नई दिल्ली: अब हम आपको उस खबर के बारे में बताएंगे जिससे शायद हमें टीआरपी (TRP) बिल्कुल न मिले लेकिन इस खबर के बारे में आपको जानना चाहिए जिससे आपको ये समझ आ जाए कि खरीदी गई टीआरपी और असली टीआरपी में क्या अंतर होता है.
दिल्ली के मालवीय नगर में एक छोटी सी दुकान है, जिसका नाम है बाबा का ढाबा. कल 8 अक्टूबर से पहले इस दुकान को बहुत कम लोग जानते थे. लेकिन कल दिनभर सोशल मीडिया पर हैशटैग 'बाबा का ढाबा' ट्रेंड करता रहा. सोशल मीडिया पर इस गरीब दंपति का वीडियो शायद आपने भी देखा होगा. लॉकडाउन के बाद इनकी दुकान की कमाई लगभग बंद हो गई थी. हालांकि सोशल मीडिया पर हुई जनक्रांति के बाद कल इनकी दुकान पर सैकड़ों लोग मदद करने के लिए पहुंचे.
लगभग 80 वर्ष की उम्र में भी कांता प्रसाद और उनकी पत्नी काम करने के लिए मजबूर हैं. इनके दो बेटे और एक बेटी है, लेकिन कोई इनकी मदद नहीं करता है. इस दुकान का सारा काम ये लोग खुद ही करते हैं. लेकिन अब सैंकड़ों लोग इनकी मदद कर रहे हैं. कल दिल्ली के दूर-दूर के इलाकों से भी लोग इनकी दुकान पर आए. सोशल मीडिया पर आम जनता ने इनके एक वीडियो को शेयर करके लोगों से मदद की अपील की थी. ट्विटर पर सिर्फ 24 घंटे में ही इनके वीडियो को 36 लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं. हालांकि सोशल मीडिया पर प्रचार की वजह से कल इनकी दुकान का खाना कुछ ही घंटों में खत्म हो गया.
आपने अक्सर ये सुना होगा कि दिल्ली में लोग, दूसरों की मदद नहीं करते हैं और यहां के लोगों को खुद के अलावा किसी और से कोई मतलब नहीं होता है. हालांकि इस बुजुर्ग दंपति को राशन और आर्थिक मदद देने के लिए आम आदमी ही सामने आया है. अबतक इनके लिए 2 लाख रुपए से अधिक इकट्ठा हो चुके हैं और इस बुजुर्ग दंपति ने अब खुद ही लोगों को मदद रोक देने के लिए कहा है यानी इन्हें और सहायता नहीं चाहिए. आप समझ सकते हैं ये लोग गरीब जरूर हैं लेकिन इन्हें जरूरत से अधिक मदद नहीं चाहिए. इस बुजुर्ग दंपति को मिली सहायता एक अच्छी शुरुआत है और इसके लिए हम आपको धन्यवाद देते हैं, आपकी कोशिशों के बिना ये संभव नहीं हो पाता।
ऐसे ही बुजुर्ग दंपति आपके शहर में और आपकी कॉलोनी के आस-पास भी होंगे. आप चाहें तो ऐसे लोगों की मदद कर सकते हैं. ये वो लोग हैं, जो भीख नहीं मांगते हैं, इन्हें मुफ्त में खाना नहीं चाहिए और ये बुढ़ापे में भी मेहनत करके अपना गुजारा करना चाहते हैं. लेकिन ऐसा करने के लिए इन्हें आपकी मदद की बहुत जरूरत है.