भोपाल । मध्यप्रदेश की राजनीति में मंगलवार का दिन काफी अहम है। अभी से ही यह सवाल तैरने लगे हैं कि मंगलवार को किसका मंगल होगा। साथ ही कुछ हद तक मंगलवार को यह तय भी हो जाएगा कि मध्यप्रदेश के अगले 'नाथ' कौन होंगे। राज्यपाल ने एक बार फिर से कमलनाथ की सरकार को चिट्ठी लिखी है कि 17 मार्च को आप विधानसभा में बहुमत साबित करें।
इसके साथ ही फ्लोर टेस्ट की मांग को लेकर बीजेपी सुप्रीम कोर्ट भी गई। मंगलवार को पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर सुनवाई होगी। बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि सरकार को बारह घंटे के अंदर फ्लोर टेस्ट करवाने के लिए निर्देश दे। ऐसे में मंगलवार का दिन मध्यप्रदेश की राजनीति के लिए काफी महत्वपूर्ण है। क्योंकि अभी बीजेपी फ्लोर टेस्ट के लिए अड़ी है।
दो जजों की बेंच करेगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में मध्यप्रदेश के मामले में सुनवाई दो जजों की बेंच करेगी, जिसमें जस्टिस डी वाय चंद्रचूड़ और हेमंत गुप्ता हैं। ऐसे में सभी लोगों की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हुई है कि आखिर कोर्ट इस मामले में क्या निर्णय देती है। उसके बाद देखना यह भी है कि सोमवार को सीएम कमलनाथ को राज्यपाल ने जो चिट्ठी लिखी है, उसका क्या जवाब मिलता है।
स्पीकर की भूमिका अहम
गर्वनर दूसरी बार सीएम कमलनाथ को प्लोर टेस्ट के लिए चिट्ठी लिख चुके हैं। पहली चिट्ठी का सीएम ने जवाब भी दे दिया है, साथ ही उन्होंने राज्यपाल के आदेश को अलोकतांत्रिक करार दिया है। राज्यपाल जब अभिभाषण के लिए विधानसभा गए तो उनकी नाराजगी साफ देखने को मिली। चालीस पन्नों के अभिभाषण को वह एक मिनट में पढ़कर चले गए। उसके कुछ घंटों बाद सीएम को दोबार चिट्ठी लिखी।
ऐसे में स्पीकर की भूमिका काफी अहम हो जाती है। स्पीकर पर ही निर्भर करता है कि वह फ्लोर टेस्ट कब करवाते हैं। कमलनाथ पूर्व में तो फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार थे। अब उनका कहना है कि बीजेपी कांग्रेस के सोलह विधायकों को बेंगलुरु में बंधक बनाकर रखी है। ऐसे में सदन में फ्लोर टेस्ट कैसे संभव है। वहीं, सीएम कमलनाथ लगातार भोपाल में कांग्रेस विधायकों के साथ बैठक कर रहे हैं।
सरकार 'रणछोड़दास' बन गई
वहीं, पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी कमलनाथ पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने कहा है कि कमलनाथ जी की सरकार अल्पमत में है, बहुमत खो चुकी है। राज्यपाल महोदय ने सरकार को आदेश दिया था कि वो आज ही उनके अभिभाषण के बाद फ्लोर टेस्ट कराए। बहुमत होता तो सरकार को दिक्कत नहीं होती, लेकिन मुख्यमंत्री इससे बच रहे हैं। सरकार 'रणछोड़दास' बन गई है।
उन्होंने आगे लिखा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ जी को एक क्षण भी सरकार चलाने का अधिकार नहीं है। सदन की जो एफेक्टिव संख्या है, उसे ध्यान में रखते हुए कांग्रेस के पास केवल 92 विधायक बचे हैं। यह बिल्कुल स्पष्ट है कि बहुमत अब बीजेपी के पास है। अल्पमत की सरकार अब कोई निर्णय ले सकती।
कांग्रेस की रणनीति
कांग्रेस भी एमपी की राजनीति उत्पन्न स्थिति पर कंट्रोल करने के लिए लगातार रणनीति बना रही है। सीएम कमलनाथ ने फिर से भोपाल में विधायकों के साथ बैठक की है। इसके साथ ही कांग्रेस के कुछ दिग्गज नेता दिल्ली भी कानूनी पेंच को समझने के लिए रवाना हो गए हैं। कांग्रेस के टॉप अधिवक्ता मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखेंगे। नंबर गेम में फिलहाल बीजेपी ही आगे है।
क्या है नंबर गेम
मध्यप्रदेश विधानसभा में 230 सीट है, जिनमें दो पहले से ही रिक्त हैं। छह विधायकों के इस्तीफा मंजूर होने के बाद विधायकों की कुल संख्या 222 रह गई है। वर्तमान में कांग्रेस के 108 और बीजेपी के 107 विधायक बचते हैं। विधायकों की संख्या के हिसाब से देखें तो सरकार बनाने के लिए 112 की संख्या होनी जरूरी है। कांग्रेस को अन्य- 07 (4 निर्दलीय, 2 बसपा, 1 सपा ) का समर्थन हासिल है। ऐसे में सरकार पर कोई खतरा नहीं है।
वहीं, बीजेपी की मांग है कि जिस तरीके से स्पीकर ने छह विधायकों का इस्तीफा मंजूर किया है, उसी तरह से 16 अन्य विधायकों का इस्तीफा मंजूर हो। अगर स्पीकर उन 16 विधायकों का इस्तीफा मंजूर कर लेते हैं तो कांग्रेस के पास विधायकों की संख्या 92 रह जाएगी। साथ विधानसभा सदस्यों की संख्या 206 हो जाएगी। फिर सरकार बनाने के लिए 104 विधायकों की जरूरत पड़ेगी। बागियों का इस्तीफा मंजूर होते ही कांग्रेस की सरकार अल्पमत में आ जाएगी।