नई दिल्ली. कोरोनावायरस के अंधकार के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर देशवासियों ने रविवार रात 9 बजे 9 मिनट तक लाइटें बंद कर दीया, मोमबत्ती, टॉर्च और फोन की फ्लैश लाइट जलाई। प्रधानमंत्री ने रविवार को लोगों को याद दिलाने के लिए ट्वीट भी किया था। इससे पहले मोदी ने कोरोना संकट पर अपने तीसरे संबोधन में कहा था कि हमें 5 अप्रैल को अपनी महाशक्ति का जागरण करना है, ताकि लॉकडाउन के दौरान घरों में मौजूद लोग खुद को अकेला महसूस न करें।
ये करें: दीया, मोमबत्ती या मोबाइल की फ्लैश लाइट जलाएं। कुछ पल अकेले बैठकर मां भारती का स्मरण करें।
ये न करें: घर से बाहर न जाएं। सोशल डिस्टेंसिंग की लक्ष्मण रेखा न तोड़ें। कोरोना की चेन तोड़ने का यही रामबाण इलाज है।
भारतीय सेना कहा- दीया जलाते वक्त अल्कोहल बेस्ड सैनेटाइजर इस्तेमाल न करें। इससे आग लगने का खतरा है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जलाया दीया
बिजली उपकरणों को कोई खतरा नहीं: ऊर्जा मंत्रालय
केंद्रीय ऊर्जा सचिव संजीव नंदन सहाय ने उन आशंकाओं को बेबुनियााद बताया, जिनमें कहा गया है कि लाइटें बंद होने के बाद वोल्टेज बढ़ने से बिजली के उपकरण खराब हो जाएंगे। लोग रात 9 बजे सिर्फ लाइट बंद रखें, पंखा, फ्रिज, एसी जैसे बाकी उपकरण चलने दें। उपकरणों को कोई खतरा नहीं है। सभी बिजली उत्पादक और वितरण कंपनियों की पूरी तैयारी है। ग्रिड में भी कोई दिक्कत नहीं होगी। इससे पहले, अचानक बिजला की खपत कम होने और बढ़ने हवाला देते हुए महाराष्ट्र के मंत्री और कांग्रेस नेता शशि थरूर ने ग्रिड फेल होने की आशंका जताई थी।
मोदी ने की थी अपील
कोरोना संकट पर मोदी ने शुक्रवार को तीसरी बार देशवासियों को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने 5 अप्रैल को कोरोना संकट के अंधकार को चुनौती देने लिए लाइट बंद करके दिया जलाने की अपील की थी। उन्होंने कहा था, ‘‘हमें प्रकाश की ताकत का परिचय कराना है। रविवार को 130 करोड़ देशवासियों की महाशक्ति का जागरण करना है। घर की सभी लाइटें बंद कर, दरवाजे पर या बालकनी में, खड़े रहकर, 9 मिनट के लिए मोमबत्ती, दीया, टॉर्च या मोबाइल की फ्लैशलाइट जलाएं। ताकि अपने घरों में मौजूद कोई भी कोरोना के खिलाफ लड़ाई में खुद को अकेला महसूस न करे। प्रकाश के इस आयोजन के दौरान सोशल डेस्टेंसिंग की लक्ष्मण रेखा का भी ध्यान रखें। कोरोना संकट को हराने के लिए प्रकाश के तेज को चारों ओर फैलाना है। दुनिया में ऐसा कुछ नहीं है, जो हम ताकत से हासिल न कर पाएं।’’