते हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। सरकार एक तरफ इन पर बैन लगा रही है और दूसरी तरफ उन लोगों को रिहा कर रही है जिन्होंने कानून का उल्लंघन किया है।
साल 2018 में TLP ने चुनाव में भाग लिया था। जिसमें उसे 2.5 मिलियन वोट मिले थे। वह वोट शेयर के मामले में पंजाब में तीसरी बड़ी पार्टी बनी थी। ऐसा कहा जाता है कि उसने PML-N के वोट बैंक को प्रभावित किया था।
सुरक्षा विश्लेषक आमिर राणा कहते हैं, ‘सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या राज्य के संस्थान धार्मिक कट्टरपंथ को बढ़ावा देंगे? क्या वे रिलिजियस ग्रुप्स के साथ अपने रिश्ते सहज रखेंगे?’ लेकिन पाकिस्तान की पार्टियां राजनीतिक फायदे के लिए धार्मिक समूहों की मदद लेती रही हैं जो बाद में उनके लिए मुसीबत बनते रहे हैं।