20 करोड़ रुपए की ऑनलाइन ठगी मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। पूछताछ के दौरान बालाघाट के दो आरोपियों की गिरोह में अहम भूमिका होने की बात सामने आई है। भटेरा और किरनापुर से पुलिस के शिकंजे में आया मनोज (35) पिता टुंडीलाल राणा, हुकुम सिंह (28) पुत्र योगीराज बिसेन आपस में जीजा-साले हैं। दोनों वर्ष 2019 से नेटवर्क से जुड़कर फर्जीवाड़ा कर रहे थे। भोपाल में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद पिछले वर्ष ही हुकुम की रेलवे में सब इंजीनियर पद पर नौकरी लगी थी। वह नागपुर रेलवे में था, लेकिन जल्द अमीर बनने की चाहत ने ठग बन गया।
गिरोह के 13 सदस्य गिरफ्त में
एसपी अभिषेक तिवारी ने बताया, इंजीनियरिंग के दौरान हुकुम फेसबुक समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए इस नेटवर्क से जुड़ा था। मामले में बुधवार को 8 आरोपियों में दो को बालाघाट जेल भेज दिया गया। जबकि आंध्रप्रदेश और झारखंड से गिरफ्तार 5 आरोपियों को पुलिस ने कस्टडी में लिया है। इन्हें पुलिस ने बुधवार को कोर्ट में पेश किया। वहीं, झारखंड के एक अन्य आरोपी को ट्रांजिट रिमांड पर लिया गया है।
नौकरी रेलवे में, काम ऑनलाइन ठगी का
इंजीनियरिंग के बाद हुकुम की नागपुर रेलवे में नौकरी लग गई। इसके बाद उसने ऑनलाइन ठगी के काम में अपने जीजा मनोज को भी जोड़ लिया। मनोज, मैनेजर के रूप में हुकुम के साथ काम कर रहा था। व्यापारियों को फर्जी तरीके से खरीदे गए मोबाइल सप्लाई करने और उनसे वसूली की जिम्मेदारी मनोज संभालता था। दोनों के पास से पुलिस को पिछले 4 से 5 महीनों के दौरान गिरोह के जरिए कमाए 1.30 करोड़ के लेन-देन का हिसाब मिला है।
अलग-अलग लेवल में बंटे थे काम
बालाघाट समेत झारखंड और आंध्रप्रदेश के अलग-अलग शहरों में गिरोह के कई लेवल में काम बंटे थे। झारखंड के देवघर में बैठे आरोपी ओटीपी से जुड़े फर्जीवाड़ा कर रहे थे। वहीं, रांची में साइबर फ्रॉड नेटवर्क का काम हो रहा था। पुलिस के मुताबिक, यह अंतरराज्यीय गिरोह ऑर्गनाइज तरीके से काम को अंजाम दे रहा था।
5 से 10% कमीशन में कर रहे थे काम
ठगी के नेटवर्क से जुड़कर दोनो परसेंटेज बेसिस पर काम कर रहे थे। दोनों बालाघाट समेत सिवनी, किरनापुर, गोंदिया, जबलपुर जैसे शहरों के मोबाइल व्यापारियों से मोबाइल हैंडसेट की डिमांड लेकर झारखंड में बैठे अपराधियों को सूचना देते थे। फिर ये लोग ओटीपी फर्जीवाड़ा कर लोगों के अकाउंट से फ्लिपकार्ट, अमेजन जैसी कमर्शियल कंपनियों से मोबाइल मंगाकर बालाघाट के आरोपियों को सप्लाई करते थे। एक बार में अलग-अलग ब्रांड के 25 से 30 महंगे मोबाइलों की सप्लाई होती थी। फिर व्यापारियों को फर्जी बिल के साथ मोबाइल बेचा जाता था। सभी मोबाइल बेचने के बाद जमा हुई राशि झारखंड में बैठे अपराधियों के बैंक खाते में जमा कराई जाती थी, जिसमें दोनों को 5 से 10 % का कमीशन मिलता था।
क्या है मामला
गौरतलब है, बालाघाट पुलिस ने सेंट्रल और विभिन्न जांच एजेंसियों की मदद से मंगलवार को 20 करोड़ का अंतरराज्यीय साइबर फ्रॉड का पर्दाफाश किया है। मामले में मप्र, झारखंड और आंध्रप्रदेश से 8 आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं। इनमें दो आरोपी बालाघाट के हैं। इस नेटवर्क के तार 18 राज्यों में फैले हैं। अब तक पुलिस ने 300 से ज्यादा मोबाइल हैंडसेट और 10 लाख रुपए जब्त किए हैं।
एसपी अभिषेक तिवारी ने बताया कि ठगी का यह गिरोह व्यवस्थित ढंग से फर्जीवाड़े को अंजाम दे रहा था। आरोपियों से पूछताछ जारी है। पुलिस समेत सभी जांच एजेंसियां जांच में जुटी हैं।