धरती के बेहद करीब से गुजरने वाला उल्कापिंड शोध में अहम साबित होगा। इसके बारे में जानकारियां एकत्र करने को लेकर वैज्ञानिकों के साथ ही विज्ञान से जुड़े शोधार्थियों में खासी उत्सुकता बनी हुई है। हालांकि 19 हजार किमी की रफ्तार से गुजरने वाले इस उल्कापिंड को लेकर कई अफवाहें फैलाई जा रही थी। कहा जा रहा था कि 29 अप्रैल के बाद दुनियां खत्म हो जाएगी। लेकिन खगोलीय वैज्ञानिकों ने इन बातों को अफवाह बताया है।
आर्य भट्ट प्रेक्षण विज्ञान एवं शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक डॉ. शशि भूषण पांडे के अनुसार बुधवार को पृथ्वी के करीब से गुजरने वाले उल्कापिंड की प्रक्रिया एक खगोलीय घटना है। उन्होंने कहा कि 1998ओआरटू नाम से प्रचलित यह उल्कापिंड हवाईद्वीप समूह पर नीट नामक प्रोग्राम के तहत खोजा गया था। ग्रह के पृथ्वी के पास से गुजरने की प्रक्रिया खासी रोचक होती है। जिससे खासी जानकारियां तथा अनुसंधान की विषयवस्तु एकत्र की जा सकती है। यह माना जा रहा है कि यह उल्कापिंड आज यानी बुधवार को पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी के 16 गुना अधिक दूरी से गुजरेगा।
प्रो. पांडे के अनुसार इससे पहले भी ऐसी स्थिति बनी है। अप्रैल 2017 में पृथ्वी के काफी नजदीक से एक उल्कापिंड गुजर चुका है। इसलिए इसमें घबराने की जरूरत नहीं है। हालांकि इस बार गुजरने वाला उल्कापिंड काफी दूर से गुजर रहा है। उन्होंने बताया कि इसके पृथ्वी से टकराने की बिलकुल भी संभावना नहीं है।