उज्जैन। मकर संक्रांति पर्व पर उज्जैन में शिप्रा नदी के रामघाट पर श्रद्धालुओं ने सुबह से ही आस्था की डुबकी लगाई। नदी में स्नान कर पितरों के निमित्त तर्पण भी किया। शिप्रा में आज के दिन स्नान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय अमृत की बूंद शिप्रा के रामघाट पर गिरी थीं। यही वजह है कि शिप्रा को मोक्षदायिनी भी माना जाता है।
वनवास के दौरान भी भगवान राम और लक्ष्मण ने पिता दशरथ का पिंडदान भी रामघाट पर ही किया था। ऐसी भी मान्यता है कि शिप्रा में स्नान से सात जन्मों के पाप मिट जाते हैं। पंडे पुजारियों ने शिप्रा नदी का अभिषेक पूजन किया। सिंहस्थ महाकुंभ में शिप्रा के रामघाट पर ही सभी शाही स्नान होते हैं। पंडित अजय जोशी ने बताया कि शिप्रा में स्नान करने से कष्ट दूर होते हैं। महाकाल मंदिर में भी तड़के भस्मारती में भगवान महाकाल का तिल के जल से अभिषेक हुआ। तिल के लड्डुओं का भोग लगा।
प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए घाट पर ही गर्म पानी की व्यवस्था की है। महिलाओं के लिए चेजिंग रूम भी बनाए गए हैं। रामघाट पर पुजारियों ने बच्चों में पतंगें भी बांटी। समाजसेवियों ने पोहा-जलेबी का प्रसाद बांटा।