भोपाल। यह सबक है, इस बात का कि एक गलती किस तरह आपका कॅरियर बर्बाद कर सकती है। सात साल पहले रैगिंग की शिकार छात्रा की खुदकुशी के मामले में दोषी करार दी गईं चारों दोषियों को शुक्रवार को केंद्रीय जेल भेज दिया गया।
खास बात ये कि मां की गलती की सजा 11 महीने के मासूम को भी भुगतना पड़ रही है। दरअसल आरकेडीएफ कॉलेज से बीफॉर्म कर रही अनिता की मौत के मामले में 7 साल बाद शुक्रवार को फैसला आया था। इसमें अनिता की रैगिंग लेने वाली दीप्ति, निधि, देवांशी और कीर्ति को दोषी मानते हुए पांच-पांच साल जेल की सजा सुनाई थी। शुक्रवार को न्यायाधीश अमित रंजन समाधिया ने यह फैसला दिया था।
5 साल पहले... पूरी हो चुकी है डिग्री, दो साल पहले शादी
6 अगस्त 2013 काे बीफार्मा सेकंड इयर की अनीता ने जब सुसाइड किया था, तब देवांशी थर्ड इयर में थी। डिग्री पूरे हुए पांच साल बीत चुके हैं। दो साल पहले एक बैंक अधिकारी से शादी हुई है। 11 महीने का एक बेटा भी है। जो दो दिन से मां के साथ जेल में है।
देवांशी की ससुराल सीहोर में है। देवांशी के पति ओम सोमवार को जबलपुर हाईकोर्ट में पत्नी की जमानत याचिका दाखिल कर सकते हैं। ओम का कहना है कि देवांशी ने कोई गुनाह नहीं किया है। हम कोर्ट के फैसले पर आगे अपील करेंगे। देवांशी की तरह कीर्ति त्रिपाठी भी हाउस वाइफ है। कीर्ति की करीब चार साल पहले शादी हो गई है। उनकी ससुराल रायसेन के गैरतगंज में है। कीर्ति को दो बेटे हैं, बड़ा बेटा तीन साल का है।
एमपीपीएससी की तैयारी कर रही थी दीप्ति
दीप्ति बी. फार्मा की डिग्री कंप्लीट कर चुकी है। पिता टेलरिंग करते हैं। बीफार्मा करने के बाद बीते दो साल से एमपीपीएससी की तैयारी कर रही है।
निधि तीन साल से दे रहीं सिविल एग्जाम
इस मामले में दोषी निधि भाग्रे बालाघाट के बैहर की रहने वाली है। आरकेडीएफ कॉलेज से बी.फार्मा कंपलीट कर चुकी है। पिछले तीन साल से यूपीएससी और एमपीपीएससी की तैयारी कर रही हैं। लेकिन, अब तक कोई भी एग्जाम क्लीयर नहीं हुआ है। इस मामले में कॉलेज के टीचर मनीष गुप्ता को कोर्ट ने बरी कर दिया है। वे इन दिनों गुजरात के एक कॉलेज में पढ़ा रहे हैं।