हिंदू शास्त्रों के मुताबिक दर्श अमावस्या पर चांद पूरी रात गायब रहता है। धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि सुख-समृद्धि और परिवार के उद्धार की कामना के लिए ये दिन बहुत खास होता है। इस बार यह 11 अप्रैल, रविवार को है। इस दिन पूर्वजों की पूजा करना भी शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि जो लोग इस दिन सच्चे मन से प्रार्थना करते हैं। चंद्र देव उनकी प्रार्थना जरूर सुनते हैं। इस दिन चंद्र दर्शन और उपवास करने वाले लोग आध्यात्मिक संवेदनशीलता प्राप्त कर सकते हैं।
नहीं दिखता चंद्रमा फिर दर्श अमावस्या क्यों
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र का कहना है कि ग्रंथों में तीन तरह की अमावस्या बताई गई है। जब सूर्योदय से शुरू होकर पूरी रात अमावस्या तिथि हो तो उसे "सिनीवाली अमवस्या" कहा जाता है। जिस दिन चतुर्दशी के साथ अमावस्या तिथि हो तो उसे "दर्श अमावस्या" कहा गया है। इनके अलावा जब अमवस्या के साथ प्रतिपदा तिथि भी हो तो उसे "कुहू अमावस्या" कहा गया है।
चंद्र देव की मिलती है कृपा
जो लोग दर्श अमावस्या के दिन पूजा करते हैं, उन्हें अपने जीवन में अच्छे भाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। भगवान चंद्र देव की पूजा करने से जीवन में जिन कामों में रुकावटें आ रही होती हैं वे दूर हो जाती हैं। पंडितों और ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि भगवान चंद्र देव की पूजा करने से मन को शीतलता और शांति का अहसास होता है।
रास्तों को आसान बनाते हैं
जिन लोगों के जीवन में संघर्ष अधिक होता है, भगवान चंद्र देव उनके रास्तों को आसान बनाते हैं। वहीं जो लोग अपने जीवन में मोक्ष प्राप्त करना चाहते हैं, ऐसे लोग अगर इस दिन उपवास रखकर चंद्र देव की पूजा करते हैं तो उनकी इच्छा पूरी होती है। शास्त्रों में चंद्र देव को सबसे महत्वपूर्ण नवग्रहों में से एक माना गया है।