मॉस्को. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को कहा कि अगर वोटर्स संवैधानिक बदलाव को मंजूरी देते हैं, तो वे एक और कार्यकाल के लिए विचार कर सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, संवैधानिक बदलाव को लेकर 25 जून से 1 जुलाई तक देशभर में वोटिंग होगी। 2024 में पुतिन का कार्यकाल खत्म हो रहा है। अगर संविधान में संशोधन हो जाता है तो राष्ट्रपति के रूप में पुतिन 6-6 साल के लिए दो बार राष्ट्रपति बन सकते हैं।
संवैधानिक तख्तापलट का आरोप
रूस के विपक्षी नेताओं का आरोप है कि संविधान में नया संशोधन इसलिए किया जा रहा है, ताकि पुतिन 2036 तक सत्ता में रह सकें। विपक्ष ने इसे ‘संवैधानिक तख्तापलट’ कहा है। दूसरी ओर, सरकार ने दावा किया कि संसद की भूमिका और प्रशासन-नीतियों को मजबूत करने की जरूरत है। अगर संवैधानिक बदलाव को संसद और कोर्ट की मंजूरी मिल जाती है तो राष्ट्रपति के रूप में पुतिन का अब तक का कार्यकाल शून्य मान लिया जाएगा। इस तरह वे फिर से राष्ट्रपति बन सकेंगे।
पुतिन पहली बार 2000 में राष्ट्रपति बने थे
मेदवेदेव के राष्ट्रपति रहने के दौरान राष्ट्रपति का कार्यकाल 6 साल कर दिया गया था। पुतिन पहली बार 7 मई 2000 को राष्ट्रपति बने थे। उनका पिछला कार्यकाल 2008 में पूरा हुआ था। इसके बाद मेदवेदेव राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे और पुतिन प्रधानमंत्री बने थे। हालांकि, सरकार की असल कमान पुतिन के हाथों में थी। 2012 में एक बार फिर से पुतिन राष्ट्रपति बने और मेदवेदेव प्रधानमंत्री चुने गए। राष्ट्रपति के रूप में 7 मई 2020 को उन्हें 16 साल हो गए। इस दौरान देश में कई बदलाव देखने को मिले। इसके साथ ही राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने खुद को बेहद मजबूत बनाया।
15 साल तक जासूस के रूप में काम किया
रूस की खुफिया एजेंसी केजीबी के जासूस के रूप में उन्होंने विदेश में 15 साल तक काम किया। जब रूस के पूर्व राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन ने 1999 में अचानक इस्तीफा दिया, तब पुतिन देश के प्रधानमंत्री थे। उस समय लंबित चुनावों के बीच उन्हें कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में नामित किया गया।
जब राष्ट्रपति के छवि को झटका लगा था
26 मार्च 2000 को पुतिन ने अपना पहला राष्ट्रपति चुनाव मामूली अंतर से जीता। तभी बैरेंट्स सी में रूसी पनडुब्बी डूबने के कारण कुछ महीनों के भीतर ही उनकी छवि को झटका लगा। पनडुब्बी पर सवार 118 सदस्यों की मौत हो गई थी। पुतिन ने इस घटना पर चार दिन बाद बयान दिया था।
पुतिन का कार्यकाल 2024 में खत्म हो रहा है। देश के मौजूदा कानून के मुताबिक, इसके बाद वे चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। रूसी संसद के निचले सदन ड्यूमा में पुतिन की टर्म बढ़ाने को लेकर प्रस्ताव लाया गया था। संसद में यह प्रस्ताव सांसद वेलेंतीना तेरेश्कोवा लाई थीं। वे 1963 में अंतरिक्ष में जाने वाली पहली महिला हैं। वे पुतिन की समर्थक मानी जाती हैं।