विश्व की महान संस्कृति का ध्वजवाहक है हिन्‍दू नववर्ष

Posted By: Himmat Jaithwar
4/13/2021

कोलकाता। हिन्‍दू नववर्ष जो कि विश्व की महान संस्कृति का ध्वजवाहक है। इस बार नववर्ष आगामी 13 अप्रैल यानी कि मंगलवार से शुरू हो जायेगा।जैसा आप सभी जानते हैं वैदिक धर्म संसार का एकमात्र सबसे पुराना धर्म है जिसका साक्ष्य है ‘वेद’।चैत्र मास सनातन वैदिक धर्म के संवत्सर का प्रथम मास है और इसका आरम्भ कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से ही होता है।इसके बाद चैत्र मास का शुक्ल पक्ष आरम्भ होता है और प्रतिपदा के दिन नवसंवत्सर मनाया जाता है।यह सर्वविदित है कि पूरे विश्व में धर्मानुसार अलग-अलग दिन नव वर्ष मनाते हैं। अलग अलग राज्यों में नव वर्ष चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को नवसंवत्सर वहीं असम में इसे रोंगली बिहू, महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा, पंजाब में वैशाखी,जम्मू कश्मीर में नवरेह,आंध्र प्रदेश में उगादिनाम,केरल में विशु और सिंध में चेटीचंड कह कर बुलाते हैं।

नव वर्ष पर सामाजिक व ऐतिहासिक संदर्भों का उल्लेख
आपकी जानकारी के लिये बता दें कि चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा वाले दिन अनेकों ऐसी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक व सामाजिक घटनाएं हुई हैं जिसके कारण इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। इस दिन से सम्बन्धित कुछ सामाजिक एवं ऐतिहासिक संदर्भों का उल्लेख है।ब्रह्मपुराण के अनुसार त्रिदेवों में से एक पितामह ब्रह्मा ने इसी दिन सूर्योदय से सृष्टिनिर्माण प्रारम्भ किया था,इसलिए यह सृष्टि का आरम्भ दिवस यानी भारतीय नववर्ष का पहला दिन चैत्र प्रतिपदा से भारतीय नव वर्ष प्रारंभ होता है।इसी दिन मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम ने बालि के अत्याचारी शासन से प्रजा को मुक्ति दिलाई थी और लंका विजय के बाद अयोध्या लौटने पर मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ। इसी दिन महाराज युधिष्ठर का भी राज्याभिषेक हुआ।सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।माँ दुर्गा की साधना चैत्र नवरात्रि का प्रथम दिवस यानी शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात नवरात्री की भी शुरुआत इसी दिन से होती है।प्रभु राम के भी पूर्ववर्ती महान शिवभक्त श्री महर्षि गौतम का भी प्राकट्य दिवस है। चैत्र माह में खेतों में हलचल देखने को मिलती है क्योंकि फसलों की कटाई चालू हो जाती है जिसके चलते नई फसल घर में आनी शुरू हो जाती है। गणगौर पर्व चैत्र माह में बड़े ही श्रध्दा से कुँवारी लड़कियों द्वारा मनपसंद वर पाने की कामना जबकि विवाहित महिलायें अपने लिए अखंड सौभाग्य,अपने पीहर और ससुराल की समृद्धि की कामना के लिये मनाती हैं।

दशकों के बाद अजीब संयोग
ज्योतिर्विदों के अनुसार,दशकों बाद बन रहा है अजीब संयोग, 90 वर्ष में पड़ने वाला संवत्सर विलुप्त नाम का संवत्सर ‘आनंद’ का उच्चारण नहीं किया जाएगा। इसलिये इस बार 13 अप्रैल 2021 से शुरु होने वाला विक्रम सम्वत 2078 राक्षस नाम से जाना जाएगा। उपरोक्त वर्णित तथ्यों से स्पष्ट है कि यह राष्ट्रीय स्वाभिमान और सांस्कृतिक धरोहर को बचाने वाला पुण्य दिवस है।इसलिये ऐसे हमारे सनातन एवं गौरवपूर्ण नववर्ष को हमें परस्पर अभिनन्दन और शुभकामना,मंगलकामना,नववर्ष मधुर मिलन आदि के साथ धूमधाम से मनाना चाहिये। –



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