रतलाम नामली जिला द्वारा अवैध मादक पदार्थ अफीम परिवहन करते 2 आरोपियों को किया गिरफ्तार
भोपाल। प्रदेश में पोषण आहार से जुड़े 11 से 14 साल की बच्चियों को टेक-होम राशन के मामले में कैग की रिपोर्ट में कई सवाल खड़े किए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक महिला एवं बाल विकास विभाग ने जिलेवार बालिकाओं को घर-घर टेक होम राशन के जो आंकड़े दिए थे, उनमें किसी भी जिले की किसी भी आंगनबाड़ी में बच्चियों के नाम और पते ही सूची उपलब्ध नहीं करा पाया। महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसरों के पास सिर्फ संख्यात्मक आंकड़े के अलावा यह जानकारी भी नहीं हैं कि किस पते पर रहने वाली किस बालिका को टेक होम राशन दिया जा रहा है।
ग्वालियर स्थित महालेखा परीक्षक की ओर से बाल संरक्षण आयोग को भेजी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के मुताबिक ग्वालियर जिले में अप्रैल 2018 से अक्टूबर 2019 (19 माह) में स्कूल छोड़ने वाली (11-14 वर्ष) बालिकाओं की संख्या 74,790 बताई। लेकिन उनके नाम पतों का कोई रिकॉर्ड जिला कार्यक्रम अधिकारी उपलब्ध नहीं करा सके।
जबकि राज्य शिक्षा केंद्र ने शाला त्यागी बच्चियों (11 से 14 वर्ष) की संख्या 212 बताई, जिसका पूरा ब्यौरा मौजूद है। इस लिहाज से 19 माह में 76 मंगल दिवस के हिसाब से सिर्फ 16112 ही होनी चाहिए। जबकि महिला बाल विकास विभाग ने 19 माह में लाभान्वितों की संख्या 74,790 बताई है, इस तरह 56 हजार 686 अतिरिक्त लाभान्वितों को 128.54 लाख रुपए की (211.24 मीट्रिक टन) सोया बर्फी और खिचड़ी बांट दी गई। यह राशि 60580 प्रति मीट्रिक टन की दर के आधार पर है। यह अंतर सिर्फ संख्यात्मक आंकड़ों के आधार पर सामने आया है, विस्तृत जांच के बाद ही वास्तविक सत्यापन हो सकेगा।
डिंडोरी में 4806 बालिकाओं को बांटनी थी खिचड़ी, 98160 को बांट दी