शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन यानि महाअष्टमी है। आज के दिन मां देवी की विशेष अर्चना होती है। मां देवी का विशेष श्रृंगार किया जाता है। सतना जिले में त्रिकूट पर्वत पर विराजमान मैहर वाली मां शारदा, दतिया की पीतांबरा पीठ और सलकनपुर की बिजासन माता का दरबार सज गया है। कोरोना पर भक्ति भारी है। भक्त सुबह 4 बजे से ही दर्शन के लिए कतार में हैं। मैहर वाली माता और सलकनपुर में बिजासन मां के दरबार में लोग रोप-वे से भी पहुंच रहे हैं। सलकनपुर में सुबह 3 बजे से ही भक्तों की कतार लग गई। यहां पर सुबह 9 बजे तक करीब 30 हजार लोगों ने दर्शन किए।
मैहर वाली माता का महाअष्टमी पर विशेष श्रृंगार।
मां शारदा के धाम मैहर में कोरोना पर भक्ति भारी
नवरात्र की महाष्टमी में मैहर की मां शारदा का विशेष श्रृंगार हुआ और आरती की गई। त्रिकूट पर्वत पर विराजमान मैहर की मां शारदा का महाष्टमी पर विशेष श्रृंगार और आरती हुई। शासन से दिशा-निर्देश मिलने के बाद इस बार मां शारदा के धाम मैहर में खास इंतजाम किए गए हैं। श्रद्धा का केंद्र माने जाने वाले मां शारदा की नगरी मैहर में शनिवार सुबह से भक्तों की कतार लगी हुई है। हजारों भक्तों के आने की उम्मीद के चलते पुलिस और प्रशासन ने पहले से ही तैयारियां कर रखी थी। सीढिय़ों के रास्ते पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे।
महाष्टमी के मौके पर सुबह 4 बजे मां की विशेष पूजा अर्चना की गई।
सुबह 4 बजे से ही लाइन में लगाकर श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश करने लगे। सभी श्रद्धालुओं को चेहरे पर मास्क लगाने और हाथ सैनिटाइज करने के निर्देश दिए गए थे। इसके साथ ही होटल, लॉज और धर्मशाला प्रबंधकों को भी नियमों का पालन कराने कड़ाई से निर्देश दिए गए थे। मैहर में बस ट्रेन और सड़क मार्ग से भी यात्रियों ने प्रवेश किया और मां के जयकारों के साथ आदिशक्ति मां शारदा के दर्शन किए। सुबह पौने चार बजे मां की आरती के साथ भक्तों ने भी मां से मनोकामना पूर्ति के लिए पूजा-अर्चना की।
महाष्टमी पर खास
मैहर धाम में पुजारी सुमित महाराज ने बताया कि महाष्टमी पर परंपरागत रूप से विशेष श्रृंगार किया जाता है। सुबह 3.30 से 4 बजे के बीच में विशेष पूजन होगा। इसके बाद पट श्रद्लुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। माता को चांदी का मुकुट, हार और चुनरी के साथ श्रृंगार होता है। इसके बाद सुबह 7 बजे छोटी आरती और पूजन होता है, दोपहर 1 बजे मां को अन्न का भोग लगता है और विशेष पूजन होता है। शयन आरती शाम को 8.30 बजे से 9 के बीच में होने के बाद पट बंद कर दिए जाते हैं, लेकिन अगर भीड़ होगी तो पट खुले रहेंगे।
क्यों प्रसिद्ध हैं मां शारदा
सुमित महाराज ने बताया कि देश के 51 शक्तिपीठों में से एक मां शारदा सरस्वती स्वरूप में त्रिकूट पर्वत पर विराजमान हैं। भगवान शंकर ने सती की देह को उठाकर तांडव शुरू कर दिया तो भगवान विष्णु ने सृष्टि को बचाने के लिए चक्र सुदर्शन से सती के टुकड़े-टुकडे कर दिए। उस वक्त माता सती का कंठ और हार त्रिकूट पर्वत पर गिरा। इसलिए इन्हें मैहर वाली माता कहा जाता है। मतलब माई का हार। ये भी कहा जाता है कि मां सबसे पहले मय यानि अहंकार का हरण करती हैं।
सीहोर जिले के रेहटी के पास सलकनपुर में मां बीजासन का दरबार है, उनका दुर्गाष्टमी पर विशेष सोलह श्रृंगार किया गया।
सलकनपुर की बीजासन माता का दरबार...
500 साल से मंदिर में जोत स्वरूप में हो रही है पूजा, 20 फीट की दूरी से हो रहे दर्शन
शनिवार को सुबह से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु सलकनपुर पहुंचे। करीब 20 हजार से अधिक लोग सुबह 9 बजे तक दर्शन कर चुके हैं। उम्मीद की जा रही है कि महाष्टमी का खास दिन होने की वजह से ये संख्या 50 हजार तक पहुंचेगी। हर साल अष्टमी और नवमी पर यहां पर दर्शन करने वालों की संख्या एक लाख तक रही है, लेकिन इस बार कोरोना के चलते संख्या पहले के मुकाबले थोड़ी कम है।
महंत प्रभुदयाल शर्मा के सुबह 5.30 बजे आरती के साथ ही पट खोल दिए गए हैं। श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। इसके पहले रात को विशेष निशा पूजन की गई। एक आरती सुबह 9 बजे, फिर 12 बजे दिन दोपहर में और अंतिम आरती-पूजन शाम को 7.30 बजे किया जाएगा।
सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है। सोशल डिस्टेंसिंग तो नहीं दिखाई दी, लेकिन लोगों के चेहरे पर मास्क है।
यहां पर 300 से ज्यादा पुलिस बल तैनात किया गया है जो सुरक्षा व्यवस्था के लिए लगाया गया है। इसी तरह वाहन मार्ग से पुराने वाहनों को इंट्री नहीं दी जा रही है। सीढ़ी मार्ग और रोप-वे से भी बड़ी संख्या में लोग मंदिर तक पहुंच रहे हैं। इस बार दर्शन व्यवस्था में मामूली परिवर्तन किया गया है। पहले लोग 10 फीट की दूरी से माता के दर्शन कर रहे थे, लेकिन कोरोना के चलते इस बार 20 फीट दूर से दर्शन कराए जा रहे हैं। मंदिर परिसर में भोग प्रसादी ले जाने की मनाही है। अगर कोई लेकर पहुंच रहा है तो उसके लिए एक जगह पर रखने की व्यवस्था की गई है। नारियल तोड़ने पर भी पाबंदी है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी कराया जा रहा है।
इसलिए प्रसिद्ध हैं मां बीजासन, महाष्टमी को मां का विशेष 16 श्रृंगार
महंत प्रभुदयाल शर्मा ने बताया कि माता को चांदी का छत्र, चोला चढ़ाकर विशेष 16 श्रृंगार किया जाएगा। मां यहां पर वात्सल्य भाव में विराजित हैं। मान्यता है कि महिषासुर मर्दिनी के रूप में मां दुर्गा ने रक्तबीज नाम के राक्षस का वध इसी स्थान पर विजयी मुद्रा में तपस्या की। इसलिए यह बीजासन देवी कहलाईं। मंदिर के गर्भगृह में लगभग 500 साल से 2 अखंड ज्योति प्रज्जवलित हैं। एक ज्योति घी और एक तेल की। घी चंद्रमा का प्रतीक और तेल सूर्य का प्रतीक है।
दूर-दराज से लोग माता के दर्शन करने पहुंचे।
दोपहिया वाहनों की संख्या से बन रही है जाम की स्थिति
इस बार दोपहिया वाहनों से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या काफी अधिक है। यह इसलिए हो रहा है क्योंकि इस बार कोरोना के कारण बसें नहीं चल पा रही हैं। जो बसें चल भी रही हैं तो वह इक्का दुक्का हैं। ऐसे में लोगों को दर्शन करने सलकनपुर तक दोपहिया वाहनों से आना पड़ रहा है। कई लोग चार पहिया वाहनों से भी मंदिर आ रहे हैं। ऐसे में वाहनों की संख्या में सड़कों पर इजाफा हो गया है। इसी तरह सड़कों पर गड्ढे हो रहे हैं। इन सभी कारणों के कारण भी जाम की स्थिति बन रही है।