भोपाल। मध्य प्रदेश की सरकार के लिए लंबे समय तक सिरदर्द बने रहे डाकू मोहर सिंह के निधन की खबर आ रही है। डाकू मोहर सिंह चंबल का वो नाम है जिसके लिए धनवान लोगों में दहशत और गरीब ग्रामीणों में प्रेम नजर आता था। डाकू मोहर सिंह के खिलाफ 400 हत्याएं और 650 अपहरण के मामले दर्ज थे।
1960 के दशक में चंबल का सबसे बड़ा डकैत गिरोह कौन सा था
यह वही डकैत है जिनके सिद्धांत हुआ करते थे। जिन्हें पुलिस कभी पकड़ नहीं पाई। 14 अप्रैल 1972 को समाजवादी विचारक जयप्रकाश नारायण के आग्रह पर डाकू मोहर सिंह ने आत्मसमर्पण किया था। 86 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। वह 60 के दशक में चंबल के सबसे बड़े गिरोह के मुखिया थे। करीब 13 साल तक मोहर सिंह और उनके गिरोह के दूसरे डकैत चंबल के बीहड़ों में हथियार लिए घूमते रहे।
डाकू मोहर सिंह के गिरोह में कितने डकैत थे
समर्पण के बाद एक इंटरव्यू में मोहर सिंह ने बताया था कि पुलिस के अत्याचार के कारण वह बागी बन गए थे। जटपुरे गांव में ताकतवर लोगों ने उनकी जमीन छीन ली थी। जब वह पुलिस से मदद मांगने गए तो पुलिस ने उन्हें ही लॉकअप में बंद करके बेरहमी से पीटा। इस घटना के बाद अमर सिंह ने बंदूक उठा ली और डकैत बन गए। उनके गिरोह में कुल 37 डकैत थे। सभी पुलिस द्वारा प्रताड़ित किए गए थे।