आज से देवी पूजा का नौ दिवसीय पर्व चैत्र नवरात्र भी शुरू हो रहा है। चैत्र नवरात्र में नौ दिनों तक पूजा, व्रत और ध्यान के साथ ही नीम के पत्ते खाने की भी परंपरा है। साथ ही, फलों में आम खाने की शुरुआत की जाती है। कोरोना काल में ये परंपराएं और ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई हैं क्योंकि इनका संबंध हमारी सेहत से है।
देहरादून के आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. नवीन जोशी बताते हैं कि एक साल में चार बार नवरात्र आता है और चारों बार ये पर्व दो ऋतुओं के संधिकाल में ही आता है। संधिकाल यानी एक ऋतु जाने का और दूसरी ऋतु के आने का समय। अभी बसंत ऋतु के जाने और ग्रीष्म ऋतु के आने का समय है और चैत्र नवरात्र मनाया जाएगा। इस समय मौसमी बीमारियों का असर काफी बढ़ जाता है। चैत्र नवरात्र का संदेश यही है कि मौसमी रोगों से बचाव के लिए खान-पान और रहन-सहन में कुछ बदलाव कर लेना चाहिए। जो भी परंपराएं हैं, वे इसी बदलाव को दिनचर्या में उतारने के लिए हैं।
इस समय व्रत करने से क्या लाभ मिलते हैं?
दो ऋतुओं के बीच का समय सेहत के मामले में संभलकर रहने का होता है। इन दिनों में खान-पान से जुड़ी लापरवाही बरतने से सर्दी-जुकाम, बुखार, पेट दर्द, अपच जैसी बीमारियां होने का खतरा होता है। आयुर्वेद में रोगों से बचाव के लिए लंघन नाम की एक विधि है। इस विधि में व्रत करने की सलाह दी जाती है। व्रत करने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है और हमारा शरीर रिचार्ज होता है।
नीम की पत्तियों से क्या लाभ मिलते हैं?
आयुर्वेद में नीम को कई बीमारियों के लिए रामबाण माना गया है। इसकी पत्तियों का रोज सीमित मात्रा में सेवन किया जाए तो मौसमी बीमारियां, स्किन संबंधी समस्याएं, कफ आदि में लाभ मिलता है। नीम में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट्स, खनिज तत्व जैसे कैल्शियम, लोहा, विटामिन ए और सी आदि होते हैं। ये सभी तत्व हमें बीमार करने वाले रोगाणुओं की रोकथाम करते हैं। हमारी इम्युनिटी बढ़ाते हैं, जिससे वायरल बुखार से लड़ने की शक्ति शरीर को मिलती है। ऋतुओं का संधिकाल होने की वजह से इन बीमारियों से बचाव हो सके हो सके, इसलिए नीम का सेवन करने की परंपरा प्रचलित है। इन दिनों में शरीर स्वस्थ रहेगा तो पूजा-पाठ में किसी तरह की परेशानी नहीं आएगी। कोरोना काल में भी ये परंपरा हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है।
चैत्र नवरात्र में आम का क्या महत्व है?
चैत्र नवरात्र के समय देवी मां को आम का भोग लगाने और आम का सेवन करने की भी परंपरा है। आम की खटाई हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। कच्चे आम में विटामिन सी ज्यादा होता है और पके आम में विटामिन ए। इस फल में फायबर, प्रोटीन और एंटीऑक्सिडेंट जैसे कई तत्व काफी मात्रा में होते हैं। आम में पानी भी बहुत ज्यादा होता है। गर्मी के मौसम में आम हमारे शरीर में पानी का स्तर संतुलित रखने में मदद करता है। आम गर्मी की वजह से होने वाले रोगों से बचाता है। इसके नियमित सेवन से त्वचा की चमक बढ़ती है, पाचन तंत्र को लाभ मिलता है, आंखों के लिए ये फल फायदेमंद है, शरीर को ताकत मिलती है। कच्ची कैरी का पना पीने से लू से बचाव हो सकता है। ध्यान रखें आम सीमित मात्रा में ही लेना चाहिए।
रोज सुबह जल्दी उठकर ध्यान करने से लाभ मिलता है
चैत्र नवरात्र के समय मौसम न तो बहुत ज्यादा गर्म होता है और न ही बहुत ज्यादा ठंडा। ऐसे वातावरण में एकाग्रता बनाए रखना थोड़ा आसान होता है। एकाग्र मन के साथ किए गए ध्यान से बहुत जल्दी लाभ मिल सकता है। मानसिक तनाव दूर होता है और हम भक्ति, पूजा-पाठ, व्रत-उपवास और अपना काम पूरी एकाग्रता के साथ कर पाते हैं। ध्यान के समय सांस लेने का विशेष तरीका होता है, जिससे हमारा श्वास तंत्र मजबूत होता है। ये क्रिया फेफड़ों के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है। शुरुआती दौर में ध्यान कम से कम 10 से 15 मिनट तक करना चाहिए। धीरे-धीरे इस समय में बढ़ोतरी करें। किसी शांत और पवित्र जगह पर मेडिटेशन करें। आरामदायक कपड़े पहनें और खाली पेट ध्यान करेंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा। इस संबंध में किसी योग्य विशेषज्ञ से सलाह लेंगे तो ज्यादा लाभ मिल सकता है।
फलाहार करने से क्या लाभ मिलते हैं?
नवरात्र के दिनों में गेहूं, चावल, दाल आदि चीजों को छोड़ने से अपच, गैस जैसी समस्याएं नहीं होती हैं। काफी लोग नवरात्र के दिनों में लंबे समय की साधनाएं करते हैं। ऐसे लोगों के लिए अन्न छोड़ना और फलाहार करना बहुत फायदेमंद है। फलों से शरीर को जरूरी ऊर्जा मिल जाती है। फल आसानी से पच भी जाते हैं। अगर इन दिनों में अन्न का सेवन किया जाएगा तो पूजा-पाठ के समय आलस की वजह से एकाग्रता टूट सकती है। पूजा एक जगह बैठकर करनी होती है और ऐसे में अन्न खाएंगे तो बैठे-बैठे अन्न पचेगा नहीं, अपच हो सकता है। पूजा-पाठ में एकाग्रता बनी रहे और आलस दूर रहे, इसलिए नवरात्र में फलों का सेवन खासतौर पर किया जाता है।