चमोली से लापता 136 लोगों को मृत घोषित करेगी सरकार; ऋषिगंगा के ऊपर बनी झील का मुहाना चौड़ा किया गया

Posted By: Himmat Jaithwar
2/23/2021

उत्तराखंड आपदा का आज 17वां दिन है। अब तक 70 लोगों के शव और 29 मानव अंग मिल चुके हैं। 136 लोग लापता हैं। अब राज्य सरकार इन सभी लापता लोगों को मृत घोषित करने की तैयारी में है। जल्द ही इसके लिए आदेश जारी कर दिया जाएगा। ऐसा होता है तो इस आपदा में जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 206 हो सकती है।

राज्य सरकार के मुताबिक, चमोली और आस-पास के इलाकों में लगातार तलाश जारी है। बड़ी संख्या में लोगों के शव बरामद हुए हैं, जबकि कुछ लोगों को सुरक्षित भी निकाला गया। इसके बावजूद अभी तक जिन लोगों की कोई जानकारी नहीं मिल रही है, उन्हें अब मृत घोषित कर दिया जाएगा।

ऋषिगंगा के ऊपर बनी झील का मुंह चौड़ा किया गया
चमोली में रैणी गांव के पास ऋषिगंगा नदी के ऊपर ग्लेशियर टूटने से बनी आर्टिफिशयल झील से अभी भी बड़ा खतरा बना हुआ है। झील का मुंह छोटा होने के चलते पानी का बहाव काफी धीमी गति से हो रहा था। इसके चलते झील टूटने का खतरा बन गया था। ITBP के जवानों ने झील के मुंह को करीब 15 फीट चौड़ा कर दिया है। यहां पानी के जमाव के चलते दबाव बनने लगा था। राज्य आपदा रिसपॉन्स टीम (SDRF) के कमांडेंट नवनीत भुल्लर का कहना है कि अभी झील के मुंह को और चौड़ा करने का काम चल रहा है।

ITBP और SDRF की टीम झील पर लगातार नजर बनाए रखी हुई है।
ITBP और SDRF की टीम झील पर लगातार नजर बनाए रखी हुई है।

झील में करीब 4.80 करोड़ लीटर पानी है
ऋषि गंगा के ऊपर ग्लेशियर टूटने से बनी आर्टिफिशियल झील का इंडियन नेवी, एयरफोर्स और एक्सपर्ट की टीम ने मुआयना भी किया। डाइवर्स ने झील की गहराई मापी है। इस झील में करीब 4.80 करोड़ लीटर पानी होने का अनुमान है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, ये झील करीब 750 मीटर लंबी है और आगे बढ़कर संकरी हो रही है। इसकी गहराई आठ मीटर है। नेवी के डाइवर्स ने हाथ में इको साउंडर लेकर इस झील की गहराई मापी। अगर ये झील टूटती है तो काफी ज्यादा नुकसान हो सकता है। एक्सपर्ट के मुताबिक, ये झील केदारनाथ के चौराबाड़ी जैसी है। 2013 में केदारनाथ के ऊपरी हिस्से में 250 मीटर लंबी, 150 मीटर चौड़ी और करीब 20 मीटर गहरी झील के टूटने से आपदा आ गई थी। इस झील से प्रति सेकंड करीब 17 हजार लीटर पानी निकला था।

सेंसर भी लगाया
इस झील में होने वाली सारी हलचल पर नजर रखने के लिए विशेषज्ञों की टीम लगाई गई है। इसके अलावा ऋषिगंगा नदी में सेंसर भी लगाया गया है, जिससे नदी का जलस्तर बढ़ते ही अलार्म बज जाएगा। SDRF ने कम्युनिकेशन के लिए यहां एक डिवाइस भी लगाई है।



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