ग्वालियर। आमतौर पर जनता चुनावों से पहले नेताओं को मूलभूत सुविधाओं (बिजली, पानी, सड़क) को लेकर घेरती है लेकिन ग्वालियर-चंबल में ऐसा नहीं है। यहां लाेग चुनाव से पहले बंदूक के लाइसेंस के लिए नेताओं के पीछे पड़ गए। इस साल अप्रैल से सितंबर के बीच भिंड, मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी और दतिया में बंदूक लाइसेंस बनवाने के तीन हजार से अधिक आवेदन आ गए हैं। जितने आवेदन छह माह में आए हैं, सामान्य दिनों में इतने आवेदन एक साल में आते हैं।
80 प्रतिशत आवेदन उन विधानसभा सीटों से आए हैं, जहां उपचुनाव होने हैं। हाल यह है कि पूर्व विधायकों के पास रोजाना 20 से 25 लोग सिर्फ बंदूक लाइसेंस की अनुशंसा के लिए ही पहुंच रहे हैं। कुछ लोग तो तत्काल कलेक्टर और एसपी को फोन लगाने का दबाव बना रहे हैं। ऐसे में प्रत्याशी-नेता को संबंधित अफसर को उनके सामने फोन भी करना पड़ता है।
गार्ड की नौकरी मिल जाती है
यह सही है कि लोग शस्त्र लाइसेंस की मांग करते हैं। कई लोग शस्त्र लाइसेंस रोजगार के लिए मांगते हैं, क्योंकि इसके सहारे उन्हें गार्ड की नौकरी मिल जाती है।’
-रणवीर जाटव, पूर्व विधायक, गोहद
कहते हैं तत्काल फोन लगाओ
जनसंपर्क के लिए जाते हैं तो लोग जहां आवेदन अटका होता है, वहां मौके से ही फोन करने के लिए कहते हैं। हम यही प्रयास करते हैं कि जनता की इच्छा के अनुसार काम हो सके।’
-रक्षा सिरौनिया, पूर्व विधायक, भांडेर