बीजापुर: बीजापुर के टेकलगुड़ा गांव में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुए मुठभेड़ के मामले में बीजापुर और सुकमा पुलिस को जानकारी मिली थी कि जंगल में दुर्दांत नक्सली हिड़मा अपने अन्य साथियों के साथ मौजूद है. इस जानकारी के बाद बीजापुर और सुकमा जिले के सुरक्षाबल टेकलगुड़ा की ओर निकले. सुरक्षाबलों के जंगल कूच करने की भनक हिड़मा को पहले ही लग चुकी थी. वह अपने नक्सल साथियों के साथ टेकलगुड़ा से कुछ दूर आगे पहाड़ में घात लगाकर पहले से ही बैठा था.
सुरक्षाबल जैसे ही उस इलाके में पहुंचे, पहाड़ों में छिपे नक्सलियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग झोंक दी. रॉकेट लॉन्चर से गोले दागने लगे. सुरक्षाबलों को संभलने का मौका भी नहीं मिला. जवान जवाबी गोलीबारी करते हुए सुरक्षित जगह की तलाश में बैक हुए. लेकिन नक्सली सुरक्षाबलों पर लगातार गोलीबारी करते हुए उनके पीछे लग गए. एक किलोमीटर की दूरी तक जवानों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ होती रही. ग्रामीणों के मुताबिक यह मुठभेड़ 5 घंटे तक चली. इस मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हो गए, जबकि 31 घायल हैं.
ग्रामीणों की मानें तो सुरक्षाबल गांव में आकर हिड़मा के बारे में पूछताछ कर रहे थे. संभवतः जवानों से यही चूक हुई. ग्रामीणों के अनुसार इस मुठभेड़ में एक नक्सली के मारे जाने की और एक नक्सली के घायल होने की खबर उनको है. मुठभेड़ के दौरान नक्सलियों ने मोटरसाइकिल के साइलेंसर से बने रॉकेट लॉन्चर का उपयोग किया. नक्सलियों ने जवानों को V शेप में फंसाकर दोनों तरफ से गोलीबारी की, जिस कारण सुरक्षबलों को इतना बड़ा नुकसान हुआ.
नक्सली जाते-जाते शहीद जवानों के हथियार भी लूट कर ले गए. जवानों को संभलने का मौका नहीं मिला, इसके बावजूद घटनास्थल गवाह है कि किस बहादुरी के साथ उन्होंने नक्सलियों से दो-दो हाथ किए. जवानों द्वारा नक्सलियों पर चलाए गए गोलियों के निशान की गवाही टेकलगुड़ा के जंगल में मौजूद सैकड़ों पेड़ दे रहे हैं. गांव वालों ने गोलीबारी के खाली कारतूस भी इकट्ठा किए हैं. इसके साथ ग्रामीणों ने पोस्टर भी रखे हैं, जिन्हें जवान अपने साथ ले आए थे. इसमें लिखा था "हिंसा छोड़ो विकास से नाता जोड़ो, आत्मसमर्पण कीजिए''.