क्या Remdesivir से होगा कोरोना कंट्रोल, प्रोडक्शन के लिए इमरजेंसी अप्रूवल कितना जरूरी

Posted By: Himmat Jaithwar
4/13/2021

एंटी वायरल ड्रग रेमडेसिवीर के लिए इमरजेंसी अप्रूवल की मांग बढ़ी है, देश में कई कंपनियों ने एंटीवाइरल ड्रग के लिए रेमडेसिवीर (Remdesivir) बनाने के लिए इमरजेंसी अप्रूवल की मांग की है. कई कंपनियों की मांग हैं कि इमरजेंसी हालात से निपटने के लिए कंपलसरी लाइसेंसिंग के जरिए ये आजादी दी जानी चाहिए ताकि देश में जरूरतों को पूरा किया जा सके और इमरजेंसी हालात से निपटा जा सके. देश में कोरोना की दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है और महाराष्ट्र में पूरे देश के लगभग 50 फीसदी नए केसेज रोजाना मिल रहे हैं. कोरोना मामले में रेमडेसिवीर का इस्तेमाल होता है क्योंकि फेफड़ा डैमेज होने के चांसेज ज्यादा होते हैं. कोविड-19 थेरेपी में इस्तेमाल किए जाने वाले रेमडेसिवीर की मांग को पूरा करने के लिए फॉर्मा कंपनियों ने इमरजेंसी अप्रूवल की मांग की है. फिलहाल इस दवा को बनाने का पेटेंट यूएस की एक कंपनी गिलियड (Gilead) को मिली हुई है और इस कंपनी का करार देश के सात कंपनियों के साथ हुआ है, जिन्हें रेमडेसिवीर बनाने की आजादी प्राप्त है. लेकिन उसके बाद भी देश में रेमडेसिवीर की ब्लैक मार्केटिंग की नौबत आ पड़ी हैं.
एक नामचीन दवा कंपनी के एसोसिएट प्रेसिडेंट ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि रेमडेसिवीर हाई एंड एंटी वाइरल ड्रग है जो लंग्स पर पैचेज के बाद आसाधारण स्थिति में इस्तेमाल होती है. इसकी कीमत 3000 से पांच हजार के आस-पास है लेकिन बाजार में झूठी अफवाह और ब्लैक मार्केटिंग की प्रवृति के कारण इसकी कीमत 40 हजार से उपर हो चुकी है. देश में इमरजेंसी हालात की वजह से और ताजा आंकड़े 1 लाख 70 हजार के पास पहुंचने की वजह से रेमडेसिवीर की मांग आसमान छूने लगी है.

कंपलसरी लाइसेंसिंग के जरिए इमरजेंसी अप्रूवल की मांग
किसी भी दवा का पेटेंट जिस कंपनी का होता है उसका 20 साल तक उस दवा पर एकाधिकार होता है. इस मामले में गिलयड (Gilead) को पेटेंट मिला हुआ है और वह 

देश के सात कंपनियों के साथ 
डेसिवीर बनाने का काम कर रही है. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की पूर्व सचिव और इभास (IBHAS) की प्रोफेसर डॉ संगीत शर्मा कहती हैं कि देश में माहमारी के दरमियान इमरजेंसी हालात से निपटने के लिए कंपलसरी लाइसेंसिंग का प्रोविजन है और सरकार ऐसी हालात में कंपलसरी लाइसेंमां के प्रावधान का इस्तेमाल कर सकती है. दरअसल भारत सरकार कैंसर की एक दवा के लिए कैंसर लाइसेंसिंग प्रोविजन का इस्तेमाल पहले कर चुकी है. इसलिए रेमडेसिवीर के लिए दवा कंपनी निर्माताओं ने इमरजेंसी अप्रूवल की मांग तेज कर दी है.

फिलहाल देश के पास पर्याप्त मात्रा में रेमडेसिवीर 
फिलहाल देश में हर रोज एक लाख 75 हजार के करीब रेमडेसिवीर तैयार हो रही है. जो अभी के लिहाज से पर्याप्त लगती है. अगर लोग घबराकर घरों में बेवजह इसे स्टॉक न करें तो फिलहाल कमी का कोई चांस नहीं दिखता. गुजरात सरकार ने भी हाईकोर्ट में रेमडेसिवीर की कमी पर जवाब देते हुए कहा है कि रेमडेसिवीर को लेकर नाहक माहौल बनाया जा रहा है, जबकि ये इमरजेंसी ड्रग है और इसमें साइक्लोडेक्सट्रिन नामक कंपाउंड होता है जो किडनी और लीवर दोनों को नुकसान पहुंचाता है. इसलिए डॉक्टर को कोविड के इलाज के लिए इसके इस्तेमाल की सलाह नहीं देनी चाहिए. वैसे भारत सरकार ने एक दिन पहले ही रेमडेसिवीर के एक्सपोर्ट को लेकर रोक लगा दी है ताकि देश में इसकी कमी कहीं भी ना हो.



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