जयपुर। लॉकडाउन के बावजूद राजस्थान में कोरोना आउट ऑफ कंट्रोल होता जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी पिछले 5 दिन की रिपोर्ट तो यही कह रही है। लॉकडाउन लगने के बाद 5 दिन में राज्य में संक्रमण 61% बढ़ा है। मौतों का आंकड़ा भी करीब-करीब दोगुना हो गया है। पहली लहर (नवंबर 2020) में सरकार ने सिर्फ 12 शहरों में नाइट कर्फ्यू लगाया था। तब फैसला लागू होने के 7 दिन के अंदर ही संक्रमण में 20% कमी दर्ज की गई थी। लेकिन इस बार दूसरी लहर में पूरा सिस्टम हिल गया है। प्रदेश के अस्पतालों के बेड सिर्फ 10 दिन के अंदर फुल हो गए हैं।
राजस्थान के सबसे बड़े कोविड सेंटर RUHS में 15 अप्रैल तक 1200 में से 603 बेड ही भरे थे, लेकिन पिछले 6 दिन के अंदर सारे बेड फुल हो गए। बुधवार को यहां से कई मरीजों को जयपुरिया और SMS अस्पताल में भेजा गया। RUHS की स्थिति ये है कि यहां न तो ICU बेड खाली हैं और न ही वेंटिलेटर। पिछले 6 दिन का रिकॉर्ड देखें तो यहां 1,500 से ज्यादा मरीज आईपीडी और ओपीडी में दिखाने आ चुके हैं।
राजस्थान में 22 नवंबर 2020 से लगे नाइट कर्फ्यू के 7 दिन बाद की स्थिति ऐसी थी
दिनांक |
पॉजिटिव केस |
मौत |
23 नवंबर |
3,232 |
18 |
24 नवंबर |
3,314 |
19 |
25 नवंबर |
3,285 |
18 |
26 नवंबर |
3,180 |
19 |
27 नवंबर |
3,093 |
18 |
28 नवंबर |
2,765 |
19 |
29 नवंबर |
2,581 |
18 |
16 अप्रैल 2021 को लगे लॉकडाउन के बाद 5 दिन की स्थिति
दिनांक |
पॉजिटिव केस |
मौत |
17 अप्रैल |
9,046 |
37 |
18 अप्रैल |
10,262 |
42 |
19 अप्रैल |
11,967 |
53 |
20 अप्रैल |
12,201 |
64 |
21 अप्रैल |
14,622 |
62 |
जोधपुर: मामूली लक्षण वालों को रेफर नहीं किया जाएगा
जोधपुर में कोरोना से सबसे ज्यादा मौतें हो रही हैं। यहां बीते 3 दिन के अंदर 55 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। वहीं अस्पतालों में मरीजों का लोड भी बहुत ज्यादा बढ़ गया है। आस-पास के छोटे शहरों और दूसरे जिलों से भी मरीज रैफर होकर यहां आ रहे है। इनमें गंभीर स्थिति के अलावा कम और मध्यम लक्षण वाले मरीज भी शामिल हैं। कम और मध्यम लक्षण वाले मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए संभागीय आयुक्त ने मेडिकल रिलीफ सोसायटी के साथ बैठक कर निर्देश दिए हैं कि ऐसे मरीजों को छोटे शहरों और उनके जिलों में ही आइसोलेट किया जाए। ताकि जोधपुर के बड़े अस्पतालों में ज्यादा गंभीर स्थिति में आए मरीजों को बेड मिल सकें।
उदयपुर: ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत एक हफ्ते में दोगुनी हुई
उदयपुर में भी स्थिति दिनों-दिन बिगड़ती जा रही है। यहां नए मरीजों को अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे। जो मरीज भर्ती हैं, उन्हें ऑक्सीजन का टोटा है। 21 दिन के अंदर उदयपुर में ऑक्सीजन की खपत दोगुनी से ज्यादा बढ़ गई है। मार्च के आखिर तक यहां रोज 900 से भी कम ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत होती थी। आज यह बढ़कर 2,400 से ज्यादा हो गई है। वहीं मरीजों की बढ़ती तकलीफ के बीच दलाल और बिचौलिए भी फायदा उठा रहे हैं। वे जीवन रक्षक दवाओं की उपलब्धता की कमी बताकर मनमानी कीमत पर इंजेक्शन बेच रहे हैं। इस काम में कुछ डॉक्टर्स के शामिल होने की बात भी सामने आ रही है। रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के मामले में पुलिस ने 2 डॉक्टर्स को गिरफ्तार भी किया है। ये रेमडेसिविर का एक डोज 35 हजार रुपए तक में बेच रहे थे।
कोटा: अस्पताल, ऑक्सीजन के साथ अब जांचों की व्यवस्था भी बिगड़ी
कोटा में कोरोना से मेडिकल व्यवस्थाएं बुरी तरह लड़खड़ा गई हैं। यहां अस्पतालों में बेड, दवाइयां और ऑक्सीजन को लेकर पहले ही मारामारी चल रही है। इस बीच, अब जांच को लेकर भी लोग परेशान हो रहे हैं। कोटा में इन दिनों कोरोना की जांच करवाने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। इस वजह से सैंपल जयपुर और झालावाड़ भेजे जा रहे हैं। लोगों को कोरोना की रिपोर्ट के लिए 3-5 दिन तक का इंतजार करना पड़ रहा है। कोटा में पिछले 5 दिन में 5,975 केस आ चुके हैं, जबकि यहां कुल 20,510 जांचें हुई हैं। ऐसे में यहां संक्रमण की औसत दर 29% है।