नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोप को लेकर 2013 में दर्ज एक प्राथमिकी रद्द कर दी क्योंकि आरोपी और शिकायतकर्ता ने इससे पहले कहा था कि उनके बीच किसी गलतफहमी के कारण यह दर्ज करवायी गयी थी और वे 2014 से सुखी विवाहित जीवन बिता रहे हैं।
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश महेश्वरी की पीठ ने संयुक्त रूप से प्राथमिकी रद्द करने के लिए दायर अनुरोध को स्वीकार कर लिया. इसके साथ ही नवंबर 2019 और जनवरी 2020 में दिए दिल्ली उच्च न्यायालय के उन फैसलों को रद्द कर दिया, जिसमें प्राथमिकी रद्द करने की अर्जी खारिज की गई थी.
उल्लेखनीय है कि सितंबर 2013 में दिल्ली के सफदरजंग एंक्लेव थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा-376 (दुष्कर्म) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. आरोपियों ने वकील निशंक मट्टू के जरिये उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी.