मुम्बई। दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम का नाम नरेंद्र मोदी के नाम पर किए जाने को आधार बनाकर शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र सामना की संपादकीय में निशाना साधा है। शिवसेना ने संपादकीय में शिवसेना ने यह भी पूछा है कि दुनिया का हर बड़ा काम गुजरात में ही क्यों किया जा रहा है?
हमेशा ही आरोप लगाया जाता रहा है कि कांग्रेस ने सरदार पटेल को खत्म करने का काम किया, लेकिन गुजरात स्थित सरदार पटेल स्टेडियम का नाम बदलकर उसे मोदी स्टेडियम किया जाए ऐसा क्या सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने सुझाया था? सरदार पटेल का नाम मिटाने का प्रयास निश्चित तौर पर कौन कर रहा है, वह इसके जरिए नजर आया।
सामना के संपादकीय में क्या लिखा है
दुनिया का हर बड़ा काम गुजरात में ही करना है, इस सोच से दिल्ली की मोदी-शाह की सरकार ग्रस्त नजर आती है। इसमें कुछ गलत हुआ ऐसा लगने की वजह नहीं है। अपनी मिट्टी से प्यार होना अपराध नहीं है। परंतु हम देश का नेतृत्व कर रहे हैं ये भूलकर कैसे चलेगा!
- अभी तक ऑस्ट्रेलिया का मेलबर्न विश्व में सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम था। अब मोदी का नाम दिया मोटेरा स्टेडियम दुनिया में सबसे बड़ा होगा। मोदी का नाम इस बड़े स्टेडियम को दिया यह आलोचना का विषय कैसे हो सकता है? परंतु आलोचना इस वजह से हो रही है कि मोटेरा स्टेडियम को पहले भारत रत्न सरदार पटेल का नाम दिया गया था। उसे बदलकर मोदी का नाम दिया गया।
- गुजरात में पहले सरदार पटेल की दुनिया में सबसे ऊंची प्रतिमा का निर्माण किया गया। अमेरिका के ‘स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी’ यानी स्वतंत्रता के देवता के पुतले की तुलना में सरदार पटेल की प्रतिमा ऊंची है और यह प्रतिमा कांग्रेस द्वारा अपमानित किए गए सरदार का मान-सम्मान, ऊंचाई बढ़ाने वाली है, ऐसा मोदी ने कहा था।
- पटेल का नाम-ओ-निशान मिटाने का प्रयास कांग्रेस तथा नेहरू-गांधी परिवार ने किया, ऐसा पिछले 5 एक वर्षों में कई बार कहा गया। परंतु गुजरात स्थित सरदार पटेल स्टेडियम का नाम बदलकर उसे मोदी स्टेडियम किया जाए, ऐसा कुछ सोनिया गांधी अथवा राहुल गांधी ने सुझाया था, ऐसा लगता नहीं है। पटेल का नाम मिटाने का प्रयास निश्चित तौर पर कौन कर रहा है, यह इसके जरिए नजर आया।
- मोदी महान हैं ही, इसे लेकर शंका करने की कोई वजह नहीं है। परंतु मोदी, सरदार पटेल, महात्मा गांधी, पंडित नेहरू अथवा इंदिरा गांधी से भी महान हैं, ऐसा मोदी भक्तों को लगता होगा तो इसे अंधभक्ति की अगली सीढ़ी मानना होगा। दरअसल, सरदार पटेल का नाम हटाकर मोदी का नाम लगाने का प्रयास व परिश्रम जिन्होंने किया, उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को छोटा बना दिया है। मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं ही, परंतु इस दौर के एक बलशाली लोकप्रिय नेता हैं। उन्हें लोगों ने प्रचंड बहुमत दिया है। बहुमत का मतलब लापरवाही से बरताव करने का लाइसेंस नहीं है।
- सरदार पटेल, पंडित नेहरू के पास बहुमत था तो देश के निर्माण के लिए। नेहरू ने IIT से लेकर भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, भाखरा नांगल योजना राष्ट्र को समर्पित की। मोदी के काल में क्या हुआ, तो दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम जो कि सरदार पटेल के नाम पर था उसे मिटाकर मोदी का नाम दिया गया। ऐसा उनके भक्तों को इतिहास में दर्ज करवाना है क्या?
- सरदार पटेल का कल तक गुणगान करनेवाले लोग एक स्टेडियम के नाम के लिए सरदार विरोधी बन रहे हैं, इसे सिर्फ व्यापार कहना होगा। कल पश्चिम बंगाल में सत्ता परिवर्तन हुआ तो (संभावना बिल्कुल भी नहीं है) नेताजी बोस के नाम वाली संस्थाओं का नाम बदल दिया जाएगा, ऐसा डर लोगों को लगने लगा है। सरदार पटेल कोई सिर्फ गुजरात के नेता नहीं थे। नेहरू की तरह ही देश के आदर्श थे और हैं। परंतु सरदार पटेल के किस आदर्श को मोदी सरकार ने पाला है?
- स्वतंत्रता की महाभारत के ‘बारडोली का संघर्ष’ अत्यंत तेजस्वी पर्व के रूप में माना जाता है। यह किसानों के न्याय व अधिकार की लड़ाई थी और इसका नेतृत्व सरदार पटेल ने किया था। इसके दो वर्षों बाद कराची में आयोजित किए गए कांग्रेस के 46वें अधिवेशन की अध्यक्षता के लिए सरदार पटेल का चुनाव हुआ। कांग्रेस के अध्यक्ष पद के रूप में ‘मैं किसान हूं!’ (‘हूं खेड़ूत छूं!’) ऐसी दहाड़ लगानेवाले सरदार पटेल पहले ही अध्यक्ष थे।
- आज देश के किसानों की क्या दशा है। चार महीने हुए फिर भी किसानों का आंदोलन दिल्ली की सीमा पर जारी है। आंदोलन में किसान सरदार पटेल की जय-जयकार कर रहे हैं इसलिए सरदार पटेल का नाम स्टेडियम से मिटाया जा रहा है क्या? मोदी सरकार को आलीशान, शानदार ऐसा कुछ करना होगा तो उसका स्वागत है। परंतु पुराने प्रकल्पों को रंग-रोगन करके बदलने व नामांतरण करने से क्या हासिल होगा!
- अर्थात जो हुआ है उसमें मोदीजी का कोई दोष नहीं होगा। मोदी फकीर हैं व कभी भी ‘झोला’ उठाकर जंगल अथवा हिमालय चले जाएंगे। उनके भक्त ही उनके नाम पर उल्टे-सीधे धंधे करते हैं। मोदी एकदम योगी की तरह तटस्थ व नम्र होने के कारण वे इन उद्योगों की ओर शालीनता से देखते हैं, इतना ही है। दूसरा महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि मोदी का नाम सरदार पटेल की जगह दिया गया इसलिए इतना आसमान सिर पर क्यों उठाते हो?
- इस बदलाव को गुजरात की जनता ने स्वीकार कर लिया है। पांच महानगरपालिका के चुनाव में कांग्रेस की दयनीय हार हुई व भाजपा जीती है। सरदार पटेल की तुलना में मोदी के महान होने के कारण ही लोग उन्हें दिल खोलकर मत दे रहे हैं। गुजरात को ही सरदार पटेल के संबंध में श्रद्धा नहीं होगी तो दूसरे लोग विरोधी बातें क्यों फैलाएं? सरदार पटेल का महत्व नई राजनीति में खत्म हो गया है। कल नेताजी बोस भी खत्म हो जाएंगे। महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज का इस्तेमाल भी पिछले चुनाव में हुआ ही था। अब ‘गरज खत्म, पटेल को छोड़ो’ यह उसी ड्रामे का एक हिस्सा है।