नई दिल्ली। वैक्सीन की कमी की शिकायत करने वाली महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ सरकारों को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आड़े हाथों लिया है। साथ ही वैक्सीनेशन कराने में फेल दिख रही पंजाब और दिल्ली सरकार की भी खिंचाई की। डॉ. हर्षवर्धन ने महाराष्ट्र सरकार के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि देश में कहीं भी वैक्सीन की कोई कमी नहीं है। महाराष्ट्र सरकार बार-बार अपनी गलतियों को दोहरा रही है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि गलतियां दोहराने के चलते महाराष्ट्र में हालात खराब हुए। अब वहां की सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए हम पर आरोप लगा रही है। उन्होंने कहा कि जो भी राज्य वैक्सीन कमी की बात कर रहे हैं वे राजनीतिक रूप से लोगों को डराने का काम कर रहे हैं।
वैक्सीन पर सवाल उठाना गलत
डॉ. हर्षवर्धन ने छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री को भी कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने कोवैक्सिन को अपने राज्य में लगाने से मना कर दिया था। वह लगातार ऐसे बयान दिये जा रहे थे जिनकी मंशा टीकाकरण के बारे में दुष्प्रचार और घबराहट फैलाना है। इससे कोरोना के खिलाफ चल रही लड़ाई कमजोर हुई है।
पंजाब, दिल्ली, महाराष्ट्र में हेल्थ वर्कर्स के वैक्सीनेशन में भी कमी
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि महाराष्ट्र सरकार ने केवल 86% हेल्थ वर्कर्स को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज दी। दिल्ली में में 72% और पंजाब में केवल 64% स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन लगाई गई। दूसरी ओर 10 अन्य राज्य और केंद्र शासित राज्यों में 90% से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। इसी तरह फ्रंट लाइन वर्कर्स को भी वैक्सीन लगाने में ये तीनों सरकार फेल रहीं हैं। महाराष्ट्र में अब तक केवल 73%, जबकि दिल्ली में 71% और पंजाब में 65% फ्रंट लाइन वर्कर्स को वैक्सीन की पहली डोज दी गई। ये आंकड़े नेशनल एवरेज से भी कम है।
राज्य सरकारों को पत्र भी लिखा
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पंजाब, महाराष्ट्र और दिल्ली सरकार को पत्र लिखकर वैक्सीनेशन बढ़ाने की बात कही है। पत्र में बताया गया है कि इन तीनों राज्यों में नेशनल एवरेज से भी कम वैक्सीन लगाई गई है। महाराष्ट्र सरकार को लिखे चिट्ठी में कहा गया है कि राज्य में केंद्र सरकार की तरफ से 1 करोड़ 6 लाख 19 हजार 190 वैक्सीन की डोज भेजी गई थी। इनमें से केवल 90 लाख 53 हजार 523 टीकों का इस्तेमाल हुआ है। बाकी वैक्सीन की डोज अभी भी बची है। ऐसे में वैक्सीन की कमी का आरोप बिल्कुल गलत है।