कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे एक और किसान की मंगलवार सुबह को मौत हो गई। वजह हार्ट अटैक बताई जा रही है। घटना दिल्ली-हरियाणा के बीच स्थित सिंघु बॉर्डर की है। उनका नाम हरिंदर और उम्र करीब 50 साल थी। वे पानीपत जिले के सेवा गांव के रहने वाले थे। इससे पहले सोमवार को PGI रोहतक में एक बुजुर्ग किसान की मौत हुई थी। उन्हें 16 जनवरी को ठंड लगने पर टीकरी बॉर्डर से लाकर भर्ती कराया गया था।
इससे एक दिन पहले ही रविवार को टीकरी बॉर्डर पर एक किसान का शव पार्क में पेड़ से लटका मिला था। उनका नाम कर्मवीर सिंह (52) था। उन्होंने सुसाइड नोट में लिखा था, 'भारतीय किसान यूनियन जिंदाबाद। मोदी सरकार बस तारीख पर तारीख दे रही है। कोई नहीं कह सकता कि काले कानून कब वापस होंगे।' सोनीपत के सिंघु बॉर्डर पर अब तक 17 किसान जान गवां चुके हैं
हरिंदर की मौत की दुखद खबर से पहले दिल्ली में 26 जनवरी को हुई हिंसा के मामले में दीप सिद्धू को अरेस्ट करने की खबर आई। पंजाबी सिंगर सिद्धू पर लाल किले पर धार्मिक झंडा लगाने और लोगों को उकसाने का आरोप है। उस पर दिल्ली पुलिस ने एक लाख रुपए का इनाम रखा था।
पंजाबी सिंगर सिद्धू पर लाल किले पर धार्मिक झंडा लगाने और लोगों को उकसाने का आरोप है। उस पर दिल्ली पुलिस ने एक लाख रुपए का इनाम रखा था।
दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने बताया कि दीप सिद्धू अमेरिका के कैलिफोर्निया में रहने वाली अपनी एक मित्र के संपर्क में था। वह एक्ट्रेस भी है। दीप इस मित्र को वीडियो भेजता था और वह इन वीडियो को दीप सिद्धू के सोशल मीडिया अकाउंट पर अपलोड करती थी। कुछ दिन पहले ही दीप सिद्धू का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें उसने किसान नेताओं को धमकाया था। उसने कहा था कि किसान नेता जमीन बचाने के लिए नहीं, बल्कि राजनीति करने के लिए आंदोलन कर रहे हैं।
कुरुक्षेत्र में आज महापंचायत, पर विवाद पहले हो गया
कुरुक्षेत्र की अनाज मंडी में होने वाली महापंचायत से पहले एक विवाद खड़ा हो गया है। यहां किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी को न्योता नहीं दिया गया था, जबकि कुरुक्षेत्र चढ़ूनी का गृह जिला है। चढ़ूनी ने कहा कि उन्हें महापंचायत की जानकारी नहीं दी गई थी और इसके बाद उन्होंने दूसरी जगह के कार्यक्रम तय कर लिए थे। ऐसे में वो अब महापंचायत में नहीं जाएंगे। हालांकि, महापंचायत के जसतेज संधू ने कहा कि चढ़ूनी को न्योता दिया गया था और उन्होंने वक्त निकालकर महापंचायत में आने की बात कही है।
कल लोकसभा में किसानों के मुद्दे पर बोल सकते हैं मोदी
सूत्रों के मुताबिक, मोदी बुधवार को लोकसभा में भी राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पेश कर सकते हैं। इस दौरान वे एक बार फिर किसानों के आंदोलन और कृषि कानूनों पर बोल सकते हैं। मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में किसान आंदोलन पर भी बात की थी। उन्होंने कहा था कि किसानों को बातचीत के लिए आगे आना चाहिए।
मोदी ने कहा था, "किसान आंदोलन पर खूब चर्चा हुई। मूल बात पर चर्चा होती, तो अच्छा होता। कृषि मंत्री ने अच्छे ढंग से सवाल पूछे, पर उनके जवाब नहीं मिलेंगे। जरा हरित क्रांति की बात सोचिए। सख्त फैसले लेने के लिए लालबहादुर शास्त्री को भी सोचना पड़ता था। तब भी कोई कृषि मंत्री नहीं बनना चाहता था, क्योंकि उन्हें लगता कि कहीं कड़े फैसलों के चलते राजनीति न खत्म हो जाए। आज जो भाषा मेरे लिए बोली जा रही है, तब उनके लिए बोली जाती थी कि अमेरिका के इशारे पर हो रहा है।’
मोदी की अपील पर किसान फिर बातचीत को तैयार
राज्यसभा में मोदी की स्पीच के कुछ घंटे बाद संयुक्त किसान मोर्चे के सदस्य शिव कुमार कक्का ने कहा था कि वे अगले दौर की बातचीत के लिए तैयार हैं, सरकार उन्हें मीटिंग का दिन और समय बता दे। हालांकि, कक्का ने कहा था कि लोकतंत्र में आंदोलन की अहम भूमिका होती है। लोगों को सरकार की गलत नीतियों का विरोध करने का अधिकार है।
मोदी के बयान पर राकेश टिकैत ने कहा था, 'प्रधानमंत्री ने कहा कि MSP है, था और रहेगा, लेकिन यह नहीं बोले कि MSP पर कानून बनाया जाएगा। देश भरोसे से नहीं चलता। यह संविधान और कानून से चलता है।'