डॉक्टरी पेशा सिर्फ रोजगार ही नहीं, बल्कि एक धर्म है जो किसी भी संकट में निभाना पड़ता है। कोरोना संकट में जहां लोग एक-दूसरे के करीब आने में डर रहे हैं, वहीं भोपाल के दो डॉक्टर खुद संक्रमित होने के बावजूद कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे हैं। इनका कहना है- हम बैठ गए तो मरीजों को कौन संभालेगा।
डॉ. अनुराधा चौधरी भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के सर्जरी डिपार्टमेंट में एसोसिएट प्रोफेसर हैं और 10 दिन से कोरोना संक्रमित हैं। वे हमीदिया अस्पताल के ए ब्लॉक के सैकंड फ्लोर पर भर्ती हैं और यहां भर्ती 20 से ज्यादा मरीजों का इलाज भी कर रही हैं। वे कहती हैं कि डॉ. देवेंद्र और डॉ. बर्डे को इलाज करते देखा तो मेरा हौसला बढ़ा। फिर तय किया कि यहां बीमार बनकर नहीं बैठना है। इसलिए अपने फ्लोर पर भर्ती 20 और दूसरे फ्लोर के मरीजों का भी इलाज कर रही हूं। जरूरत पड़ती है तो मेडिसिन के वे डॉक्टर, जो होम आइसोलेशन में हैं, उनसे फाेन पर दवा पूछकर मरीजों को दे देती हूं।
डॉ. अनुराधा ने बताया कि मरीज होते हुए डॉक्टर बनकर इलाज करना अपने तरह का पहला अनुभव है।
डॉ. अनुभव अग्रवाल का जीएमसी से एमडी मेडिसिन थर्ड ईयर चल रहा है। वे 16 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव हुए। अभी हमीदिया के एक ब्लॉक में फर्स्ट फ्लोर पर भर्ती हैं। वे बताते हैं कि जिस दिन भर्ती हुआ, उसी दिन यहां एडमिट एक मरीज को रेमडेसिविर इंजेक्शन से रिएक्शन हुआ। मैंने जिम्मेदारी समझी और इलाज में जुट गया। भूल गया कि खुद भी मरीज हूं। इसके बाद तय किया कि जब तक भर्ती हूं, मरीजों का इलाज भी करूंगा। मैं महसूस कर रहा हूं कि इनका इलाज कर मैं खुद भी जल्दी रिकवर हो रहा हूं।
डॉ. अनुभव अग्रवाल ने बताया कि फ्लोर पर कोई दिक्कत आती है तो नर्सिंग स्टाफ उन्हें बुलाता है। एक हफ्ते में वे 100 से ज्यादा मरीजों को देख चुके हैं।