नई दिल्ली। देश में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है. ऑक्सीजन की कमी के मामले भी सामने आ रहे हैं. रेमडेसिविर को लेकर भी मारामारी हो रही है. ऐसे में एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कई अहम सवालों के जवाब दिए. रेमडेसिविर को लेकर उन्होंने कहा कि ये कोई जादुई दवा नहीं है और अगर आप गंभीर नहीं हैं, तो आपको रेमडेसिविर नहीं लेना चाहिए. वैक्सीन को लेकर भी उन्होंने कहा कि वैक्सीन लगाने के बाद भी संक्रमण हो सकता है, लेकिन आपको गंभीर बीमारी नहीं होगी. और क्या कुछ कहा उन्होंने, आइए जानते हैं...
ई-कॉमर्स साइट पर ऑक्सीजन कैन बेचे जा रहे हैं, क्या इन्हें खरीदकर रखना ठीक है? डॉ. गुलेरियाः ऑक्सीजन कैन को खरीदकर रखने का कोई फायदा नहीं है. क्योंकि ऐसा नहीं होता कि आपने 10-15 मिनट के लिए ऑक्सीजन ले ली, तो आप ठीक हो जाएंगे. अगर आपकी ऑक्सीजन कम हो रही है, तो आपको हॉस्पिटल में ही ट्रीटमेंट लेना चाहिए. वहां मॉनिटर करके आपको ऑक्सीजन लेने की जरूरत है. इसलिए घर पर आप ऑक्सीजन लें और उसकी मॉनिटरिंग भी न हो पाए और आपको ऐसा लगे कि मैं ठीक हूं, ये धारणा ठीक नहीं है. अगर आपकी सैचुरेशन 94 से कम है, तो डॉक्टर से संपर्क करें. और अगर 90 से कम है, तो तुरंत अस्पताल जाएं. घर पर ऑक्सीजन न रखें, क्योंकि उससे आपको गलतफहमी भी हो जाएगी.
क्या रेमडेसिविर वाकई कारगर है?
डॉ. गुलेरियाः रेमडेसिविर को लेकर अब तक जितनी भी स्टडी हुई हैं, उसमें पता चला है कि रेमडेसिविर से हॉस्पिटल एडमिशन कुछ दिन कम हो जाते हैं. लेकिन वो मोर्टालिटी ठीक नहीं करती. वो कोई ऐसी जादुई दवा नहीं है कि इससे इंसान ठीक हो जाएगा. दूसरी चीज ये कि रेमडेसिविर की जरूरत उन्हीं लोगों को है, जिनकी हालत बहुत गंभीर हो, जो हॉस्पिटल में हो, जिनके फेफड़ों में इन्फेक्शन फैल गया हो और ऑक्सीजन सैचुरेशन कम हो गई हो. माइल्ड केसेस में रेमडेसिविर देने का कोई फायदा नहीं है. लेकिन लोग पैनिक हो रहे हैं और सोच रहे हैं कि थोड़ा सा भी वायरस इन्फेक्शन हो रहा है, तो रेमडेसिविर ले सकते हैं. ये ठीक नहीं है. क्योंकि हर दवा के अपने साइड इफेक्ट्स होते हैं. रेमडेसिविर के अपने साइड इफेक्ट्स हैं.
वैक्सीन लगवाने के एंटीबॉडी भी बनी, लेकिन फिर भी कोविड पॉजिटिव क्यों?
डॉ. गुलेरियाः वैक्सीन लगवाने के बाद आपको बीमारी नहीं होगी, संक्रमण हो सकता है. इसमें अंतर क्या है. वैक्सीन के दोनों डोज लेने के 14 दिन बाद एंटीबॉडी आ जाती है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आपको इन्फेक्शन नहीं हो सकता. आपके नाक और गले में कोरोनावायरस फिर भी आ सकता है. और आपका टेस्ट पॉजिटिव भी हो सकता है. लेकिन आपके शरीर में जो एंटीबॉडी बनी है, वो वायरस को आगे नहीं बढ़ने देंगी. इसलिए आपको गंभीर बीमारी नहीं होगी. आपको अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होगी. कुछ हद तक वैक्सीन आपको प्रोटेक्शन देगी, लेकिन 100% प्रोटेक्शन नहीं देगी. इसलिए वैक्सीन लगाने के बाद भी आपको मास्क लगाने की जरूरत है. क्योंकि अगर आप संक्रमित हैं, तो आप किसी और को संक्रमित कर सकते हैं.
आरटीपीसीआर कोविड डिटेक्ट नहीं कर पा रहा है, क्यों?
डॉ. गुलेरियाः आरटीपीसीआर टेस्ट की सेंसिटिविटी 80% है. इसका मतलब यही है कि हो सकता है कि 20% मामलों में ये कोविड डिटेक्ट नहीं कर पाए. ये हम पिछले साल से कह रहे हैं. क्योंकि ये 100% नहीं है. अगर आपका आरटीपीसीआर पॉजिटिव है, तो ये तय है कि आपको कोविड है. लेकिन निगेटिव है, तो हो सकता है कि आप उन 20% में हो, टेस्ट इन्फेक्शन नहीं पकड़ पाया. दूसरी चीज ये कि जो स्वाब ले रहे हैं, उन लोगों को सैम्पल लेना अच्छी तरह से आना चाहिए. कई बार ऐसा होता है कि लोग जो स्वाब नाक के अंदर डालते हैं, वो नाक में पूरी तरह से अंदर नहीं लेकर जाते और उसमें फिर वायरस आता नहीं है. अगर आप सैम्पल ठीक से नहीं लोगे, तो आपकी रिपोर्ट निगेटिव आ सकती है. इसलिए अगर आपमें कोविड जैसे लक्षण हों, आपकी सीटी स्कैन, एक्सरे रिपोर्ट में कोविड हो, तो ये मान लेना चाहिए कि आप संक्रमित हैं और आपको खुद को आइसोलेट कर लेना चाहिए.
क्या डबल म्यूटेंट की वजह से ही दूसरी लहर में वायरस ज्यादा तेजी से फैल रहा है?
डॉ. गुलेरियाः कोविड एक आरएनए वायरस है. वो लगातार म्यूटेट करते हैं. जब वायरस किसी के शरीर में बढ़ता है. अपने आपको मल्टीप्लाय करता है, तो कभी-कभी वायरस म्यूटेट होकर अलग तरह का हो जाता है. और कभी-कभी दवाई या वैक्सीन की वजह से भी वायरस अपने आपको म्यूटेट करता है. म्यूटेशन हम काफी टाइम से देख रहे हैं, लेकिन कुछ ऐसे म्यूटेशन होते हैं, जो ज्यादा चिंता बढ़ाते हैं. एक तो ये कि ऐसा म्यूटेशन आ सकता है, जो बहुत जल्दी फैल रहा है. हम मान रहे हैं कि भारत में भी ऐसा ही कोई म्यूटेशन है, जो बहुत जल्दी फैल रहा है. दूसरे कई म्यूटेशन ऐसे भी होते हैं, जिससे डेथ रेट बढ़ जाता है. तीसरा ये कि कहीं ऐसा म्यूटेशन तो नहीं है जो रीइन्फेक्शन कर रहा है या वैक्सीन की एफिकेसी को कम कर रहा है. दुनिया में अभी तीन नए वैरिएंट्स आए हैं. यूके वैरिएंट, साउथ अफ्रीकन वैरिएंट और ब्राजील वैरिएंट है. डबल म्यूटेंट जो इंडिया में रिपोर्ट हुआ है, वो दो म्यूटेंट का मिक्सिंग होने के कारण वायरस का नया म्यूटेंट बना है. उसपे स्टडी हो रही है कि क्या कहीं इसकी वजह से वायरस तेजी से फैल तो नहीं रहा है या इससे वैक्सीन की एफिकेसी कम तो नहीं हो रही. हमें हर राज्यों का डेटा देखना होगा और उस हिसाब से अपनी रणनीति बनानी होगी.