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आजादी के बाद पहली बार बेलखेड़ा-सिंघपुर की 3 किमी की रोड बनी; 5 साल की गारंटी वाली सड़क बनते ही टूट गई, पुलिया धंस गई

Posted By: Himmat Jaithwar
6/8/2021

जबलपुर। जबलपुर से 58 किमी दूर सिंघपुर गांव है। जिले के आखिरी छोर के इस गांव के बाद नरसिंहपुर जिले की सीमा प्रारंभ हो जाती है। बेलखेड़ा कस्बे से गांव की दूरी महज 3 किमी है, लेकिन सड़क मार्ग से जुड़ने में इसे 74 साल लग गए। आजादी के बाद पहली बार ये रोड बनी, लेकिन बनते ही टूट गई। पुलिया धंस गई।

पांच साल की गारंटी वाली इस रोड को देखकर ग्रामीणों के आंसू निकल आते हैं। कहते हैं कि कमर तक कीचड़ से निकलने का दंश झेले हैं। बीमार को खाट पर तीन किमी दूर बेलखेड़ा तक ले जाते थे, तब कोई साधन मिल पाता था। सड़क बनने लगी तो हम खुश थे, लेकिन क्या पता था कि बनते ही सड़क टूटने लगेगी।

मप्र ग्रामीण विकास प्राधिकरण की ओर से मुख्यमंत्री सड़क योजना के तहत इसका निर्माण हुआ। ठेका मेकल कंस्ट्रक्शन कंपनी को मिला था। इस रोड को ठेका शर्त के अनुसार 25 अक्टूबर 2019 से शुरू होकर एक साल में बननी थी। ऐसा बोर्ड भी लगा है। लेकिन रोड व पुलिया का निर्माण अप्रैल 2021 तक चला।

कांक्रीट की सड़क का हश्र।
कांक्रीट की सड़क का हश्र।

रोड निर्माण में भ्रष्टाचार
तीन किमी की इस सड़क में 200 मीटर कांक्रीट का निर्माण पुलिया वाले स्थानों पर किया गया है। कुल तीन पुलिया का निर्माण हुआ है, लेकिन वे भी अधूरे हैं। पुलिया की कांक्रीट रोड बनते ही टूट गई। डामर की सड़क की कई जगह की गिट्‌टी उखड़ कर फैल गई है। रोड किनारे मिट्‌टी व बोल्डर भराई का काम तक नहीं हुआ। इससे वाहनों के पलटने का हर वक्त खतरा रहता है। ग्रामीणों ने इस रोड निर्माण की जांच कराने की मांग रखी है।

अधूरी पुलिया बनाकर छोड़ गया ठेकेदार।
अधूरी पुलिया बनाकर छोड़ गया ठेकेदार।

ग्रामीणों का छलका दर्द
गांव के विनय बादल ने बताया कि पैसे की बर्बादी देखना चाहते हैं, तो बेलखेड़ा-सिंघपुर रोड पर चले आईए। किसान इसी से आते-जाते हैं। अप्रैल में ही पुलिया निर्माण पूरा हुआ और टूट गया। मुकेश कुमार के मुताबिक जनता का पैसा पानी तरह इस रोड पर बहा दिया गया। रघुनंदन शर्मा के मुताबिक इस रोड पर कोई भारी वाहन तक नहीं गुजरता, फिर भी टूट गई। नेतराम सिंह मरावी कहते हैं कि हम इस रोड का दर्द जानते हैं, कि कैसे कमर तक कीचड़ से गुजरते थे।

बारिश से पहले ही उखड़ने लगी गिट्‌टी।
बारिश से पहले ही उखड़ने लगी गिट्‌टी।

आजादी के बाद पहली बार बनी ये सड़क
गांव के गौरव भगत के मुताबिक आजादी के बाद पहली बार ये सड़क बनी तो ग्रामीणों में हर्ष था। क्योंकि इस रोड के न होेने का दर्द यहां के लोग सालों से झेल रहे थे। सबसे अधिक मुसीबत बारिश के दिनों में होती थी। जब कमर तक गहरे कीचड़ से निकलना होता था। कोई बीमार हो जाता था तो खाट पर लेकर बेलखेड़ा तक तीन किमी जाते थे। तब ही कोई वाहन मिल पाता था। गांव के ब्रजकिशोर चौधरी के मुताबिक इस रोड पर चार जगह डामर निकलने से गिट्टी निकल चुकी है। रोड से ट्रैक्टर-ट्राली को संभाल कर निकालना पड़ता है कि कहीं पलट न जाए। बारिश से पहले ये हाल है तो बारिश में क्या होगा? कलेक्टर कर्मवीर शर्मा के मुताबिक रोड निर्माण की गुणवत्ता की जांच कराएंगे। पांच साल की गारंटी है। ठेकेदार को मरम्मत करना होगा।



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