विशेष राज्य का दर्जा खत्म होने के करीब 22 महीने बाद जम्मू-कश्मीर की सियासत एक बार फिर से दिल्ली शिफ्ट होने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 जून को दिल्ली में अपने आवास पर केंद्र शासित प्रदेश के 14 दलों के नेताओं के साथ मीटिंग करेंगे।
बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन और पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर बेग को भी आमंत्रित किया गया है। पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (PAGD) के बड़े नेताओं ने भी मंगलवार, यानी 21 जून को बैठक कर इसमें शामिल होने की घोषणा कर दी है। इस गठबंधन में पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और सीपीआईएम नेता और PAGD के प्रवक्ता एमवाई तारिगामी जैसे बड़े नेता शामिल हैं।
PAGD 370 बहाल करने के पक्ष में, सुप्रीम कोर्ट में भी दी चुनौती
PAGD वही गठबंधन है, जो तात्कालीन राज्य से अनुच्छेद 370 और 35 ए को निरस्त करने के बाद बनाया गया था। PAGD नेतृत्व ने कहा कि गठबंधन देश के शीर्ष नेतृत्व के सामने अपना पक्ष रखेगा। नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा, 'हम प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के सामने अपना पक्ष रखने के लिए बैठक में हिस्सा ले रहे हैं। जिन्हें निमंत्रण मिला है वे जाएंगे, कोई निश्चित एजेंडा नहीं है।'
PAGD के घटक अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग कर रहे हैं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। अवामी नेशनल कांफ्रेंस के नेताओं का कहना है कि अनुच्छेद 370 और 35 ए पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।
महबूबा ने कहा- सरकार तालिबान से बात कर सकती है, तो पाकिस्तान से क्यों नहीं
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने बैठक में भाग लेने की पुष्टि करते हुए कहा कि हमारा गठबंधन किसी भी बातचीत की प्रक्रिया के खिलाफ नहीं है, केंद्र सरकार को विश्वास बहाली के लिए जम्मू-कश्मीर के बाहर की जेलों में बंद कैदियों की रिहाई के साथ उन्हें राज्य में शिफ्ट करना चाहिए था।
महबूबा ने आगे कहा, 'सरकार दोहा में तालिबान के साथ बातचीत कर रही है, उसे पाकिस्तान के साथ भी बातचीत करनी चाहिए।' उन्होंने कहा, 'हम जम्मू-कश्मीर में किए गए संवैधानिक परिवर्तनों के मुद्दे को उठाएंगे और इस बात पर जोर देंगे कि ये बदलाव अवैध हैं और कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए इन्हें वापस लिया जाना चाहिए।'
तारागामी ने कहा- सितारे नहीं, हमें अपने अधिकार चाहिए
माकपा नेता और PAGD के प्रवक्ता मोहम्मद यूसुफ तारागामी ने कहा कि उन्हें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों की पैरवी करने का मौका मिला है। वे प्रधानमंत्री से संविधान में दी गई गारंटी पर पुनर्विचार करने की अपील करेंगे।
तारागामी बोले- 'हम सितारों की मांग नहीं करेंगे लेकिन हम नई दिल्ली के एजेंडे पर हस्ताक्षर नहीं करने जा रहे हैं, हम पीएम की सिफारिशों को सुनेंगे, अगर यह जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के पक्ष में है, तो हम हां कहेंगे। हम तो वही मांगेंगे जो हमारा रहा है और हमारा ही रहना चाहिए। बैठक का कोई एजेंडा नहीं है।
PAGD के विरोधियों को भी न्योता
गुपकार अलायंस यानी PAGD से नाता तोड़ चुके पीपुल्स कांफ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन को भी बैठक का न्योता मिला है। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता अदनान अस का कहना है कि उनकी पार्टी भी बैठक में हिस्सा लेगी। उनका मानना है कि सभी दलों को अब जम्मू-कश्मीर और दिल्ली के बीच एक नया सामाजिक गठजोड़ तैयार करने की जरूरत है।
एक-दूसरे के बीच संवाद विश्वसनीयता और पवित्रता बहाल करने का सबसे ज्यादा जरूरी है। जम्मू-कश्मीर के लोगों में बहुत दर्द और पीड़ा व्याप्त है। कई कठोर जमीनी हकीकत हैं जिनसे प्रधानमंत्री को अवगत होना चाहिए। 5 अगस्त के बाद जम्मू-कश्मीर के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के लोगों के बीच एक नया अध्याय लिखने की आवश्यकता है।
पूर्ण राज्य का दर्जा बहान करने की अटकलें
सर्वदलीय बैठक को अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक गतिरोध को खत्म करने की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जा रहा है। इसके साथ ही यह भी चर्चा है कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने को लेकर भी बैठक में बड़ा फैसला हो सकता है।
इसके लिए ही क्षेत्रीय दलों को एकजूट करने का काम चल रहा है। संभवत: इस साल के अंत तक या नए साल के शुरुआत में इसे लेकर केंद्र सरकार बड़ी घोषणा कर सकती है।