बूढ़ी मां के कदमों में टूट गई जवान बेटे की सांस; घाटों पर चिताएं ठंडी नहीं हो रहीं, कब्रिस्तानों में दो गज जमीन नहीं बची

Posted By: Himmat Jaithwar
4/22/2021

नई दिल्ली। हमारा मकसद आपको डराना नहीं है, बल्कि उस सच्चाई से रूबरू कराना है जिसे जानना आपके लिए जरूरी है। सरकारी फाइलों में दर्ज कोरोना से होने वाली मौतों के आंकड़ों से हकीकत कहीं ज्यादा भयावह है। आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि अब श्मशान घाटों पर चिताएं ठंडी होने से पहले बुझा दी जा रहीं, ताकि दूसरे का अंतिम संस्कार किया जा सके। कब्रिस्तानों में शव को दफन करने के लिए जगह तक नहीं बची।

इस फोटो स्टोरी में हम आपको 10 शहरों से ऐसी ही 10 तस्वीरें दिखाएंगे। इसे देख आप खुद-ब-खुद देश के हालात से वाकिफ हो जाएंगे। तस्वीरें थोड़ा विचलित कर सकती हैं, क्योंकि इसमें आपको अपनों के खोने का दर्द दिखेगा। मर चुके सिस्टम की झलकियां, जनता की मायूसी और बेबसी दिखेगी। ये तस्वीरें आपको इस बात का भी एहसास कराएंगी कि आपके पास कितना भी पैसा क्यों न हो। आप कितने बड़े ओहदे पर क्यों न हों... अगर हल्की सी भी लापरवाही बरती तो आपके साथ आपके अपनों पर भी ये भारी पड़ सकती है।

फोटो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की है। यहां जौनपुर के मडियांहू की रहने वाली एक बुजुर्ग मां अपने जवान बेटे का इलाज कराने के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकती रही, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा। सरकारी सिस्टम तो देखिए बेटे को अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस तक नहीं मिली। आखिरकार बेटे की सांसें मां के कदमों में ही टूट गईं।
फोटो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की है। यहां जौनपुर के मडियांहू की रहने वाली एक बुजुर्ग मां अपने जवान बेटे का इलाज कराने के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकती रही, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा। सरकारी सिस्टम तो देखिए बेटे को अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस तक नहीं मिली। आखिरकार बेटे की सांसें मां के कदमों में ही टूट गईं।
फोटो उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की है। यहां भैसा कुंड श्मशान घाट पर एकसाथ 184 लाशों के अंतिम संस्कार का वीडियो सामने आया था, जबकि सरकारी आंकड़ों में हर दिन राजधानी में 10-25 मौतें ही दर्ज होती हैं।
फोटो उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की है। यहां भैसा कुंड श्मशान घाट पर एकसाथ 184 लाशों के अंतिम संस्कार का वीडियो सामने आया था, जबकि सरकारी आंकड़ों में हर दिन राजधानी में 10-25 मौतें ही दर्ज होती हैं।
फोटो उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर की है। यहां लगभग हर कोविड अस्पताल में हर दिन 10-20 मौतें हो रही हैं, लेकिन सरकारी आंकड़ों में पूरे जिले में केवल 10 से 15 लोगों के मारे जाने की बात दर्ज हो रही है। जिले के हर श्मशान घाट और कब्रिस्तान में सामान्य दिनों के मुकाबले कहीं ज्यादा शव पहुंच रहे हैं।
फोटो उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर की है। यहां लगभग हर कोविड अस्पताल में हर दिन 10-20 मौतें हो रही हैं, लेकिन सरकारी आंकड़ों में पूरे जिले में केवल 10 से 15 लोगों के मारे जाने की बात दर्ज हो रही है। जिले के हर श्मशान घाट और कब्रिस्तान में सामान्य दिनों के मुकाबले कहीं ज्यादा शव पहुंच रहे हैं।
फोटो देश की राजधानी दिल्ली की है। यहां कब्रिस्तान में भी लोगों के शव दफन करने की अब जगह नहीं बची है। कब्रिस्तान के मैनेजमेंट का कहना है कि हर दिन 50 से 60 लोगों के शव आ रहे हैं। अब शहर से दूर-दराज के कब्रिस्तानों में बात करके वहां ऐसे मृतकों को दफन किया जा रहा है।
फोटो देश की राजधानी दिल्ली की है। यहां कब्रिस्तान में भी लोगों के शव दफन करने की अब जगह नहीं बची है। कब्रिस्तान के मैनेजमेंट का कहना है कि हर दिन 50 से 60 लोगों के शव आ रहे हैं। अब शहर से दूर-दराज के कब्रिस्तानों में बात करके वहां ऐसे मृतकों को दफन किया जा रहा है।
फोटो जम्मू के जिला अस्पताल की है। यहां कोरोना से जान गंवाने वालों की संख्या में 123% का इजाफा हुआ है। इसके चलते अब शव को कब्रिस्तान और श्मशान घाट तक पहुंचाने के लिए शव वाहन भी कम पड़ गए हैं। एक-एक शव वाहन में 5-7 शवों को ले जाया जा रहा है।
फोटो जम्मू के जिला अस्पताल की है। यहां कोरोना से जान गंवाने वालों की संख्या में 123% का इजाफा हुआ है। इसके चलते अब शव को कब्रिस्तान और श्मशान घाट तक पहुंचाने के लिए शव वाहन भी कम पड़ गए हैं। एक-एक शव वाहन में 5-7 शवों को ले जाया जा रहा है।
फोटो गुजरात के अहमदाबाद शहर की है। यहां के घाटों और कब्रिस्तानों में हर दिन करीब 100-150 लोगों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल के तहत हो रहा है, लेकिन सरकारी आंकड़ों में केवल 20-25 मौतें ही दर्ज हो रही हैं। आलम ये है कि अस्पतालों के फ्रीजर में अब शवों को रखने के लिए जगह तक नहीं बची है।
फोटो गुजरात के अहमदाबाद शहर की है। यहां के घाटों और कब्रिस्तानों में हर दिन करीब 100-150 लोगों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल के तहत हो रहा है, लेकिन सरकारी आंकड़ों में केवल 20-25 मौतें ही दर्ज हो रही हैं। आलम ये है कि अस्पतालों के फ्रीजर में अब शवों को रखने के लिए जगह तक नहीं बची है।
फोटो पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता की है। यहां कोरोना से जान गंवाने वाले मरीज के परिजनों को उसका आखिरी बार चेहरा तक देखने को नसीब नहीं हुआ। बार-बार परिजन शव को देखकर रोते-बिलखते रहे।
फोटो पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता की है। यहां कोरोना से जान गंवाने वाले मरीज के परिजनों को उसका आखिरी बार चेहरा तक देखने को नसीब नहीं हुआ। बार-बार परिजन शव को देखकर रोते-बिलखते रहे।
फोटो मुंबई की है। यहां के श्मशान घाटों पर दिन-रात कोरोना से जान गंवाने वालों का अंतिम संस्कार हो रहा है। कब्रिस्तानों में जगह फुल होने के चलते अब बाहरी इलाकों में शवों को दफन किया जा रहा है।
फोटो मुंबई की है। यहां के श्मशान घाटों पर दिन-रात कोरोना से जान गंवाने वालों का अंतिम संस्कार हो रहा है। कब्रिस्तानों में जगह फुल होने के चलते अब बाहरी इलाकों में शवों को दफन किया जा रहा है।
फोटो कर्नाटक के बेंगलुरु शहर की है। यहां बोमानहाली घाट पर कोरोना से जान गंवाने वालों का शव लेकर पहुंची एंबुलेंस को भी लाइन लगानी पड़ी। यहां हर दिन 100-200 लोगों के अंतिम संस्कार हो रहे हैं, जबकि सरकारी आंकड़ों 50 से 70 मौतें ही दर्ज हो रही हैं।
फोटो कर्नाटक के बेंगलुरु शहर की है। यहां बोमानहाली घाट पर कोरोना से जान गंवाने वालों का शव लेकर पहुंची एंबुलेंस को भी लाइन लगानी पड़ी। यहां हर दिन 100-200 लोगों के अंतिम संस्कार हो रहे हैं, जबकि सरकारी आंकड़ों 50 से 70 मौतें ही दर्ज हो रही हैं।



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